28 July 2021 02:10 PM
बीकानेर, पलसाना कस्बे के जयपुर रोड पर भदाला की ढाणी स्थित श्रीकृष्णा ऑयल कम्पनी पर अवैध डीजल बेचने और स्वीकृति से ज्यादा स्टॉक रखने को लेकर रानोली थाने में की गई शिकायत के बाद पुलिस और शिकायत कर्ताओं में हुए विवाद की जांच अब एसओजी कर रही है। एसओजी की टीम सोमवार को संबंधित ऑयल कम्पनी पर मामले की जांच करने पहुंची। टीम ने रानोली थाने से भी मामले को लेकर पूरी जानकारी जुटाने के साथ ही थाने में दर्ज हुए मामलों का रिकार्ड जुटाया है।
एसओजी यूनिट अजमेर के निरीक्षक भूराराम खिलेरी ने बताया कि डीजी के पास परिवादी हनुमान सहाय बजाड़ोलिया की ओर से पूरे घटनाक्रम को लेकर शिकायत करने के बाद मामले में निष्पक्ष जांच के लिए डीजी की ओर से एसओजी को आदेश किए थे। इसके बाद मुझे मामले में जांच करने के निर्देश मिले थे। सीआई खिलेरी ने बताया कि परिवादी की ओर से आरोप लगाया गया था कि उसके भाई महावीर प्रसाद जो कि बीकानेर पुलिस में हेड कांस्टेबल है। महावीर ने 29 जून को भदाला की ढाणी स्थित श्रीकृष्णा ऑयल कम्पनी पर अवैध डीजल बेचने और बॉयोडीजल के नाम पर स्वीकृत स्टॉक क्षमता से अधिक डीजल रखने को लेकर रानोली थाने में शिकायत की थी। लेकिन इसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता महावीर प्रसाद और उसके दो भाईयों हनुमान सहाय व सांवरमल को ही शांतिभंग में गिरफ्तार कर लिया था। बाद में शाम को तीनों को जमानत पर छोड़ भी दिया गया था। इसके बाद अगले दिन पुलिस ने तीनों के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज किया था। साथ ही इसके अगले दिन श्रीकृष्णा ऑयल कम्पनी के मालिक विजेन्द्र की ओर से भी लूट का मामला दर्ज करवाया गया था। हनुमान प्रसाद की ओर से डीजी को की गई शिकायत के बाद डीजी ने मामले में निष्पक्ष जांच के लिए एसओजी को आदेश दिए थे। इसके बाद एसओजी अजमेर यूनिट की टीम मामले में जांच के लिए पलसाना पहुंची। सीआई खिलेरी ने बताया कि शिकायत को लेकर टीम ने संबंधित बॉयोडीजल कम्पनी पर जाकर जांच की है। साथ ही रानोली थाने से पूरे घटनाक्रम को लेकर रिकार्ड भी अपने कब्जे में लिया है। टीम अब एडीजी एटीएस एंड एसओजी को जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
एसओजी सीआई भूराराम खिलेरी ने बताया मामले की जांच के लिए जब संबंधित कम्पनी पर पहुंचे तो वहां पर बीस- बीस हजार लीटर के टैंक जमीन में दबाए हुए मिले। बाद में जब टीम ने ऑयल कम्पनी को लाईसेंस जारी करने वाली फर्म से बात की तो उन्होने बताया कि लाईसेंस इस प्रकार का दिया हुआ कि स्वीकृत वाहन से दो हजार लीटर बॉयोडीजल लेकर जाए और उसे बेचने के बाद फिर से लेकर जाए। बॉयोडीजल का स्टॉक नही कर सकते।
बीकानेर, पलसाना कस्बे के जयपुर रोड पर भदाला की ढाणी स्थित श्रीकृष्णा ऑयल कम्पनी पर अवैध डीजल बेचने और स्वीकृति से ज्यादा स्टॉक रखने को लेकर रानोली थाने में की गई शिकायत के बाद पुलिस और शिकायत कर्ताओं में हुए विवाद की जांच अब एसओजी कर रही है। एसओजी की टीम सोमवार को संबंधित ऑयल कम्पनी पर मामले की जांच करने पहुंची। टीम ने रानोली थाने से भी मामले को लेकर पूरी जानकारी जुटाने के साथ ही थाने में दर्ज हुए मामलों का रिकार्ड जुटाया है।
एसओजी यूनिट अजमेर के निरीक्षक भूराराम खिलेरी ने बताया कि डीजी के पास परिवादी हनुमान सहाय बजाड़ोलिया की ओर से पूरे घटनाक्रम को लेकर शिकायत करने के बाद मामले में निष्पक्ष जांच के लिए डीजी की ओर से एसओजी को आदेश किए थे। इसके बाद मुझे मामले में जांच करने के निर्देश मिले थे। सीआई खिलेरी ने बताया कि परिवादी की ओर से आरोप लगाया गया था कि उसके भाई महावीर प्रसाद जो कि बीकानेर पुलिस में हेड कांस्टेबल है। महावीर ने 29 जून को भदाला की ढाणी स्थित श्रीकृष्णा ऑयल कम्पनी पर अवैध डीजल बेचने और बॉयोडीजल के नाम पर स्वीकृत स्टॉक क्षमता से अधिक डीजल रखने को लेकर रानोली थाने में शिकायत की थी। लेकिन इसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता महावीर प्रसाद और उसके दो भाईयों हनुमान सहाय व सांवरमल को ही शांतिभंग में गिरफ्तार कर लिया था। बाद में शाम को तीनों को जमानत पर छोड़ भी दिया गया था। इसके बाद अगले दिन पुलिस ने तीनों के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज किया था। साथ ही इसके अगले दिन श्रीकृष्णा ऑयल कम्पनी के मालिक विजेन्द्र की ओर से भी लूट का मामला दर्ज करवाया गया था। हनुमान प्रसाद की ओर से डीजी को की गई शिकायत के बाद डीजी ने मामले में निष्पक्ष जांच के लिए एसओजी को आदेश दिए थे। इसके बाद एसओजी अजमेर यूनिट की टीम मामले में जांच के लिए पलसाना पहुंची। सीआई खिलेरी ने बताया कि शिकायत को लेकर टीम ने संबंधित बॉयोडीजल कम्पनी पर जाकर जांच की है। साथ ही रानोली थाने से पूरे घटनाक्रम को लेकर रिकार्ड भी अपने कब्जे में लिया है। टीम अब एडीजी एटीएस एंड एसओजी को जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
एसओजी सीआई भूराराम खिलेरी ने बताया मामले की जांच के लिए जब संबंधित कम्पनी पर पहुंचे तो वहां पर बीस- बीस हजार लीटर के टैंक जमीन में दबाए हुए मिले। बाद में जब टीम ने ऑयल कम्पनी को लाईसेंस जारी करने वाली फर्म से बात की तो उन्होने बताया कि लाईसेंस इस प्रकार का दिया हुआ कि स्वीकृत वाहन से दो हजार लीटर बॉयोडीजल लेकर जाए और उसे बेचने के बाद फिर से लेकर जाए। बॉयोडीजल का स्टॉक नही कर सकते।
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