24 September 2023 08:24 PM

नाबार्ड के सहयोग से राजीविका के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सीधे व्यापारिक गतिविधियों से जोडने के लिए तथा उनको वित्तीय सहयोग के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के बनाये उत्पादों को बाजार में मजबूत पकड बनाने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कार्यशाला के दौरान स्वयं सहायता समूहों को बाजार जोखिम के साथ-साथ बाजार की मॉग के अनुरुप व्यापारिक गतिविधियों को बढाने के तारीको पर व्याख्यान रखा गया. इस दौरान नाबार्ड बीकानेर से रमेश ताम्बिया द्वारा स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाये जा रहें सनैटरी नैपकिन तथा मसालों के उत्पादन को बाजार में अपना निश्चित स्थान बनाने के लिए बाजार के जोखिम की पहचान करने तथा मूल्य संवद्वित उत्पाद बाजार में उपलब्ध करवाने के गुर सिखाये. स्वयं सहायता समूहों को बडे बाजार की बजाय गॉव के बाजार की ओर अपने उत्पादों को बेचने के लिए अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए. स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों के मध्यम अपने उत्पादन को आसानी से पहॅुचाया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधिया प्रारंभ करने के लिए नाबार्ड की ग्राम दुकान योजना के माध्यम से बीकानेर के गॉवों में स्वयं सहायता समूहों की अपनी दुकान स्थापित की जा सकती है. नाबार्ड की अन्य योजनाओं यथा ऑन लाईन माध्यम से संयुक्त देयता समूहो तथा स्वयं सहायता समूहों के बनाये उत्पादों को बाजार तक पहॅुचाने, सूक्ष्म उघम विकास योजना तथा आजीविका उघम विकास कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया. इन योजनाओं के माध्यम से बीकानेर व लूणरणसर के केवीके द्वारा स्वयं सहायता समूहों व संयुक्त देयता समूहों को प्रदान किये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से बाजारोन्मुखीकरण की दिशा में होने वाले कार्यो में स्वयं सहायता समूहो की सहभागिता के बारे में अपने विचार रखे. कार्यक्रम के दौरान राजीविका से रघुनाथ डूडी द्वारा मसाला उघोग को बाजार से आन-लाईन जोडने के साथ ही साथ पोषण सप्ताह के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहो की महिलाओं द्वारा किचन गार्डन तकनीकी तथा सामाजिक पोषण के विषय पर अपनी बात रखी
नाबार्ड के सहयोग से राजीविका के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सीधे व्यापारिक गतिविधियों से जोडने के लिए तथा उनको वित्तीय सहयोग के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के बनाये उत्पादों को बाजार में मजबूत पकड बनाने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कार्यशाला के दौरान स्वयं सहायता समूहों को बाजार जोखिम के साथ-साथ बाजार की मॉग के अनुरुप व्यापारिक गतिविधियों को बढाने के तारीको पर व्याख्यान रखा गया. इस दौरान नाबार्ड बीकानेर से रमेश ताम्बिया द्वारा स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाये जा रहें सनैटरी नैपकिन तथा मसालों के उत्पादन को बाजार में अपना निश्चित स्थान बनाने के लिए बाजार के जोखिम की पहचान करने तथा मूल्य संवद्वित उत्पाद बाजार में उपलब्ध करवाने के गुर सिखाये. स्वयं सहायता समूहों को बडे बाजार की बजाय गॉव के बाजार की ओर अपने उत्पादों को बेचने के लिए अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए. स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों के मध्यम अपने उत्पादन को आसानी से पहॅुचाया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधिया प्रारंभ करने के लिए नाबार्ड की ग्राम दुकान योजना के माध्यम से बीकानेर के गॉवों में स्वयं सहायता समूहों की अपनी दुकान स्थापित की जा सकती है. नाबार्ड की अन्य योजनाओं यथा ऑन लाईन माध्यम से संयुक्त देयता समूहो तथा स्वयं सहायता समूहों के बनाये उत्पादों को बाजार तक पहॅुचाने, सूक्ष्म उघम विकास योजना तथा आजीविका उघम विकास कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया. इन योजनाओं के माध्यम से बीकानेर व लूणरणसर के केवीके द्वारा स्वयं सहायता समूहों व संयुक्त देयता समूहों को प्रदान किये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से बाजारोन्मुखीकरण की दिशा में होने वाले कार्यो में स्वयं सहायता समूहो की सहभागिता के बारे में अपने विचार रखे. कार्यक्रम के दौरान राजीविका से रघुनाथ डूडी द्वारा मसाला उघोग को बाजार से आन-लाईन जोडने के साथ ही साथ पोषण सप्ताह के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहो की महिलाओं द्वारा किचन गार्डन तकनीकी तथा सामाजिक पोषण के विषय पर अपनी बात रखी
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