21 October 2021 11:07 AM
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का अकाउंट दिसंबर से टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज देखेगी। पिछले दो माह से टीसीएस इस दिशा में काम रही है। अपनी तैयारियों का कंपनी के अधिकारियों ने बुधवार को राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के तीसरे दिन प्रदर्शन किया। कंपनी के प्रदर्शन पर समिति ने पूरी तरह संतोष जताया है।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि हम टीसीएस के डिजिटली प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। अकाउंट को लेकर हमारी क्या-क्या जरूरत है, इस पर हम ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज से विचार किया है। वे धीरे-धीरे अपना सिस्टम तैयार कर रहे हैं। काफी कुछ इस दिशा में काम भी कर चुके हैं। दिसंबर से हमारे सभी अकाउंट सिस्टम टाटा कंट्रोल करेगा या डिजिटली देखेगा।
राम मंदिर परिसर पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा
चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर परिसर पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा। प्रमुख मेलों में जब दस लाख लीटर पेयजल की जरूरत होगी तो उसे कैसे पूरा किया जाएगा, उन्होंने यह भी बताया। इसके अलावा वर्षा के जल और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था पर भी मंथन हुआ। इसके साथ ही राम मंदिर निर्माण समिति की तीसरे व अंतिम दिन की बैठक खत्म हो गई।
बैठक में निर्माण समिति के चेयरमैन व पूर्व आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्यों में बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र व डॉक्टर अनिल मिश्र के साथ कार्यदायी संस्था टाटा कंसल्टेंसी व एलएनटी के एक्सपर्ट मौजूद रहे।
बिजली के लिए आधुनिक तकनीक का होगा इस्तेमाल
चंपत राय ने बताया कि बिजली के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग होगा। इसमें तार का उपयोग नहीं होगा। जिस तरह साउंड सिस्टम बिना तार का होता है, वैसे ही प्रकाश व्यवस्था होगी। मंदिर में हमेशा भजन बजता रहेगा। राम मंदिर की सुरक्षा भी विश्वस्तरीय होगी, जिसमें नवीनतम तकनीक का प्रयोग होगा। मैन पावर का उपयोग कम होगा।
मंदिर निर्माण में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से सहायता मांगी गई
चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के गर्भगृह का इस तरह निर्माण किया जाएगा जिससे सूर्य देव की किरणें रामलला तक आसानी से पहुंच सकें। साथ ही राम नवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मुखारविंद पर पड़े, इसको ध्यान में रख कर मंदिर निर्माण की रणनीति बनाई जा रही है।
इसके लिए सूर्य की खगोलीय स्थितियों पर अध्ययन भी शुरू हो गया है। इस शोध के नतीजे के आधार पर मंदिर बनाया जाएगा। इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशिष्ट तकनीक को अपनाने पर भी मंथन किया जा रहा है।
भगवान राम का जन्म सूर्य वंश में ही हुआ
धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान सूर्य के कुल में ही त्रेता काल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म दशरथ के पुत्र के रूप में हुआ। अयोध्या के दर्शन नगर में अभी भी भगवान श्रीराम के कुलदेवता सूर्य भगवान का भव्य मंदिर है। इस मंदिर में हर रविवार को अयोध्या सहित आसपास के श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं।
मंदिर के ठीक सामने प्राचीन सूर्य कुंड है जिसमें स्नान करने से लोगों को चर्म रोग से राहत मिलने की धारणा है। 35 करोड़ रुपए से प्रदेश सरकार इस कुंड का सुदंरीकरण करा रही है।
नवंबर से बनेगा राम चबूतरा
राम मंदिर की राफ्ट यानी आधार भूमि की ढलाई 1 अक्टूबर से चल रही है। डेढ़ मीटर ऊंचे राफ्ट में 17 खाने बनने हैं, जिसमें छह की ढलाई की जा चुकी है। अक्टूबर में ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। तीसरे चरण का कार्य नवंबर से शुरू होगा, जिस पर 16 फीट ऊंचे राम चबूतरा का निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके लिए पत्थर आने शुरू हो गए हैं।
2023 के दिसंबर तक नए मंदिर में विराजमान होकर दर्शन देने लगेंगे रामलला प्लिंथ के ऊपर लगाने के लिए मिर्जापुर के 4 फीट लंबी और 2 फीट चौड़े पत्थरों के 30 हजार ब्लाक बनने हैं। राम चबूतरा के लिए 4500 घन फीट में लगाए जाने के लिए बेंगलुरु से ट्रकों के माध्यम से पत्थर मंगाए जा रहे हैं। अगले साल अप्रैल माह से पहले राम मंदिर आकार लेने लगेगा। इसमें 2023 के दिसंबर तक रामलला विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देने लगेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का अकाउंट दिसंबर से टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज देखेगी। पिछले दो माह से टीसीएस इस दिशा में काम रही है। अपनी तैयारियों का कंपनी के अधिकारियों ने बुधवार को राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के तीसरे दिन प्रदर्शन किया। कंपनी के प्रदर्शन पर समिति ने पूरी तरह संतोष जताया है।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि हम टीसीएस के डिजिटली प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। अकाउंट को लेकर हमारी क्या-क्या जरूरत है, इस पर हम ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज से विचार किया है। वे धीरे-धीरे अपना सिस्टम तैयार कर रहे हैं। काफी कुछ इस दिशा में काम भी कर चुके हैं। दिसंबर से हमारे सभी अकाउंट सिस्टम टाटा कंट्रोल करेगा या डिजिटली देखेगा।
राम मंदिर परिसर पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा
चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर परिसर पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा। प्रमुख मेलों में जब दस लाख लीटर पेयजल की जरूरत होगी तो उसे कैसे पूरा किया जाएगा, उन्होंने यह भी बताया। इसके अलावा वर्षा के जल और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था पर भी मंथन हुआ। इसके साथ ही राम मंदिर निर्माण समिति की तीसरे व अंतिम दिन की बैठक खत्म हो गई।
बैठक में निर्माण समिति के चेयरमैन व पूर्व आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्यों में बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र व डॉक्टर अनिल मिश्र के साथ कार्यदायी संस्था टाटा कंसल्टेंसी व एलएनटी के एक्सपर्ट मौजूद रहे।
बिजली के लिए आधुनिक तकनीक का होगा इस्तेमाल
चंपत राय ने बताया कि बिजली के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग होगा। इसमें तार का उपयोग नहीं होगा। जिस तरह साउंड सिस्टम बिना तार का होता है, वैसे ही प्रकाश व्यवस्था होगी। मंदिर में हमेशा भजन बजता रहेगा। राम मंदिर की सुरक्षा भी विश्वस्तरीय होगी, जिसमें नवीनतम तकनीक का प्रयोग होगा। मैन पावर का उपयोग कम होगा।
मंदिर निर्माण में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से सहायता मांगी गई
चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के गर्भगृह का इस तरह निर्माण किया जाएगा जिससे सूर्य देव की किरणें रामलला तक आसानी से पहुंच सकें। साथ ही राम नवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मुखारविंद पर पड़े, इसको ध्यान में रख कर मंदिर निर्माण की रणनीति बनाई जा रही है।
इसके लिए सूर्य की खगोलीय स्थितियों पर अध्ययन भी शुरू हो गया है। इस शोध के नतीजे के आधार पर मंदिर बनाया जाएगा। इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशिष्ट तकनीक को अपनाने पर भी मंथन किया जा रहा है।
भगवान राम का जन्म सूर्य वंश में ही हुआ
धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान सूर्य के कुल में ही त्रेता काल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म दशरथ के पुत्र के रूप में हुआ। अयोध्या के दर्शन नगर में अभी भी भगवान श्रीराम के कुलदेवता सूर्य भगवान का भव्य मंदिर है। इस मंदिर में हर रविवार को अयोध्या सहित आसपास के श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं।
मंदिर के ठीक सामने प्राचीन सूर्य कुंड है जिसमें स्नान करने से लोगों को चर्म रोग से राहत मिलने की धारणा है। 35 करोड़ रुपए से प्रदेश सरकार इस कुंड का सुदंरीकरण करा रही है।
नवंबर से बनेगा राम चबूतरा
राम मंदिर की राफ्ट यानी आधार भूमि की ढलाई 1 अक्टूबर से चल रही है। डेढ़ मीटर ऊंचे राफ्ट में 17 खाने बनने हैं, जिसमें छह की ढलाई की जा चुकी है। अक्टूबर में ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। तीसरे चरण का कार्य नवंबर से शुरू होगा, जिस पर 16 फीट ऊंचे राम चबूतरा का निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके लिए पत्थर आने शुरू हो गए हैं।
2023 के दिसंबर तक नए मंदिर में विराजमान होकर दर्शन देने लगेंगे रामलला प्लिंथ के ऊपर लगाने के लिए मिर्जापुर के 4 फीट लंबी और 2 फीट चौड़े पत्थरों के 30 हजार ब्लाक बनने हैं। राम चबूतरा के लिए 4500 घन फीट में लगाए जाने के लिए बेंगलुरु से ट्रकों के माध्यम से पत्थर मंगाए जा रहे हैं। अगले साल अप्रैल माह से पहले राम मंदिर आकार लेने लगेगा। इसमें 2023 के दिसंबर तक रामलला विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देने लगेंगे।
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18 September 2025 12:36 PM
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