16 December 2022 12:56 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,व्यापारी से विवाद के बाद नगर निगम आयुक्त गोपालराम बिरदा को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। इतना ही नहीं उनका मुख्यालय जयपुर रखते हुए पाबंद किया है कि आला अधिकारी से अनुमति लेकर ही बाहर जाएंगे। उधर, सवाल खड़ा होरहा है कि दो साल से मेयर इन्हीं आयुक्त को हटाने के लिए धरना-प्रदर्शन करते रहे लेकिन सरकार ने कुछ दिन की छुटि्टयों के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की। अब अचानक निलंबन कैसे हो गया?
दरअसल, आयुक्त गोपालराम बिरदा ने व्यापारी संजय जैन के साथ बदसुलुकी की थी। संजय जैन के रिश्तेदारों ने इस पूरे मामले को लेकर सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यालय तक बात पहुंचा दी। विवाद बढ़ता देखकर मुख्यमंत्री कार्यालय से बिरदा को निलंबित करने के निर्देश जारी किए गए। व्यापारियों को आश्वासन दिया गया कि थोड़ी देर में सस्पेंड कर देंगे। महज दो-तीन घंटे में तो सस्पेंड करने के आदेश ही जारी हो गए। आदेश में बिरदा को मुख्यालय जयपुर सचिवालय करने के साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि आला अधिकारी से अनुमति के बिना वो अपना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।
पुरानी शिकायतें आधार बनी
दरअसल, मेयर सुशीला कंवर राजपुरोहित की ओर से पिछले दो साल में की गई शिकायतों के आधार पर ही निलंबित कर दिया गया। मेयर ने इन्हीं शिकायतों को लेकर कलक्टरी पर कई दिनों तक धरना दिया, बारिश और तूफान के बीच वहां बैठी रहीं लेकिन सरकार ने कुछ दिन की छुट्टी पर भेज दिया। अब उन्हीं शिकायतों के आधार पर निलंबन कर दिया गया।
अब बढ़ेगी मुश्किलें
अब बिरदा की मुश्किलें बढ़ने वाली है। दरअसल, व्यापारी के साथ अभद्रता करने के मामले में उनके खिलाफ सदर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अगर व्यापारियों ने इस मसले में धरना-प्रदर्शन जारी रखा तो इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। वहीं उनके खिलाफ चल रही जांचों में भी अब सरकार सख्ती दिखा सकती है। निलंबन के आदेश मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप से जारी हुए हैं, इसलिए बहाली के लिए भी मुख्यमंत्री कार्यालय से हरी झंडी मिलनी आवश्यक हो गई है। जो फिलहाल मुश्किल प्रतीत हो रही है।
आयुक्त पर एफआईआर, व्यापारी पर नहीं
खास बात ये है कि बिरदा अपनी गाड़ी में डालकर व्यापारी को थाने ले गए थे, जहां उनके खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज कराने का प्रयास किया। इसके उलट थाने में खुद बिरदा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 341, 342 व 427 के तहत मामला दर्ज हो गया। सामान्य मारपीट के इस मामले की छानबीन आरपीएस व सीओ सदर शालिनी बजाज को सौंपी गई है। उधर, व्यापारी संजय जैन पर कोई खास कार्रवाई नहीं की गई।
कांग्रेस भाजपा दोनों विरोध में
बिरदा का विरोध सिर्फ भाजपा मेयर और पार्षद ही नहीं कर रहे थे बल्कि सत्ता पक्ष के कांग्रेसी पार्षद भी कर रहे थे। पिछले महीनों में दोनों पार्टियों ने आयुक्त के खिलाफ प्रदर्शन किए, धरना दिया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। यहां तक कि खुद मेयर ने धरना दिया। अब व्यापारी के साथ उलझने के कुछ देर में ही निलंबन आदेश जारी हो गए।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,व्यापारी से विवाद के बाद नगर निगम आयुक्त गोपालराम बिरदा को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। इतना ही नहीं उनका मुख्यालय जयपुर रखते हुए पाबंद किया है कि आला अधिकारी से अनुमति लेकर ही बाहर जाएंगे। उधर, सवाल खड़ा होरहा है कि दो साल से मेयर इन्हीं आयुक्त को हटाने के लिए धरना-प्रदर्शन करते रहे लेकिन सरकार ने कुछ दिन की छुटि्टयों के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की। अब अचानक निलंबन कैसे हो गया?
दरअसल, आयुक्त गोपालराम बिरदा ने व्यापारी संजय जैन के साथ बदसुलुकी की थी। संजय जैन के रिश्तेदारों ने इस पूरे मामले को लेकर सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यालय तक बात पहुंचा दी। विवाद बढ़ता देखकर मुख्यमंत्री कार्यालय से बिरदा को निलंबित करने के निर्देश जारी किए गए। व्यापारियों को आश्वासन दिया गया कि थोड़ी देर में सस्पेंड कर देंगे। महज दो-तीन घंटे में तो सस्पेंड करने के आदेश ही जारी हो गए। आदेश में बिरदा को मुख्यालय जयपुर सचिवालय करने के साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि आला अधिकारी से अनुमति के बिना वो अपना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।
पुरानी शिकायतें आधार बनी
दरअसल, मेयर सुशीला कंवर राजपुरोहित की ओर से पिछले दो साल में की गई शिकायतों के आधार पर ही निलंबित कर दिया गया। मेयर ने इन्हीं शिकायतों को लेकर कलक्टरी पर कई दिनों तक धरना दिया, बारिश और तूफान के बीच वहां बैठी रहीं लेकिन सरकार ने कुछ दिन की छुट्टी पर भेज दिया। अब उन्हीं शिकायतों के आधार पर निलंबन कर दिया गया।
अब बढ़ेगी मुश्किलें
अब बिरदा की मुश्किलें बढ़ने वाली है। दरअसल, व्यापारी के साथ अभद्रता करने के मामले में उनके खिलाफ सदर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अगर व्यापारियों ने इस मसले में धरना-प्रदर्शन जारी रखा तो इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। वहीं उनके खिलाफ चल रही जांचों में भी अब सरकार सख्ती दिखा सकती है। निलंबन के आदेश मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप से जारी हुए हैं, इसलिए बहाली के लिए भी मुख्यमंत्री कार्यालय से हरी झंडी मिलनी आवश्यक हो गई है। जो फिलहाल मुश्किल प्रतीत हो रही है।
आयुक्त पर एफआईआर, व्यापारी पर नहीं
खास बात ये है कि बिरदा अपनी गाड़ी में डालकर व्यापारी को थाने ले गए थे, जहां उनके खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज कराने का प्रयास किया। इसके उलट थाने में खुद बिरदा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 341, 342 व 427 के तहत मामला दर्ज हो गया। सामान्य मारपीट के इस मामले की छानबीन आरपीएस व सीओ सदर शालिनी बजाज को सौंपी गई है। उधर, व्यापारी संजय जैन पर कोई खास कार्रवाई नहीं की गई।
कांग्रेस भाजपा दोनों विरोध में
बिरदा का विरोध सिर्फ भाजपा मेयर और पार्षद ही नहीं कर रहे थे बल्कि सत्ता पक्ष के कांग्रेसी पार्षद भी कर रहे थे। पिछले महीनों में दोनों पार्टियों ने आयुक्त के खिलाफ प्रदर्शन किए, धरना दिया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। यहां तक कि खुद मेयर ने धरना दिया। अब व्यापारी के साथ उलझने के कुछ देर में ही निलंबन आदेश जारी हो गए।
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