25 June 2022 11:43 AM

जोग संजोग टाइम्स,
एहतिशाम अख्तर की इस शायरी को हकीकत में बदलना आसान नहीं है। खासकर उसके लिए जिसने कभी रोशनी का अहसास तक नहीं किया हो। इसके बाद भी उसने हजारों स्टूडेंट्स की आंखें खोल दी। हम बात कर रहे हैं बीकानेर के विष्णु उपाध्याय (14) की। ऑटो ड्राइवर के बेटे विष्णु ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं क्लास में 95.33 परसेंट अंक हासिल किए। कुछ कारणों से उसका रिजल्ट रुक गया था, लेकिन तीन दिन पहले उसे रिजल्ट मिला तो घर वालों की आंखों से आंसू रोके न रुके।
राज्यभर में दिव्यांग श्रेणी में परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स में तो विष्णु टॉपर की लिस्ट में है। विष्णु के मामा गौतम शर्मा बताते हैं कि किन्हीं कारणों से उसका रिजल्ट अन्य स्टूडेंट्स के साथ घोषित नहीं हो सका। दो दिन पहले ही मार्कशीट मिली तो पता चला कि उसने छह में से पांच सब्जेक्ट में 90 से ज्यादा अंक लिए हैं। साइंस और मेथ्स में तो 99-99 अंक है। हिन्दी में 96, सोशियल साइंस में 94 और संस्कृत में 95 अंक लिए हैं। अकेले अंग्रेजी में 89 मार्क्स है।
बीकानेर के दियातरा गांव के जसराज के घर जब विष्णु का जन्म हुआ तो परिवार बेटे खुश था। कुछ ही समय बाद पता चला कि उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा। वो जन्म से ही नेत्रहीन था। ऐसे में उसे पढ़ाना मुश्किल हो गया। दूसरी क्लास में उसे बीकानेर के सरकारी नेत्रहीन स्कूल में एडमिशन दिलाया। तब से अब तक वो इसी स्कूल का स्टूडेंट है। अब तो उसके माता-पिता भी दियातरा से बीकानेर शहर में आ गए। बेटा होशियार था। जल्दी पढ़ना सीख गया।
ब्रेल पद्धति से पढ़ता है
अगर आप अपनी आंख बंद कर लेते हैं और विष्णु को पढ़ते हुए सुनते हैं तो कहीं से भी नहीं लगता कि वो दिव्यांग है। वो इतनी तेज गति से किताब पढ़ता है कि सामान्य स्टूडेंट्स भी नहीं पढ़ पाते। हिन्दी माध्यम के स्टूडेंट विष्णु का कहना है कि ब्रेल पद्धति से ही वो पढ़ाई की हर जंग जीतते हुए एक दिन IAS बनना चाहता है।
विष्णु के पिता जसराज ऑटो ड्राइवर है। वो चालक के रूप में अपने बेटे को सारी खुशियां तो नहीं दे सकते, लेकिन बेटे ने अपनी क्षमता से कई गुना खुशियां जसराज और मां कमला को दी है। मां-बाप उसके रिजल्ट के बाद से बहुत खुश है।
विष्णु क्रिकेट का शौकीन है। ब्रेल गेंद से वो अच्छा क्रिकेट खेल लेता है। इतना ही नहीं उसे क्रिकेट के बारे में जानकारी भी अच्छी खासी है। धोनी और विराट कोहली का वो फैन है। खाली समय में चैस खेलते हुए वो अच्छे खासे खिलाड़ियों को मात देता है।
स्कूल प्रिंसिपल अल्ताफ अहमद खान बताते हैं कि विष्णु काफी होनहार है। प्रदेशभर के दिव्यांग स्टूडेंट्स में उसका रिजल्ट टॉप ही रहा होगा, हालांकि अधिकृत रिपोर्ट नहीं आई है। प्रदेश में नेत्रहीन स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए महज चार स्कूल है। इसमें बीकानेर के अलावा जोधपुर, अजमेर व उदयपुर में भी नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूल है। वहीं कुछ निजी संस्थाएं भी नेत्रहीन स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम कर रही है।
जोग संजोग टाइम्स,
एहतिशाम अख्तर की इस शायरी को हकीकत में बदलना आसान नहीं है। खासकर उसके लिए जिसने कभी रोशनी का अहसास तक नहीं किया हो। इसके बाद भी उसने हजारों स्टूडेंट्स की आंखें खोल दी। हम बात कर रहे हैं बीकानेर के विष्णु उपाध्याय (14) की। ऑटो ड्राइवर के बेटे विष्णु ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं क्लास में 95.33 परसेंट अंक हासिल किए। कुछ कारणों से उसका रिजल्ट रुक गया था, लेकिन तीन दिन पहले उसे रिजल्ट मिला तो घर वालों की आंखों से आंसू रोके न रुके।
राज्यभर में दिव्यांग श्रेणी में परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स में तो विष्णु टॉपर की लिस्ट में है। विष्णु के मामा गौतम शर्मा बताते हैं कि किन्हीं कारणों से उसका रिजल्ट अन्य स्टूडेंट्स के साथ घोषित नहीं हो सका। दो दिन पहले ही मार्कशीट मिली तो पता चला कि उसने छह में से पांच सब्जेक्ट में 90 से ज्यादा अंक लिए हैं। साइंस और मेथ्स में तो 99-99 अंक है। हिन्दी में 96, सोशियल साइंस में 94 और संस्कृत में 95 अंक लिए हैं। अकेले अंग्रेजी में 89 मार्क्स है।
बीकानेर के दियातरा गांव के जसराज के घर जब विष्णु का जन्म हुआ तो परिवार बेटे खुश था। कुछ ही समय बाद पता चला कि उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा। वो जन्म से ही नेत्रहीन था। ऐसे में उसे पढ़ाना मुश्किल हो गया। दूसरी क्लास में उसे बीकानेर के सरकारी नेत्रहीन स्कूल में एडमिशन दिलाया। तब से अब तक वो इसी स्कूल का स्टूडेंट है। अब तो उसके माता-पिता भी दियातरा से बीकानेर शहर में आ गए। बेटा होशियार था। जल्दी पढ़ना सीख गया।
ब्रेल पद्धति से पढ़ता है
अगर आप अपनी आंख बंद कर लेते हैं और विष्णु को पढ़ते हुए सुनते हैं तो कहीं से भी नहीं लगता कि वो दिव्यांग है। वो इतनी तेज गति से किताब पढ़ता है कि सामान्य स्टूडेंट्स भी नहीं पढ़ पाते। हिन्दी माध्यम के स्टूडेंट विष्णु का कहना है कि ब्रेल पद्धति से ही वो पढ़ाई की हर जंग जीतते हुए एक दिन IAS बनना चाहता है।
विष्णु के पिता जसराज ऑटो ड्राइवर है। वो चालक के रूप में अपने बेटे को सारी खुशियां तो नहीं दे सकते, लेकिन बेटे ने अपनी क्षमता से कई गुना खुशियां जसराज और मां कमला को दी है। मां-बाप उसके रिजल्ट के बाद से बहुत खुश है।
विष्णु क्रिकेट का शौकीन है। ब्रेल गेंद से वो अच्छा क्रिकेट खेल लेता है। इतना ही नहीं उसे क्रिकेट के बारे में जानकारी भी अच्छी खासी है। धोनी और विराट कोहली का वो फैन है। खाली समय में चैस खेलते हुए वो अच्छे खासे खिलाड़ियों को मात देता है।
स्कूल प्रिंसिपल अल्ताफ अहमद खान बताते हैं कि विष्णु काफी होनहार है। प्रदेशभर के दिव्यांग स्टूडेंट्स में उसका रिजल्ट टॉप ही रहा होगा, हालांकि अधिकृत रिपोर्ट नहीं आई है। प्रदेश में नेत्रहीन स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए महज चार स्कूल है। इसमें बीकानेर के अलावा जोधपुर, अजमेर व उदयपुर में भी नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूल है। वहीं कुछ निजी संस्थाएं भी नेत्रहीन स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम कर रही है।
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27 September 2022 05:19 PM
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