30 May 2021 03:11 PM
जोग संजोग टाइम्स
बीकानेर। न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश संख्या चार जयपुर महानगर की पीठासीन अधिकारी गीता चौधरी ने कहा कि कोरोना विश्वव्यापी महामारी है। इससे संक्रमित मरीज के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में इंजेक्शन की कालाबाजारी और गैरकानूनी तरीके से उपलब्ध करवाना गंभीर, सामाजिक अपराध है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी एसओजी की ओर से गिरफ्तार किए गए मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग एजेंसी के तीन ऑनर के अनुज, प्रदीप और विनय के जमानत प्रार्थना-पत्रों पर सुनवाई के दौरान की। तीनों अभियुक्तों की ओर से कोर्ट में दो अलग-अलग जमानत प्रार्थना-पत्र पेश किए गए थे।
कोर्ट ने वीसी के जरिये अभियुक्तों के वकील और अपर लोक अभियोजक की दलीलों को सुना और तीनों अभियुक्तों को जमानत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि अभियुक्तों के खिलाफ अत्यंत गंभीर और राज्य सरकार व आमजन के विरुद्ध अपराध का आरोप होने के कारण जमानत की सुविधा का लाभ दिया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता।
साथ ही यह भी कहा कि अनुसंधान जारी है। इस स्टेज पर अभियुक्तों को जमानत का लाभ दिए जाने से अनुसंधान पर विपरीत प्रभाव पडऩे की पूर्ण संभावना है। इसलिए दोनों आवेदन अस्वीकार कर खारिज किए जाते हैं।
गौरतलब है कि बीकानेर में एसओजी की टीम ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पर जांच की तो सामने आया कि एक अप्रैल से तीन मई के बीच सहायक ड्रग कंट्रोलर ने बीकानेर और बाहर 890 इंजेक्शन वितरण करना बताया। जबकि, छह स्टॉकिस्ट का रिकॉर्ड खंगाला गया तो प्राइवेट अस्पताल, डॉक्टर और मेडिकोज को 1400 इंजेक्शन दिए गए। एसओजी ने 510 इंजेक्शन का घोटाला माना।
पक्ष-विपक्ष की दलील : अभियुक्तों की ओर से वकील दीपक चौहान ने प्रार्थीगण ने डॉक्टर्स मांगपत्र पर ही इंजेक्शन विक्रय किए हैं। एफआईआर में धारा तीन आवश्यक वस्तु अधिनियम भी शामिल है। जबकि, सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में डालते हुए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है।
अभियुक्तों पर ऐसा भी कोई आरोप नहीं है कि इंजेक्शन की सप्लाई के दौरान अनुचित राशि वसूली गई हो। कोई बरामदगी भी शेष नहीं है। दूसरी ओर, अपर लोक अभियोजक अभियुक्तों के खिलाफ अपराध गंभीर प्रकृति का है। इसे देखते हुए जमानत प्रार्थना-पत्र खारिज किए जाएं।
जोग संजोग टाइम्स
बीकानेर। न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश संख्या चार जयपुर महानगर की पीठासीन अधिकारी गीता चौधरी ने कहा कि कोरोना विश्वव्यापी महामारी है। इससे संक्रमित मरीज के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में इंजेक्शन की कालाबाजारी और गैरकानूनी तरीके से उपलब्ध करवाना गंभीर, सामाजिक अपराध है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी एसओजी की ओर से गिरफ्तार किए गए मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग एजेंसी के तीन ऑनर के अनुज, प्रदीप और विनय के जमानत प्रार्थना-पत्रों पर सुनवाई के दौरान की। तीनों अभियुक्तों की ओर से कोर्ट में दो अलग-अलग जमानत प्रार्थना-पत्र पेश किए गए थे।
कोर्ट ने वीसी के जरिये अभियुक्तों के वकील और अपर लोक अभियोजक की दलीलों को सुना और तीनों अभियुक्तों को जमानत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि अभियुक्तों के खिलाफ अत्यंत गंभीर और राज्य सरकार व आमजन के विरुद्ध अपराध का आरोप होने के कारण जमानत की सुविधा का लाभ दिया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता।
साथ ही यह भी कहा कि अनुसंधान जारी है। इस स्टेज पर अभियुक्तों को जमानत का लाभ दिए जाने से अनुसंधान पर विपरीत प्रभाव पडऩे की पूर्ण संभावना है। इसलिए दोनों आवेदन अस्वीकार कर खारिज किए जाते हैं।
गौरतलब है कि बीकानेर में एसओजी की टीम ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पर जांच की तो सामने आया कि एक अप्रैल से तीन मई के बीच सहायक ड्रग कंट्रोलर ने बीकानेर और बाहर 890 इंजेक्शन वितरण करना बताया। जबकि, छह स्टॉकिस्ट का रिकॉर्ड खंगाला गया तो प्राइवेट अस्पताल, डॉक्टर और मेडिकोज को 1400 इंजेक्शन दिए गए। एसओजी ने 510 इंजेक्शन का घोटाला माना।
पक्ष-विपक्ष की दलील : अभियुक्तों की ओर से वकील दीपक चौहान ने प्रार्थीगण ने डॉक्टर्स मांगपत्र पर ही इंजेक्शन विक्रय किए हैं। एफआईआर में धारा तीन आवश्यक वस्तु अधिनियम भी शामिल है। जबकि, सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में डालते हुए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है।
अभियुक्तों पर ऐसा भी कोई आरोप नहीं है कि इंजेक्शन की सप्लाई के दौरान अनुचित राशि वसूली गई हो। कोई बरामदगी भी शेष नहीं है। दूसरी ओर, अपर लोक अभियोजक अभियुक्तों के खिलाफ अपराध गंभीर प्रकृति का है। इसे देखते हुए जमानत प्रार्थना-पत्र खारिज किए जाएं।
RELATED ARTICLES
04 February 2022 12:02 PM
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com