13 March 2022 03:48 PM
जोग संजोग टाइम्स ,बीकानेर
कालीबंगा कैंची स्थित रजत पैलेस में 21 कुंडीय दुख निवारण श्री रामदेव महायज्ञ का आयोजन कर विश्व कल्याण की कामना की गई। इस महायज्ञ में महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सहित सैंकड़ों इलाकावासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। रामदेवरा से पधारे संत मूलयोगीराज महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने विश्व कल्याण की कामना करते हुए आहुतियां दी।
मूलयोगीराज महाराज ने बताया कि बाबा श्रीरामदेव सब संकटों का हरण करने वाले हैं। जो बाबा के दरबार में आता है उसके सब दुख दूर होते हैं। इससे पूर्व रात्रि में भजन संध्या का आयोजन हुआ जिसमें मूलयोगीराज जी महाराज ने बाबा रामदेव से जुड़ी हुई प्रमाणिक जानकारियां दी।
भजन संध्या का आरंभ राजस्थानी महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की अमर कृति धरती धोरां री गाई तो लोग झूम उठे। उन्होंने कहा कि संतों, वीरों, वीरांगनाओं, दानवीरों, महापुरुषों की धरती पर स्वयं देवता भी रमण करने आते हैं। इसी भूमि पर बाबा श्रीरामदेव ने अवतार लिया है। साध्वी शशि गौतम और भजन मंडली द्वारा ठेट राजस्थानी में संगीतमय एक से बढ़कर एक भजन किए गए।
मूलयोगीराज महाराज ने राजस्थानी में छपे हुए पम्फलैट और बैनरों की तारीफ करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा से बढ़कर कोई मीठी भाषा नहीं हो सकती। मायड़ भाषा राजस्थानी को जल्दी से जल्दी मान्यता दी जानी चाहिए क्योंकि हमारी पहचान ही राजस्थानी है।
21 कुंडीय श्रीरामदेव महायज्ञ के पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बाबा का लंगर बरताया गया। प्रवक्ता अशोक चुघ ने कार्यक्रम में पधारे हुए श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए हम सब को आगे आना होगा।
आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान से जुड़कर राजस्थानी को व्यवहार की भाषा बनाकर सबसे पहले खुद मान्यता देनी होगी। राजस्थानी भाषा से ही राजस्थानी संस्कृति और संस्कार जुड़े हुए हैं इसलिए राजस्थानी भाषा को अपनाकर हम अपनी संस्कृति और संस्कारों की रक्षा कर सकते हैं। राजस्थानी भाषा और संस्कृति हमारी आने वाली पीढ़ियों की धरोहर है
जोग संजोग टाइम्स ,बीकानेर
कालीबंगा कैंची स्थित रजत पैलेस में 21 कुंडीय दुख निवारण श्री रामदेव महायज्ञ का आयोजन कर विश्व कल्याण की कामना की गई। इस महायज्ञ में महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सहित सैंकड़ों इलाकावासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। रामदेवरा से पधारे संत मूलयोगीराज महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने विश्व कल्याण की कामना करते हुए आहुतियां दी।
मूलयोगीराज महाराज ने बताया कि बाबा श्रीरामदेव सब संकटों का हरण करने वाले हैं। जो बाबा के दरबार में आता है उसके सब दुख दूर होते हैं। इससे पूर्व रात्रि में भजन संध्या का आयोजन हुआ जिसमें मूलयोगीराज जी महाराज ने बाबा रामदेव से जुड़ी हुई प्रमाणिक जानकारियां दी।
भजन संध्या का आरंभ राजस्थानी महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की अमर कृति धरती धोरां री गाई तो लोग झूम उठे। उन्होंने कहा कि संतों, वीरों, वीरांगनाओं, दानवीरों, महापुरुषों की धरती पर स्वयं देवता भी रमण करने आते हैं। इसी भूमि पर बाबा श्रीरामदेव ने अवतार लिया है। साध्वी शशि गौतम और भजन मंडली द्वारा ठेट राजस्थानी में संगीतमय एक से बढ़कर एक भजन किए गए।
मूलयोगीराज महाराज ने राजस्थानी में छपे हुए पम्फलैट और बैनरों की तारीफ करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा से बढ़कर कोई मीठी भाषा नहीं हो सकती। मायड़ भाषा राजस्थानी को जल्दी से जल्दी मान्यता दी जानी चाहिए क्योंकि हमारी पहचान ही राजस्थानी है।
21 कुंडीय श्रीरामदेव महायज्ञ के पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बाबा का लंगर बरताया गया। प्रवक्ता अशोक चुघ ने कार्यक्रम में पधारे हुए श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए हम सब को आगे आना होगा।
आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान से जुड़कर राजस्थानी को व्यवहार की भाषा बनाकर सबसे पहले खुद मान्यता देनी होगी। राजस्थानी भाषा से ही राजस्थानी संस्कृति और संस्कार जुड़े हुए हैं इसलिए राजस्थानी भाषा को अपनाकर हम अपनी संस्कृति और संस्कारों की रक्षा कर सकते हैं। राजस्थानी भाषा और संस्कृति हमारी आने वाली पीढ़ियों की धरोहर है
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