26 July 2021 03:11 PM
बीकानेर। कोरोना का कहर थमने के बाद ब्लैक फंगस के घातक प्रकोप ने पीबीएम होस्पीटल डॉक्टरों के सामने बड़ी चुनौत खड़ी कर दी । मई जून में तो एक के बाद एक लगातार ब्लैक फंगस के रोगी सामने आ रहे थे । लेकिन इन रोगियेां की जान बचाने में टीम पीबीएम के डॉक्टरों ने अपनी जान झोंक दी और कोरोना से उपजी विपरित परिस्थ्यिों का सामना करते हुए ब्लैक फंगस के 104 रोगियों का सफलता पूर्वक ऑपरेशन कर उनकी जान बचाई। हालांकि शुरूआती चरण ब्लैक फंगस के रोगी लाखों रुपए खर्च करके मुंबई व दिल्ली के बड़े अस्पतालों की ओर भाग रहे थे, लेकिन समय रहते ही पीबीएम होस्पीटल के डॉक्टरों ने मजबूती से मोर्चा संभाल लिया और रोगियों को भर्ती कर उनके ऑपरेशन शुरू कर दिये। पहले एक दो ऑपरेशनों में डॉक्टरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन बाद में बेधड़क होकर सफलता पूर्वक ऑपरेशन शुरू कर दिये। खास बात तो यह रही कि उनका पीबीएम अस्पताल में सामान्य खर्च पर ऑपरेशन हुआ वो भी सफल। खास बात ये है कि यहां ब्लैक फंगस ऑपरेशन से सौ से अधिक रोगियों की जान बचाई गई। पीबीएम में ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉ.गौरव गुप्ता ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल में 104 ऑपरेशन किए गए। ये सभी ऑपरेशन सफल रहे। अधिकांश मरीज अब छुट्टी लेकर घर जा चुके हैं। अब महज पांच रोगी ही भर्ती है। एक तरह से कह सकते हैं कि कोरोना के बाद ब्लैक फंगस भी खत्म हो गया है। पिछले दो सप्ताह से ब्लैक फंगस का कोई नया रोगी अस्पताल नहीं पहुंचा है। इससे पहले बीकानेर में दो वार्ड में रोगियों को भर्ती करना पड़ रहा था। डॉ.गुप्ता ने बताया कि पीबीएम अस्पताल में बीकानेर के अलावा हनुमानगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर सहित राज्य के अन्य जिलों से भी ब्लैक फंगस के रोगी आए थे। इनके इलाज में अस्पताल के डेंटल सहित कई विभागों के डॉक्टर्स की टीम ने दिन-रात काम किया। अब तक 27 की मौत बीकानेर में ब्लैक फंगस से 27 रोगियों की मौत भी हुई। ये सभी वो रोगी थे, जिनके फंगस दिमाग तक पहुंच चुका था। इनकी हालत ज्यादा गंभीर थी और ऑपरेशन करना कहीं भी संभव नहीं था। सिर को खोलकर ऑपरेशन करना भी संभव नहीं था। ऐसे रोगियों को समय पर भर्ती कराया जाता तो जान बच सकती थी।
बीकानेर। कोरोना का कहर थमने के बाद ब्लैक फंगस के घातक प्रकोप ने पीबीएम होस्पीटल डॉक्टरों के सामने बड़ी चुनौत खड़ी कर दी । मई जून में तो एक के बाद एक लगातार ब्लैक फंगस के रोगी सामने आ रहे थे । लेकिन इन रोगियेां की जान बचाने में टीम पीबीएम के डॉक्टरों ने अपनी जान झोंक दी और कोरोना से उपजी विपरित परिस्थ्यिों का सामना करते हुए ब्लैक फंगस के 104 रोगियों का सफलता पूर्वक ऑपरेशन कर उनकी जान बचाई। हालांकि शुरूआती चरण ब्लैक फंगस के रोगी लाखों रुपए खर्च करके मुंबई व दिल्ली के बड़े अस्पतालों की ओर भाग रहे थे, लेकिन समय रहते ही पीबीएम होस्पीटल के डॉक्टरों ने मजबूती से मोर्चा संभाल लिया और रोगियों को भर्ती कर उनके ऑपरेशन शुरू कर दिये। पहले एक दो ऑपरेशनों में डॉक्टरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन बाद में बेधड़क होकर सफलता पूर्वक ऑपरेशन शुरू कर दिये। खास बात तो यह रही कि उनका पीबीएम अस्पताल में सामान्य खर्च पर ऑपरेशन हुआ वो भी सफल। खास बात ये है कि यहां ब्लैक फंगस ऑपरेशन से सौ से अधिक रोगियों की जान बचाई गई। पीबीएम में ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉ.गौरव गुप्ता ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल में 104 ऑपरेशन किए गए। ये सभी ऑपरेशन सफल रहे। अधिकांश मरीज अब छुट्टी लेकर घर जा चुके हैं। अब महज पांच रोगी ही भर्ती है। एक तरह से कह सकते हैं कि कोरोना के बाद ब्लैक फंगस भी खत्म हो गया है। पिछले दो सप्ताह से ब्लैक फंगस का कोई नया रोगी अस्पताल नहीं पहुंचा है। इससे पहले बीकानेर में दो वार्ड में रोगियों को भर्ती करना पड़ रहा था। डॉ.गुप्ता ने बताया कि पीबीएम अस्पताल में बीकानेर के अलावा हनुमानगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर सहित राज्य के अन्य जिलों से भी ब्लैक फंगस के रोगी आए थे। इनके इलाज में अस्पताल के डेंटल सहित कई विभागों के डॉक्टर्स की टीम ने दिन-रात काम किया। अब तक 27 की मौत बीकानेर में ब्लैक फंगस से 27 रोगियों की मौत भी हुई। ये सभी वो रोगी थे, जिनके फंगस दिमाग तक पहुंच चुका था। इनकी हालत ज्यादा गंभीर थी और ऑपरेशन करना कहीं भी संभव नहीं था। सिर को खोलकर ऑपरेशन करना भी संभव नहीं था। ऐसे रोगियों को समय पर भर्ती कराया जाता तो जान बच सकती थी।
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