04 August 2022 12:55 PM
जयपुर । प्रदेश में जमकर बरस रहे बदरा अब रीते बांधों को भी भरने में जुट गए हैं. जुलाई महीने तक प्रदेश में अधिकांश इलाकों में जमकर बारिश हुए और इसका असर असर प्रदेश छोटे बड़े और मझोले बांधों (Dams) पर साफ नजर आने लगा है. प्रदेश के ज्यादातर बांधों के मई और जून में जो हालात चिंताजनक थे वो अब सुधरने लगे हैं. हालांकि 22 बड़े बांधों में से तीन बांध अभी भी ऐसे है, जो पूरे तरह खाली पड़े है. मानसून इस बार प्रदेश में पूरी तरह मेहरबान है और इस मेहरबानी से प्रदेश की लाइफ लाइन बने कई बांधों के पैंदे दिखने बंद हो गए है. मई जून की भीषण गर्मी में जहां चिंता की लकीरें थी और बांधों में पानी लगातार घट रहा था, वहीं जुलाई खत्म होते होते रीते बांध भरने लगे है. प्रदेश में 22 बड़े बांधों में पानी स्टोरेज 34.25 प्रतिशत से बढ़कर 64.49 फीसदी हो गया है. वहीं मध्यम व लघु 279 बांधों में भी लगभग 42 फीसदी भराव हो गया है. हालांकि चार संभागों की बात करें तो सबसे ज्यादा बांध कोटा संभाग के भर रहे है, तो दूसरी नंबर पर उदयपुर है. जयपुर संभाग में 20 फीसदी बांध भरे है, तो जोधपुर 5.48 फीसदी के साथ चौथे नंबर पर है. 4.25 एमक्यूएम क्षमता से अधिक के 279 बांध में से 75 बांध खाली है, जबकि 174 आशिंक रूप से भरे है. 30 बांध लबालब बताए जा रहे हैं. मानसून इस बार प्रदेश में पूरी तरह मेहरबान:- – 22 बड़े बांधों में पानी स्टोरेज 34.25 प्रतिशत से बढ़कर 64.49 फीसदी – मध्यम व लघु 279 बांधों में भी लगभग 42 फीसदी भराव – सबसे ज्यादा बांध कोटा संभाग के भर रहे है – 279 बांध में से 75 बांध खाली है, जबकि 174 आशिंक रूप से भरे अब बात करते है जयपुर, टोंक व अजमेर की लाइफलाइन बीसलपुर बांध की. राजस्थान के सबसे अहम बीसलपुर बांध में करीब महीने पहले तक महज 22 फीसदी पानी बचा था. बीसलपुर में अब पानी का स्टोरेज लगभग 32 प्रतिशत तक पहुंच गया है. जयपुर, टोंक और अजमेर की एक करोड़ से ज्यादा आबादी को पेयजल सप्लाई करने वाले बीसलपुर बांध में प्री- मानसून में 12 और अब बीते एक सप्ताह में अच्छी बरसात से दो फीट से ज्यादा पानी की आवक हुई है. बांध का जल स्तर अब 310.54 आरएल मीटर हो गया है. हालांकि बांध को लबालब होने में वक्त लगेगा. यदि बांध पर चादर चलती है, तो समझ लीजिए की दो वर्ष तक जयपुर को पानी की सप्लाई आराम से हो सकेगी. जयपुर की लाइफलाइन बीसलपुर में पानी की आवक:- – महीने पहले तक महज 22 फीसदी पानी बचा था बीसलपुर में – बीसलपुर में अब पानी का स्टोरेज लगभग 32 प्रतिशत हो गया – बीसलपुर बांध का जल स्तर अब 310.54 आरएल मीटर हुआ अन्य प्रमुख बांधों की बात करें, तो पाली की पेयजल सप्लाई से जुड़ा जवाई बांध पूरी तरह खाली हो गया था, वहां भी अब 21.66 फीसदी पानी की आवक हो गई है. राजस्थान के ज्यादातर छोटे और मंझले बांधों के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण होने के कारण बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में वहां पानी नहीं होने से वहां न तो जलापूर्ति होती है न ही पानी आवक. ये बांध वक्त से पहले सूख जाते हैं. हालांकि राजस्थान के राणाप्रताप सागर, कोटा बैराज, गुढ़ा डेम, सोम कमला अम्बा और जयसमंद बांध भी 51 प्रतिशत से लेकर 97 फीसदी तक भर गए हैं, लेकिन उनका जयपुर जैसे शहरों की जलापूर्ति से कोई संबंध नहीं है. अधिकांश बांधों के लिए मानसून अच्छी खबर लेकर आया: अधिकांश बांधों के लिए मानसून अच्छी खबर लेकर आया है, लेकिन जयपुर के तीन बांध तो सालों से सूखे पड़े हैं. इनमें रामगढ़, छापरवाड़ा और कालख सागर है. टोंक का टोरडी सागर और भीलवाड़ा का मेजा डैम भी खाली पड़े हैं. इनके अलावा 9 ऐसे बांध हैं, जो 30 फीसदी या उससे कम भरे हैं. इनमें प्रतापगढ़ का जाखम डैम, राजसमंद का राजसमंद झील, पाली का जवाई और सरदार समंद, बूंदी का गुढा, धौलपुर का पार्वती बांध, दौसा का मोरेल, टोंक का गलवा और बीसलपुर शामिल हैं. एक वक्त था जब पूरा जयपुर रामगढ़ बांध से पानी पीता था, लेकिन अतिक्रमण की बाढ़ ऐसी आई कि बांध ही रीत गया. कभी नौकायन की प्रतियोगिता कराने वाला रामगढ़ बांध अब एक-एक बूंद को तरस रहा है।”
जयपुर । प्रदेश में जमकर बरस रहे बदरा अब रीते बांधों को भी भरने में जुट गए हैं. जुलाई महीने तक प्रदेश में अधिकांश इलाकों में जमकर बारिश हुए और इसका असर असर प्रदेश छोटे बड़े और मझोले बांधों (Dams) पर साफ नजर आने लगा है. प्रदेश के ज्यादातर बांधों के मई और जून में जो हालात चिंताजनक थे वो अब सुधरने लगे हैं. हालांकि 22 बड़े बांधों में से तीन बांध अभी भी ऐसे है, जो पूरे तरह खाली पड़े है. मानसून इस बार प्रदेश में पूरी तरह मेहरबान है और इस मेहरबानी से प्रदेश की लाइफ लाइन बने कई बांधों के पैंदे दिखने बंद हो गए है. मई जून की भीषण गर्मी में जहां चिंता की लकीरें थी और बांधों में पानी लगातार घट रहा था, वहीं जुलाई खत्म होते होते रीते बांध भरने लगे है. प्रदेश में 22 बड़े बांधों में पानी स्टोरेज 34.25 प्रतिशत से बढ़कर 64.49 फीसदी हो गया है. वहीं मध्यम व लघु 279 बांधों में भी लगभग 42 फीसदी भराव हो गया है. हालांकि चार संभागों की बात करें तो सबसे ज्यादा बांध कोटा संभाग के भर रहे है, तो दूसरी नंबर पर उदयपुर है. जयपुर संभाग में 20 फीसदी बांध भरे है, तो जोधपुर 5.48 फीसदी के साथ चौथे नंबर पर है. 4.25 एमक्यूएम क्षमता से अधिक के 279 बांध में से 75 बांध खाली है, जबकि 174 आशिंक रूप से भरे है. 30 बांध लबालब बताए जा रहे हैं. मानसून इस बार प्रदेश में पूरी तरह मेहरबान:- – 22 बड़े बांधों में पानी स्टोरेज 34.25 प्रतिशत से बढ़कर 64.49 फीसदी – मध्यम व लघु 279 बांधों में भी लगभग 42 फीसदी भराव – सबसे ज्यादा बांध कोटा संभाग के भर रहे है – 279 बांध में से 75 बांध खाली है, जबकि 174 आशिंक रूप से भरे अब बात करते है जयपुर, टोंक व अजमेर की लाइफलाइन बीसलपुर बांध की. राजस्थान के सबसे अहम बीसलपुर बांध में करीब महीने पहले तक महज 22 फीसदी पानी बचा था. बीसलपुर में अब पानी का स्टोरेज लगभग 32 प्रतिशत तक पहुंच गया है. जयपुर, टोंक और अजमेर की एक करोड़ से ज्यादा आबादी को पेयजल सप्लाई करने वाले बीसलपुर बांध में प्री- मानसून में 12 और अब बीते एक सप्ताह में अच्छी बरसात से दो फीट से ज्यादा पानी की आवक हुई है. बांध का जल स्तर अब 310.54 आरएल मीटर हो गया है. हालांकि बांध को लबालब होने में वक्त लगेगा. यदि बांध पर चादर चलती है, तो समझ लीजिए की दो वर्ष तक जयपुर को पानी की सप्लाई आराम से हो सकेगी. जयपुर की लाइफलाइन बीसलपुर में पानी की आवक:- – महीने पहले तक महज 22 फीसदी पानी बचा था बीसलपुर में – बीसलपुर में अब पानी का स्टोरेज लगभग 32 प्रतिशत हो गया – बीसलपुर बांध का जल स्तर अब 310.54 आरएल मीटर हुआ अन्य प्रमुख बांधों की बात करें, तो पाली की पेयजल सप्लाई से जुड़ा जवाई बांध पूरी तरह खाली हो गया था, वहां भी अब 21.66 फीसदी पानी की आवक हो गई है. राजस्थान के ज्यादातर छोटे और मंझले बांधों के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण होने के कारण बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में वहां पानी नहीं होने से वहां न तो जलापूर्ति होती है न ही पानी आवक. ये बांध वक्त से पहले सूख जाते हैं. हालांकि राजस्थान के राणाप्रताप सागर, कोटा बैराज, गुढ़ा डेम, सोम कमला अम्बा और जयसमंद बांध भी 51 प्रतिशत से लेकर 97 फीसदी तक भर गए हैं, लेकिन उनका जयपुर जैसे शहरों की जलापूर्ति से कोई संबंध नहीं है. अधिकांश बांधों के लिए मानसून अच्छी खबर लेकर आया: अधिकांश बांधों के लिए मानसून अच्छी खबर लेकर आया है, लेकिन जयपुर के तीन बांध तो सालों से सूखे पड़े हैं. इनमें रामगढ़, छापरवाड़ा और कालख सागर है. टोंक का टोरडी सागर और भीलवाड़ा का मेजा डैम भी खाली पड़े हैं. इनके अलावा 9 ऐसे बांध हैं, जो 30 फीसदी या उससे कम भरे हैं. इनमें प्रतापगढ़ का जाखम डैम, राजसमंद का राजसमंद झील, पाली का जवाई और सरदार समंद, बूंदी का गुढा, धौलपुर का पार्वती बांध, दौसा का मोरेल, टोंक का गलवा और बीसलपुर शामिल हैं. एक वक्त था जब पूरा जयपुर रामगढ़ बांध से पानी पीता था, लेकिन अतिक्रमण की बाढ़ ऐसी आई कि बांध ही रीत गया. कभी नौकायन की प्रतियोगिता कराने वाला रामगढ़ बांध अब एक-एक बूंद को तरस रहा है।”
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