19 December 2022 01:05 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
अब राजस्थान से लगी करीब 1000 किमी लंबी अंतराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए स्ट्रीट डॉग्स की मदद ली जाएगी। बीकानेर सेक्टर की सखी बीओपी पर स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन डॉग्स को अजनबियों को पहचानने और अलर्ट करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस सफल प्रयोग के बाद देश की करीब 6300 किमी लंबी अंतराष्ट्रीय सीमा पर स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेंड किया जाएगा। इसके अलावा बीएसएफ की सीमा चौकियों पर देसी नस्ल के ट्रेंड डॉग्स भी तैनात किए गए हैं, जो सूंघ कर दुश्मन को पकड़ने में एक्सपर्ट हैं। बीएसएफ के डीजी पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि स्ट्रीट डॉग्स की तैनाती करना आसान है। ये स्थानीय वातावरण में आसानी से रह सकते हैं, इसलिए इनका रखरखाव भी अपेक्षाकृत कम खर्चीला है। देश में बीएसफ के सभी सेक्टर को 35-35 स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेंड करने को कहा गया है।
बीएसएफ ने राजस्थान फ्रंटियर की उन सभी बॉर्डर पोस्ट पर रामपुर हाउंड नस्ल के देसी डॉग्स भेजे गए हैं, जहां घुसपैठ और तस्करी की घटनाएं ज्यादा होती हैं । ये गार्ड डॉग हैं, जो पेट्रोलिंग और चेकिंग के दौरान दुश्मन को खोजने में मददगार होंगे । अनजान शख्स को बीओपी एरिया में दाखिल नहीं होने देंगे। हरकत होते ही जवान को अलर्ट कर देंगे। चूंकि इस नस्ल के ट्रेंड डॉग अभी ज्यादा संख्या में उपलब्ध नही हैं। इसलिए बीएसएफ ने स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेंड करने का रास्ता खोज निकाला है। अब बीओपी एरिया में आवारा डॉग्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उनके रख रखाव और खान-पान की व्यवस्था भी अलग से की जा रही है। बॉर्डर पर निगरानी के लिए बनाए नाका मचान के पास ही इनके रहने के लिए झोंपड़े बनाए जा रहे हैं। उनका वैक्सीनेशन भी कराया जा रहा है। वेटरनरी डॉक्टर उनका रुटीन चेकअप करने भी आते हैं। बीएसएफ के डॉग हैंडलर उन्हें ट्रेंनिंग दे रहे हैं। इन डॉग्स को वर्दीधारी और सिविलियन के बीच का फर्क समझाया जा रहा है। ये डॉग तारबंदी के आसपास ही रहेंगे। उन्हें इस तरह ट्रेंड किया जा रहा है कि किसी अनजान व्यक्ति के दूर से ही नजर आने पर जवान को चौकन्ना कर दें।
लोकल डॉग्स भरोसेमंद इसलिए
सशस्त्र बलों में अब तक विदेशी नस्ल के जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर डॉग को ही भरोमंद माना जाता रहा है। बीएसएफ ने पहली बार स्ट्रीट डॉग्स को प्रशिक्षित करके बॉर्डर की सुरक्षा में इस्तेमाल करने का काम शुरू किया है। इसका मुख्य कारण यह है कि विदेशी नस्ल के डॉग महंगे आते हैं। उनका रख रखाव भी काफी खर्चीला होता है। उन्हें एक खास तरह के वातावरण में ही रखना पड़ता है। जबकि लोकल डॉग वहीं के वातावरण में पैदा होने के कारण आसानी से रह सकते हैं। इन्हें स्थानीय लोगों और इलाके की भी पहचान होती है। उनका रखरखाव अपेक्षाकृत कम खर्चीला होता है। पश्चिमी सरहद पर गर्मी में 50 डिग्री और सर्दी में पारा माइनस तक चला जाता है। लोकल डॉग्स दोनों ही तरह के मौसम में रहने के आदी होते हैं।
6300 किमी लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्ट्रीट डॉग्स
बीएसएफ पाकिस्तान और अन्य देशों से सटी देश की लगभग 6300 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा करता है। लोकल डॉग्स इस सीमा के नए प्रहरी होंगे। बीएसएफ की करीब 192 बटालियन्स के दायरे में आने वाली सभी बीओपी पर उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है।
इन राज्यों की सीमा पर तैनात बीएसएफ
राजस्थान, गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ कहीं पाकिस्तानी आतंकियों तो कहीं उल्फा और नक्सलियों सहित अन्य विद्रोहियों से देश की सुरक्षा के लिए तैनात है। इन सभी राज्यों में स्ट्रीट डॉग्स को सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
मोदी के सामने रखा था इन डॉग्स का शो
बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि बीएसएफ में सुरक्षा के लिए लोकल डॉग्स को महत्व दिया जा रहा है। सभी से कहा गया है कि वे अपने इलाके के लोकल डॉग को ट्रेंड करें, जिससे वे सुरक्षा में सहयोगी बन सकें। दरअसल प्रधानमंत्री के समक्ष कुछ देसी डॉग्स का शो रखा गया था। उन्हें यह आइडिया काफी पसंद आया। उसके बाद हमने देसी नस्ल के डॉग की ट्रेंनिंग शुरू की।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
अब राजस्थान से लगी करीब 1000 किमी लंबी अंतराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए स्ट्रीट डॉग्स की मदद ली जाएगी। बीकानेर सेक्टर की सखी बीओपी पर स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन डॉग्स को अजनबियों को पहचानने और अलर्ट करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस सफल प्रयोग के बाद देश की करीब 6300 किमी लंबी अंतराष्ट्रीय सीमा पर स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेंड किया जाएगा। इसके अलावा बीएसएफ की सीमा चौकियों पर देसी नस्ल के ट्रेंड डॉग्स भी तैनात किए गए हैं, जो सूंघ कर दुश्मन को पकड़ने में एक्सपर्ट हैं। बीएसएफ के डीजी पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि स्ट्रीट डॉग्स की तैनाती करना आसान है। ये स्थानीय वातावरण में आसानी से रह सकते हैं, इसलिए इनका रखरखाव भी अपेक्षाकृत कम खर्चीला है। देश में बीएसफ के सभी सेक्टर को 35-35 स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेंड करने को कहा गया है।
बीएसएफ ने राजस्थान फ्रंटियर की उन सभी बॉर्डर पोस्ट पर रामपुर हाउंड नस्ल के देसी डॉग्स भेजे गए हैं, जहां घुसपैठ और तस्करी की घटनाएं ज्यादा होती हैं । ये गार्ड डॉग हैं, जो पेट्रोलिंग और चेकिंग के दौरान दुश्मन को खोजने में मददगार होंगे । अनजान शख्स को बीओपी एरिया में दाखिल नहीं होने देंगे। हरकत होते ही जवान को अलर्ट कर देंगे। चूंकि इस नस्ल के ट्रेंड डॉग अभी ज्यादा संख्या में उपलब्ध नही हैं। इसलिए बीएसएफ ने स्ट्रीट डॉग्स को ट्रेंड करने का रास्ता खोज निकाला है। अब बीओपी एरिया में आवारा डॉग्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उनके रख रखाव और खान-पान की व्यवस्था भी अलग से की जा रही है। बॉर्डर पर निगरानी के लिए बनाए नाका मचान के पास ही इनके रहने के लिए झोंपड़े बनाए जा रहे हैं। उनका वैक्सीनेशन भी कराया जा रहा है। वेटरनरी डॉक्टर उनका रुटीन चेकअप करने भी आते हैं। बीएसएफ के डॉग हैंडलर उन्हें ट्रेंनिंग दे रहे हैं। इन डॉग्स को वर्दीधारी और सिविलियन के बीच का फर्क समझाया जा रहा है। ये डॉग तारबंदी के आसपास ही रहेंगे। उन्हें इस तरह ट्रेंड किया जा रहा है कि किसी अनजान व्यक्ति के दूर से ही नजर आने पर जवान को चौकन्ना कर दें।
लोकल डॉग्स भरोसेमंद इसलिए
सशस्त्र बलों में अब तक विदेशी नस्ल के जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर डॉग को ही भरोमंद माना जाता रहा है। बीएसएफ ने पहली बार स्ट्रीट डॉग्स को प्रशिक्षित करके बॉर्डर की सुरक्षा में इस्तेमाल करने का काम शुरू किया है। इसका मुख्य कारण यह है कि विदेशी नस्ल के डॉग महंगे आते हैं। उनका रख रखाव भी काफी खर्चीला होता है। उन्हें एक खास तरह के वातावरण में ही रखना पड़ता है। जबकि लोकल डॉग वहीं के वातावरण में पैदा होने के कारण आसानी से रह सकते हैं। इन्हें स्थानीय लोगों और इलाके की भी पहचान होती है। उनका रखरखाव अपेक्षाकृत कम खर्चीला होता है। पश्चिमी सरहद पर गर्मी में 50 डिग्री और सर्दी में पारा माइनस तक चला जाता है। लोकल डॉग्स दोनों ही तरह के मौसम में रहने के आदी होते हैं।
6300 किमी लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्ट्रीट डॉग्स
बीएसएफ पाकिस्तान और अन्य देशों से सटी देश की लगभग 6300 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा करता है। लोकल डॉग्स इस सीमा के नए प्रहरी होंगे। बीएसएफ की करीब 192 बटालियन्स के दायरे में आने वाली सभी बीओपी पर उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है।
इन राज्यों की सीमा पर तैनात बीएसएफ
राजस्थान, गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ कहीं पाकिस्तानी आतंकियों तो कहीं उल्फा और नक्सलियों सहित अन्य विद्रोहियों से देश की सुरक्षा के लिए तैनात है। इन सभी राज्यों में स्ट्रीट डॉग्स को सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
मोदी के सामने रखा था इन डॉग्स का शो
बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि बीएसएफ में सुरक्षा के लिए लोकल डॉग्स को महत्व दिया जा रहा है। सभी से कहा गया है कि वे अपने इलाके के लोकल डॉग को ट्रेंड करें, जिससे वे सुरक्षा में सहयोगी बन सकें। दरअसल प्रधानमंत्री के समक्ष कुछ देसी डॉग्स का शो रखा गया था। उन्हें यह आइडिया काफी पसंद आया। उसके बाद हमने देसी नस्ल के डॉग की ट्रेंनिंग शुरू की।
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09 March 2022 05:20 PM
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