14 March 2022 04:43 PM
जोग सजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार शहर में मुरलीधर व्यास कॉलोनी के समीप युआईटी की अतिक्रमण के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद बेघर हुए गरीब मजदूर परिवार सोमवार को यूआईटी प्रशासन के विरोध में सडक़ पर उतर आए। इनका आरोप है कि यूआईटी ने बिना किसी सूचना व नोटिस के कार्रवाई की है। बता दे,सोमवार को करमीसर गांव में फूलनाथ तालाब के पास रहने वाले बेघर हुए गरीब मजदूर परिवारों ने जिला कलक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए कहा कि वर्ष 1962 से ये लोग वहां पर आबाद है तथा स्थानीय ग्राम पंचायत की ओर से पट्टें भी जारी कर रखे है। इसके बावजूद वार्ड 23 फूलनाथ तालाब के पास स्थिति रह रहे लोगों के आशियानों पर यूआईटी प्रशासन ने चार दिन पहले बुलडोजर चलाकर उन्हें बेघर कर दिया। बेघर हुए तकरीबन तीन दर्जन से अधिक परिवारों का कहना है कि वे पिछले 30-35 सालों से उस स्थान पर रह रहे है। यूआईटी प्रशासन ने बिना किसी सूचना ही जेसीबी मशिनों से उनके आशियानों को ध्वस्त कर दिया। बता दें कि मजदूर वर्ग से है उनके घरो को तोड़ दिया गया है। जो कि सरासर अन्याय है। जबकि इस क्षेत्र में जहां यूआईटी अतिक्रमण समझती है। उसी क्षेत्र में लगभग 100-150 परिवारों को 2013 और उससे पूर्व भी नियमन कर चुकी है तथा इसी क्षेत्र में पूर्व में जब ग्राम पंचायत स्थापित थी उस वक्त भी काफी परिवारों को ग्राम पंचायत द्वारा 1962 से निरन्तर पट्टे जारी किये हुए है। ऐसी स्थिति में गरीब असहाय मजदूर वर्ग के लोग वहां स्थापित है
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मिली जानकारी के अनुसार शहर में मुरलीधर व्यास कॉलोनी के समीप युआईटी की अतिक्रमण के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद बेघर हुए गरीब मजदूर परिवार सोमवार को यूआईटी प्रशासन के विरोध में सडक़ पर उतर आए। इनका आरोप है कि यूआईटी ने बिना किसी सूचना व नोटिस के कार्रवाई की है। बता दे,सोमवार को करमीसर गांव में फूलनाथ तालाब के पास रहने वाले बेघर हुए गरीब मजदूर परिवारों ने जिला कलक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए कहा कि वर्ष 1962 से ये लोग वहां पर आबाद है तथा स्थानीय ग्राम पंचायत की ओर से पट्टें भी जारी कर रखे है। इसके बावजूद वार्ड 23 फूलनाथ तालाब के पास स्थिति रह रहे लोगों के आशियानों पर यूआईटी प्रशासन ने चार दिन पहले बुलडोजर चलाकर उन्हें बेघर कर दिया। बेघर हुए तकरीबन तीन दर्जन से अधिक परिवारों का कहना है कि वे पिछले 30-35 सालों से उस स्थान पर रह रहे है। यूआईटी प्रशासन ने बिना किसी सूचना ही जेसीबी मशिनों से उनके आशियानों को ध्वस्त कर दिया। बता दें कि मजदूर वर्ग से है उनके घरो को तोड़ दिया गया है। जो कि सरासर अन्याय है। जबकि इस क्षेत्र में जहां यूआईटी अतिक्रमण समझती है। उसी क्षेत्र में लगभग 100-150 परिवारों को 2013 और उससे पूर्व भी नियमन कर चुकी है तथा इसी क्षेत्र में पूर्व में जब ग्राम पंचायत स्थापित थी उस वक्त भी काफी परिवारों को ग्राम पंचायत द्वारा 1962 से निरन्तर पट्टे जारी किये हुए है। ऐसी स्थिति में गरीब असहाय मजदूर वर्ग के लोग वहां स्थापित है
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