23 July 2021 05:39 PM
बीकानेर राजस्थान लोक सेवा आयोग की अभी-अभी संपन्न हुई आर ए एस 2018 भर्ती परीक्षा में राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा जी के निजी रिश्तेदारों के साक्षात्कार में एक समान अंक आने के दुर्लभ संयोग , आरपीएससी में कार्यरत एक कर्मचारी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा की गई ट्रेप की कार्यवाही और उससे सम्बंधित आरपीएससी की एक मेम्बर पर उठ रहे सवालों तथा आज के समाचार पत्र में आरपीएससी की भर्ती से जुड़े एक दलाल के वाट्सएप चेट के उजागर होने के तथ्यों से पूरी भर्ती प्रक्रिया सन्देह के घेरे में आ गई है । सरकार ने जिस आयोग को राज्य की सेवाओं के लिए निष्पक्ष और सर्वश्रेष्ठ के चयन का जिम्मा दिया है उस एजेंसी की कार्यप्रणाली से उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है ।
राज्य सेवाओं में चयन की प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार की अनिवार्यता के चलते आरपीएससी हमेशा से सवालों के घेरे में रही है और खासतौर से जब जब कांग्रेस पार्टी की सरकार होती है तब तब आरपीएससी की साख पर बट्टा लगता है । केंद्र सरकार ने जब बहुत सी अधीनस्थ सेवाओं में इंटरव्यू की बाध्यता को समाप्त कर दिया है उसके बावजूद राज्य में आरपीएससी के द्वारा बहुत ही सेवाओं में इंटरव्यू की बाध्यता बरकरार रखी गई है। कुल मिलाकर यह आयोग भ्रष्टाचार का बड़ा केंद्र बन गया है। हालांकि जब भूपेंद्र सिंह यादव जैसे ईमानदार अफसर को आरपीएससी का चेयरमैन बनाया था तब यह उम्मीद जगी थी कि अब आरपीएससी में योग्यतम अभ्यर्थी का ही चयन होगा लेकिन आर आर एस 2018 भर्ती परीक्षाओं के परिणामों के बाद उठे विवादों से निराशा ही हाथ लगी है। पूरी साक्षात्कार प्रक्रिया संदेह के घेरे में हैं ।
अतः इस प्रेस वार्ता के माध्यम से हम मांग करते हैं कि-
1 . आरएएस 2018 भर्ती परीक्षा की न्यायिक जांच करवाई जाकर इसकी वास्तविक गड़बड़ियों को उजागर किया जाए और दोषियों को दंडित किया जाए । ताकि जो मेहनतकश बच्चे योग्य सेवाओं के हकदार थे उनको वंचित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके ।
2. आरपीएससी की विकृत हो चुकी साक्षात्कार प्रक्रिया को पूर्ण रूप से समाप्त करने की मांग करते हैं । यदि अत्यधिक आवश्यक हो तो इसे पारदर्शिता पूर्वक केवल क्वालीफाइंग ही रखा जाए जिसका मेरिट पर कोई असर नहीं हो जिससे योग्यतम व्यक्ति का न्याय पूर्ण एवं निष्पक्ष चयन हो सके।
3. हमारे देश में राजनीतिक व्यक्तियों पर आरोप लगने पर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की समृद्ध परंपरा रही है और अपने परिजनों को अनड्यू बेनिफिट (अवांछित लाभ) देने के आरोप के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा जी का इस्तीफा न देना शर्मनाक है । मैं मीडिया माध्यम से उनसे इस्तीफे की मांग करता हूं साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से भी मांग करता हूं कि संबंधित प्रकरण की जांच जारी रहने तक उन्हें मंत्री पद से मुक्त किया जाए ताकि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो सके ।
चूंकि कल श्री डोटासरा जी ने अपने पर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया दी है उसी सन्दर्भ में मैं आपके माध्यम से उनसे पांच सवालों के जबाब चाहता हूं ।
1. क्या आरएएस भर्ती परीक्षा 2018 में डोटासरा जी ने अपने निजी रिश्तेदारों को साक्षात्कार प्रक्रिया में अवांछित लाभ पहुंचाकर अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया है ?
2. क्या उनके समधी जो क्रीमीलेयर श्रेणी में आते है उन्होंने फर्जी नॉन क्रीमीलेयर ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाकर वास्तविक पिछड़े ओबीसी अभ्यर्थियों के हकों पर कुठाराघात नहीं किया है ?
3. कलाम कोचिंग सेंटर सीकर से डोटासरा परिवार का क्या सम्बन्ध है ? राज्य में कांग्रेस सरकार आने के बाद हुई सरकारी भर्तियों में अविश्वसनीय रूप से अत्यधिक चयन इस इंस्टीट्यूट से हुए है उससे यह सिद्ध होता है कि सरकारी नौकरियों में भर्ती का रैकेट यहां से संचालित हो रहा है , क्या इसमें डोटासरा परिवार के किसी सदस्य की संलिप्तता नहीं है ?
4. क्या डोटासरा जी ने सीकर जिले के निवासियों और कलाम कोचिंग से पढ़कर सरकारी सेवाओं में आए लोगों का नियम विरुद्ध स्थानांतरण नहीं किया है ? क्या शिक्षा विभाग में दो साल के प्रोबेशन के दौरान स्थानांतरण न होने के नियम के विरुद्ध तबादले नहीं किए है ?
5. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे देशभक्त संगठन के एक पदाधिकारी को जेल में डालने की बात डोटासरा जी किस हैसियत से कह रहे है ? क्या वे राज्य के गृहमंत्री , पुलिस चीफ या इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर है ? अगर नहीं तो उन्हें यह बात कहने का अधिकार किसने दिया है ?
मैं मीडिया के माध्यम से डोटासरा जी से इन सवालों के जबाब चाहता हूं । कल उन्होंने चेतावनी दी थी , दम्भी भाषा का उपयोग करते हुए आरएसएस को लेकर अनर्गल बातें कही थी तथा इस मामले को जातिगत रंग देने की कोशिश की थी । अगर डोटासरा परिवार निर्दोष है तो उन्हें किसी जांच से तकलीफ नहीं होनी चाहिए ।
भा ज पा. नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत की प्रेस वार्ता मे डॉ. अशोक भाटी ( एडवोकेट ) साथ रहे
बीकानेर राजस्थान लोक सेवा आयोग की अभी-अभी संपन्न हुई आर ए एस 2018 भर्ती परीक्षा में राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा जी के निजी रिश्तेदारों के साक्षात्कार में एक समान अंक आने के दुर्लभ संयोग , आरपीएससी में कार्यरत एक कर्मचारी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा की गई ट्रेप की कार्यवाही और उससे सम्बंधित आरपीएससी की एक मेम्बर पर उठ रहे सवालों तथा आज के समाचार पत्र में आरपीएससी की भर्ती से जुड़े एक दलाल के वाट्सएप चेट के उजागर होने के तथ्यों से पूरी भर्ती प्रक्रिया सन्देह के घेरे में आ गई है । सरकार ने जिस आयोग को राज्य की सेवाओं के लिए निष्पक्ष और सर्वश्रेष्ठ के चयन का जिम्मा दिया है उस एजेंसी की कार्यप्रणाली से उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है ।
राज्य सेवाओं में चयन की प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार की अनिवार्यता के चलते आरपीएससी हमेशा से सवालों के घेरे में रही है और खासतौर से जब जब कांग्रेस पार्टी की सरकार होती है तब तब आरपीएससी की साख पर बट्टा लगता है । केंद्र सरकार ने जब बहुत सी अधीनस्थ सेवाओं में इंटरव्यू की बाध्यता को समाप्त कर दिया है उसके बावजूद राज्य में आरपीएससी के द्वारा बहुत ही सेवाओं में इंटरव्यू की बाध्यता बरकरार रखी गई है। कुल मिलाकर यह आयोग भ्रष्टाचार का बड़ा केंद्र बन गया है। हालांकि जब भूपेंद्र सिंह यादव जैसे ईमानदार अफसर को आरपीएससी का चेयरमैन बनाया था तब यह उम्मीद जगी थी कि अब आरपीएससी में योग्यतम अभ्यर्थी का ही चयन होगा लेकिन आर आर एस 2018 भर्ती परीक्षाओं के परिणामों के बाद उठे विवादों से निराशा ही हाथ लगी है। पूरी साक्षात्कार प्रक्रिया संदेह के घेरे में हैं ।
अतः इस प्रेस वार्ता के माध्यम से हम मांग करते हैं कि-
1 . आरएएस 2018 भर्ती परीक्षा की न्यायिक जांच करवाई जाकर इसकी वास्तविक गड़बड़ियों को उजागर किया जाए और दोषियों को दंडित किया जाए । ताकि जो मेहनतकश बच्चे योग्य सेवाओं के हकदार थे उनको वंचित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके ।
2. आरपीएससी की विकृत हो चुकी साक्षात्कार प्रक्रिया को पूर्ण रूप से समाप्त करने की मांग करते हैं । यदि अत्यधिक आवश्यक हो तो इसे पारदर्शिता पूर्वक केवल क्वालीफाइंग ही रखा जाए जिसका मेरिट पर कोई असर नहीं हो जिससे योग्यतम व्यक्ति का न्याय पूर्ण एवं निष्पक्ष चयन हो सके।
3. हमारे देश में राजनीतिक व्यक्तियों पर आरोप लगने पर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की समृद्ध परंपरा रही है और अपने परिजनों को अनड्यू बेनिफिट (अवांछित लाभ) देने के आरोप के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा जी का इस्तीफा न देना शर्मनाक है । मैं मीडिया माध्यम से उनसे इस्तीफे की मांग करता हूं साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से भी मांग करता हूं कि संबंधित प्रकरण की जांच जारी रहने तक उन्हें मंत्री पद से मुक्त किया जाए ताकि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो सके ।
चूंकि कल श्री डोटासरा जी ने अपने पर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया दी है उसी सन्दर्भ में मैं आपके माध्यम से उनसे पांच सवालों के जबाब चाहता हूं ।
1. क्या आरएएस भर्ती परीक्षा 2018 में डोटासरा जी ने अपने निजी रिश्तेदारों को साक्षात्कार प्रक्रिया में अवांछित लाभ पहुंचाकर अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया है ?
2. क्या उनके समधी जो क्रीमीलेयर श्रेणी में आते है उन्होंने फर्जी नॉन क्रीमीलेयर ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाकर वास्तविक पिछड़े ओबीसी अभ्यर्थियों के हकों पर कुठाराघात नहीं किया है ?
3. कलाम कोचिंग सेंटर सीकर से डोटासरा परिवार का क्या सम्बन्ध है ? राज्य में कांग्रेस सरकार आने के बाद हुई सरकारी भर्तियों में अविश्वसनीय रूप से अत्यधिक चयन इस इंस्टीट्यूट से हुए है उससे यह सिद्ध होता है कि सरकारी नौकरियों में भर्ती का रैकेट यहां से संचालित हो रहा है , क्या इसमें डोटासरा परिवार के किसी सदस्य की संलिप्तता नहीं है ?
4. क्या डोटासरा जी ने सीकर जिले के निवासियों और कलाम कोचिंग से पढ़कर सरकारी सेवाओं में आए लोगों का नियम विरुद्ध स्थानांतरण नहीं किया है ? क्या शिक्षा विभाग में दो साल के प्रोबेशन के दौरान स्थानांतरण न होने के नियम के विरुद्ध तबादले नहीं किए है ?
5. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे देशभक्त संगठन के एक पदाधिकारी को जेल में डालने की बात डोटासरा जी किस हैसियत से कह रहे है ? क्या वे राज्य के गृहमंत्री , पुलिस चीफ या इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर है ? अगर नहीं तो उन्हें यह बात कहने का अधिकार किसने दिया है ?
मैं मीडिया के माध्यम से डोटासरा जी से इन सवालों के जबाब चाहता हूं । कल उन्होंने चेतावनी दी थी , दम्भी भाषा का उपयोग करते हुए आरएसएस को लेकर अनर्गल बातें कही थी तथा इस मामले को जातिगत रंग देने की कोशिश की थी । अगर डोटासरा परिवार निर्दोष है तो उन्हें किसी जांच से तकलीफ नहीं होनी चाहिए ।
भा ज पा. नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत की प्रेस वार्ता मे डॉ. अशोक भाटी ( एडवोकेट ) साथ रहे
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