02 January 2023 01:24 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
प्रशासनिक कामकाज के लिए रिटायर IAS-IPS अफसरों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत विश्वसनीय और योग्य मानते हैं। वे IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद किसी न किसी आयोग, बोर्ड, कमेटी आदि की कमान सौंप रहे हैं।
वर्तमान कार्यकाल में उन्होंने पिछले चार सालों में 16 IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद भी इस तरह की टाॅप पोस्टिंग दी है।
रोचक बात यह भी है कि इनमें प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक जैसे शीर्षतम पदों पर रहने वाले अफसर भी शामिल हैं। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के अनुभवी जानकारों का कहना है कि संभवत: पूरे देश में गहलोत अकेले सीएम हैं, जिन्होंने एक ही कार्यकाल में इतनी बड़ी संख्या में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स पर इस तरह का विश्वास जताया है।
राजस्थान में तो उनसे पहले किसी भी सीएम ने 5-6 से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स को इस तरह की पोस्टिंग नहीं दी है। दो दिन पहले ही गहलोत ने रिटायर हुए IAS अफसर चेतन देवड़ा को राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण का सदस्य बना दिया है।
सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले ही रिटायर हुए IPS अफसर बी. एल. सोनी को भी जल्द ही किसी राजस्थान सूचना आयोग या किसी अन्य आयोग-बोर्ड आदि में चेयरमैन-कमिश्नर बनाया जा सकता है। सोनी पुलिस महानिदेशक (ACB) के पद से रिटायर हुए हैं। उन्हें राजस्थान कैडर में सीएम गहलोत के सबसे विश्वसनीय IPS अफसरों में से एक माना जाता है। सोनी के अलावा हाल ही रिटायर हुए पुलिस महानिदेशक M.L. लाठर को भी इस तरह की पोस्टिंग दिए जाने की संभावना है।
राजस्थान कैडर से रिटायर्ड IPS अफसर व पूर्व उप राष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत के विशेषाधिकारी रहे बहादुर सिंह राठौड़ का कहना है कि IAS-IPS अफसरों की प्रशासनिक योग्यताएं बोर्ड-निगम के अनुसार होती ही हैं। पाॅलिटिकल लीडरशिप के नजदीक रहने का लाभ भी उन्हें मिलता है। हालांकि यह सब पर्सनल लॉयल्टी से ज्यादा तय होता है। योग्यता पहला कारण है, लेकिन इससे भी ज्यादा पर्सनल लिंक काम करता है।
राजस्थान कैडर में IAS रहे A.K. सिंह का कहना है कि सीएम का विशेषाधिकार होता है। वो जिसे पसंद करे उसे रिटायरमेंट के बाद भी कुछ बना सकते हैं। यह सब आपसी संबंधों पर निर्भर करता है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
प्रशासनिक कामकाज के लिए रिटायर IAS-IPS अफसरों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत विश्वसनीय और योग्य मानते हैं। वे IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद किसी न किसी आयोग, बोर्ड, कमेटी आदि की कमान सौंप रहे हैं।
वर्तमान कार्यकाल में उन्होंने पिछले चार सालों में 16 IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद भी इस तरह की टाॅप पोस्टिंग दी है।
रोचक बात यह भी है कि इनमें प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक जैसे शीर्षतम पदों पर रहने वाले अफसर भी शामिल हैं। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के अनुभवी जानकारों का कहना है कि संभवत: पूरे देश में गहलोत अकेले सीएम हैं, जिन्होंने एक ही कार्यकाल में इतनी बड़ी संख्या में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स पर इस तरह का विश्वास जताया है।
राजस्थान में तो उनसे पहले किसी भी सीएम ने 5-6 से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स को इस तरह की पोस्टिंग नहीं दी है। दो दिन पहले ही गहलोत ने रिटायर हुए IAS अफसर चेतन देवड़ा को राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण का सदस्य बना दिया है।
सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले ही रिटायर हुए IPS अफसर बी. एल. सोनी को भी जल्द ही किसी राजस्थान सूचना आयोग या किसी अन्य आयोग-बोर्ड आदि में चेयरमैन-कमिश्नर बनाया जा सकता है। सोनी पुलिस महानिदेशक (ACB) के पद से रिटायर हुए हैं। उन्हें राजस्थान कैडर में सीएम गहलोत के सबसे विश्वसनीय IPS अफसरों में से एक माना जाता है। सोनी के अलावा हाल ही रिटायर हुए पुलिस महानिदेशक M.L. लाठर को भी इस तरह की पोस्टिंग दिए जाने की संभावना है।
राजस्थान कैडर से रिटायर्ड IPS अफसर व पूर्व उप राष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत के विशेषाधिकारी रहे बहादुर सिंह राठौड़ का कहना है कि IAS-IPS अफसरों की प्रशासनिक योग्यताएं बोर्ड-निगम के अनुसार होती ही हैं। पाॅलिटिकल लीडरशिप के नजदीक रहने का लाभ भी उन्हें मिलता है। हालांकि यह सब पर्सनल लॉयल्टी से ज्यादा तय होता है। योग्यता पहला कारण है, लेकिन इससे भी ज्यादा पर्सनल लिंक काम करता है।
राजस्थान कैडर में IAS रहे A.K. सिंह का कहना है कि सीएम का विशेषाधिकार होता है। वो जिसे पसंद करे उसे रिटायरमेंट के बाद भी कुछ बना सकते हैं। यह सब आपसी संबंधों पर निर्भर करता है।
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