27 June 2021 03:26 PM
बीकानेर। ओवरब्रिज और अंडरब्रिज लोगों को राहत देने के लिए बनवाए जाते हैं लेकिन जिले में एक ओवरब्रिज ऐसा है जो लोगों को परेशानी दे रहा है। करीब दस गांवों के लोगों को इस ओवरब्रिज की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। हैरत तो यह है कि पिछले तीन वर्षों में जनप्रतिनिधि दर्जनों बार नेशनल हाइवेे अथोरिटी ऑफ इंडिया के परियोजना निदेशक से इन समस्याओं के निदान की गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी एक भी नहीं सुनी गई।नाल बड़ी व छोटी गांव के लोगों के मुताबिक महाराजा गंगासिंह विवि से कुछ दूरी आगे से यह ओवरब्रिज शुरू होता है और नाल थाने से कुछ पहले खत्म होता है। करीब इस ढाई किलोमीटर दूरी के बीच कहीं भी ऐसा सर्किल नहीं छोड़ा गया है, जिस पर से लोग अपने गांवों के रास्ते पर जा सकें। इतना ही नहीं इस ओवरब्रिज पर रेलवे क्रॉसिंग पर दोनों तरफ सीढिय़ां लगाई जानी थी, जिसके लिए ओवरब्रिज पर स्थान भी छोड़ा गया लेकिन निर्माण करवाने वाली कंपनी ने सिर्फ एक तरफ ही सीढिय़ां लगवाई, वो भी गलत साइड में। ओवरब्रिज के दोनों तरफ सर्विस रोड भी बनाई जानी थी लेकिन निर्माण कंपनी ने एक तरफ ही सर्विस रोड बनवाई, वो भी आधी अधुरी। नतीजा यह है कि अब नाल रेलवे स्टेशन, खेजड़ी वाले रामदेव बाबा और ग्यारहमुखी हनुमान मंदिर में आने-जाने का रास्ता ही बंद हो गया। अगर किसी को उक्त तीनों स्थानों पर जाना है तो उसे कई किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा।हाइवे पर स्थित इस ओवरब्रिज में रही खामियों की वजह से करीब दस गांवों के लोगों के हुए जख्मों पर रेलवे ने भी नमक छिड़कने का काम कर दिया। क्रॉसिंग पर दोनों तरफ रेलवे ने स्थाई दीवार बनवा दी, जिससे वहां आवागमन बिल्कुल बंद हो गया। अब वहां हालात ऐसे हो गए हैं कि नाल बड़ी व छोटी गांव से बीकानेर की तरफ आने वाले लोगों को ओवर ब्रिज के नीचे से निकल कर कई किलोमीटर दूरी तय करके ओवरब्रिज पर आना पड़ता है। वहीं क्रॉसिंग के दोनों और गोचर भूमि है, ऐसे में गांवों के पशुओं का ओवरब्रिज के नीचे ही जमावड़ा रहने लग गया। ओवरब्रिज के नीचे मजबूरी में बने मुख्य रास्ते पर पशुओं के जमावड़े से हादसे भी बढ़ गए। रात के समय में तो आए दिन यहां वाहनों की चपेट में आने से पशुओं की मौत हो रही है। ओवर ब्रिज के दोनों ओर लगी करीब 72 रोड लाइट भी हमेशा बंद रहती देखी गई हैं। वहीं ओवरब्रिज के एक तरफ नाले का निर्माण भी अधुरा छोड़ दिया गया है। बरसात के दिनों में ओवर ब्रिज के नीचे पानी एकत्र हो जाता है और कई दिनों तक छोटे तालाब का रूप लिए रहता है। ग्रामीणों की मांग है कि रेलवे इस क्रॉसिंग के पास अंडरब्रिज बनवाए, जिससे ग्रामीणों को राहत मिल सके।इस ओवरब्रिज में रही खामियों की वजह से गेमना पीर, चावड़ा बस्ती, बच्छासर, कोलासर,अक्कासर, सालासर, नाइयों की बस्ती, चांडासर, चानी, छोटी नाल, बड़ी नाल सहित कई गांवों के लोगों को अपने घर से शहर की तरफ आने-जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। नाल बड़ी सहित कई ग्राम पंचायतों के सरपंच ने परियोजना निदेशक को पत्र लिख कर समस्याओं के समाधान की मांग की है।
बीकानेर। ओवरब्रिज और अंडरब्रिज लोगों को राहत देने के लिए बनवाए जाते हैं लेकिन जिले में एक ओवरब्रिज ऐसा है जो लोगों को परेशानी दे रहा है। करीब दस गांवों के लोगों को इस ओवरब्रिज की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। हैरत तो यह है कि पिछले तीन वर्षों में जनप्रतिनिधि दर्जनों बार नेशनल हाइवेे अथोरिटी ऑफ इंडिया के परियोजना निदेशक से इन समस्याओं के निदान की गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी एक भी नहीं सुनी गई।नाल बड़ी व छोटी गांव के लोगों के मुताबिक महाराजा गंगासिंह विवि से कुछ दूरी आगे से यह ओवरब्रिज शुरू होता है और नाल थाने से कुछ पहले खत्म होता है। करीब इस ढाई किलोमीटर दूरी के बीच कहीं भी ऐसा सर्किल नहीं छोड़ा गया है, जिस पर से लोग अपने गांवों के रास्ते पर जा सकें। इतना ही नहीं इस ओवरब्रिज पर रेलवे क्रॉसिंग पर दोनों तरफ सीढिय़ां लगाई जानी थी, जिसके लिए ओवरब्रिज पर स्थान भी छोड़ा गया लेकिन निर्माण करवाने वाली कंपनी ने सिर्फ एक तरफ ही सीढिय़ां लगवाई, वो भी गलत साइड में। ओवरब्रिज के दोनों तरफ सर्विस रोड भी बनाई जानी थी लेकिन निर्माण कंपनी ने एक तरफ ही सर्विस रोड बनवाई, वो भी आधी अधुरी। नतीजा यह है कि अब नाल रेलवे स्टेशन, खेजड़ी वाले रामदेव बाबा और ग्यारहमुखी हनुमान मंदिर में आने-जाने का रास्ता ही बंद हो गया। अगर किसी को उक्त तीनों स्थानों पर जाना है तो उसे कई किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा।हाइवे पर स्थित इस ओवरब्रिज में रही खामियों की वजह से करीब दस गांवों के लोगों के हुए जख्मों पर रेलवे ने भी नमक छिड़कने का काम कर दिया। क्रॉसिंग पर दोनों तरफ रेलवे ने स्थाई दीवार बनवा दी, जिससे वहां आवागमन बिल्कुल बंद हो गया। अब वहां हालात ऐसे हो गए हैं कि नाल बड़ी व छोटी गांव से बीकानेर की तरफ आने वाले लोगों को ओवर ब्रिज के नीचे से निकल कर कई किलोमीटर दूरी तय करके ओवरब्रिज पर आना पड़ता है। वहीं क्रॉसिंग के दोनों और गोचर भूमि है, ऐसे में गांवों के पशुओं का ओवरब्रिज के नीचे ही जमावड़ा रहने लग गया। ओवरब्रिज के नीचे मजबूरी में बने मुख्य रास्ते पर पशुओं के जमावड़े से हादसे भी बढ़ गए। रात के समय में तो आए दिन यहां वाहनों की चपेट में आने से पशुओं की मौत हो रही है। ओवर ब्रिज के दोनों ओर लगी करीब 72 रोड लाइट भी हमेशा बंद रहती देखी गई हैं। वहीं ओवरब्रिज के एक तरफ नाले का निर्माण भी अधुरा छोड़ दिया गया है। बरसात के दिनों में ओवर ब्रिज के नीचे पानी एकत्र हो जाता है और कई दिनों तक छोटे तालाब का रूप लिए रहता है। ग्रामीणों की मांग है कि रेलवे इस क्रॉसिंग के पास अंडरब्रिज बनवाए, जिससे ग्रामीणों को राहत मिल सके।इस ओवरब्रिज में रही खामियों की वजह से गेमना पीर, चावड़ा बस्ती, बच्छासर, कोलासर,अक्कासर, सालासर, नाइयों की बस्ती, चांडासर, चानी, छोटी नाल, बड़ी नाल सहित कई गांवों के लोगों को अपने घर से शहर की तरफ आने-जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। नाल बड़ी सहित कई ग्राम पंचायतों के सरपंच ने परियोजना निदेशक को पत्र लिख कर समस्याओं के समाधान की मांग की है।
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