12 July 2021 04:13 PM
बीकानेर । गोचर, ओरण, जोहड़ पायतन की अनुपयोगी पड़ी सार्वजनिक भू सम्पदा को कैसे जन उपयोगी बनाकर कर गोचर विकास से पर्यावरण एवं प्रकृति संरक्षण और आथिर्क सम्रद्धि लाई जा सकती है इस मॉडल पर विचार के लिए सोमवार को मध्यप्रदेश से इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की टीम ने गोचर के विकास के प्रारूप पर देवी सिंह भाटी की अध्यक्षता में विशेषज्ञता राय दी। भाटी बीकानेर शहर से सटी सरेह नथानिया गोचर की चाहर दीवारी, चारागाह विकास के आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। इस मौके पर कार्यकर्ताओं की गोचर पर आयोजित सभा में कान सिंह निर्वाण, मध्यप्रदेश से बलराम किसान ने विकास का मॉड्यूल प्रस्तुत किया। बल राम किसान ने गोचर की चाहर दीवारी पेड़ों के झुरमुट से बनाने का सुझाव दिया। वहीं निर्वाण ने कहा कि गाय, धरती और प्रकृति तीन एक ही है। धरती पर मानव, जीव जंतु और वनस्पति को बचाने के लिए गाय और गोचर को बचाना ही उपाय है। देवी सिंह भाटी ने गोचर की उपादेयता , मरुस्थलीय वनस्पति लगाने और गोचर विकास के कार्यों की रूपरेखा बताई। भाटी पिछले कुछ माह से सरेह नथानिया गोचर की चाहर दीवारी के निर्माण कार्य में लगे हैं।। हेम शर्मा ने कहा कि जो सार्वजनिक भू सम्पदा पूरे इलाके का अर्थतन्त्र और पारिस्थिकी बदल सकती है। वो गोचर, ओरण, जोहड़ पायतन की भूमि अनुपयोगी और अनदेखी पड़ी है। सरकार और प्रशासन इस सम्पदा के प्रति उदासीन है। इसके लिए देवी सिंह भाटी का आंदोलन सराहनीय पहल है। इस मुद्दे पर दिल्ली के विजय प्रताप सिंह को भी अवगत करवाया गया। उन्होंने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने तथा देशभर में इस दिशा में कार्यरत लोगों को अवगत करवाने का सुझाव दिया। गोचर राष्ट्रीय आंदोलन बने इसके लिए धरातल पर काम करने की सलाह दी गईं।। सरेह नथानिया में चल रहे काम की महाराष्ट्र के सुनील महांसिका, मध्य प्रदेश के सीता राम सोलंकी, हिमाचल के राजेश डोगरा, असम के अनिल अग्रवाल को राजस्थान गो सेवा परिषद की ओर से जानकारी दी गईं। सभा में अशोक जांगू, बंशी तंवर नरेश चुग ने विचार रखे। सभा में ब्रज नारायण किराडू, महावीर रांका, सुधा आचार्य, सूरजप्रकाश रााव, परमानंद ओझा, मन्नू जी सेवग, विजय उपाध्याय, दिनेश ओझा, महेन्द्र किराड़ू, प्रेम लेगा मोहन राम हंसराज भादू समेत सैकड़ों गोचर आंदोलन से जुड़े लोगों ने शिरकत की।
बीकानेर । गोचर, ओरण, जोहड़ पायतन की अनुपयोगी पड़ी सार्वजनिक भू सम्पदा को कैसे जन उपयोगी बनाकर कर गोचर विकास से पर्यावरण एवं प्रकृति संरक्षण और आथिर्क सम्रद्धि लाई जा सकती है इस मॉडल पर विचार के लिए सोमवार को मध्यप्रदेश से इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की टीम ने गोचर के विकास के प्रारूप पर देवी सिंह भाटी की अध्यक्षता में विशेषज्ञता राय दी। भाटी बीकानेर शहर से सटी सरेह नथानिया गोचर की चाहर दीवारी, चारागाह विकास के आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। इस मौके पर कार्यकर्ताओं की गोचर पर आयोजित सभा में कान सिंह निर्वाण, मध्यप्रदेश से बलराम किसान ने विकास का मॉड्यूल प्रस्तुत किया। बल राम किसान ने गोचर की चाहर दीवारी पेड़ों के झुरमुट से बनाने का सुझाव दिया। वहीं निर्वाण ने कहा कि गाय, धरती और प्रकृति तीन एक ही है। धरती पर मानव, जीव जंतु और वनस्पति को बचाने के लिए गाय और गोचर को बचाना ही उपाय है। देवी सिंह भाटी ने गोचर की उपादेयता , मरुस्थलीय वनस्पति लगाने और गोचर विकास के कार्यों की रूपरेखा बताई। भाटी पिछले कुछ माह से सरेह नथानिया गोचर की चाहर दीवारी के निर्माण कार्य में लगे हैं।। हेम शर्मा ने कहा कि जो सार्वजनिक भू सम्पदा पूरे इलाके का अर्थतन्त्र और पारिस्थिकी बदल सकती है। वो गोचर, ओरण, जोहड़ पायतन की भूमि अनुपयोगी और अनदेखी पड़ी है। सरकार और प्रशासन इस सम्पदा के प्रति उदासीन है। इसके लिए देवी सिंह भाटी का आंदोलन सराहनीय पहल है। इस मुद्दे पर दिल्ली के विजय प्रताप सिंह को भी अवगत करवाया गया। उन्होंने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने तथा देशभर में इस दिशा में कार्यरत लोगों को अवगत करवाने का सुझाव दिया। गोचर राष्ट्रीय आंदोलन बने इसके लिए धरातल पर काम करने की सलाह दी गईं।। सरेह नथानिया में चल रहे काम की महाराष्ट्र के सुनील महांसिका, मध्य प्रदेश के सीता राम सोलंकी, हिमाचल के राजेश डोगरा, असम के अनिल अग्रवाल को राजस्थान गो सेवा परिषद की ओर से जानकारी दी गईं। सभा में अशोक जांगू, बंशी तंवर नरेश चुग ने विचार रखे। सभा में ब्रज नारायण किराडू, महावीर रांका, सुधा आचार्य, सूरजप्रकाश रााव, परमानंद ओझा, मन्नू जी सेवग, विजय उपाध्याय, दिनेश ओझा, महेन्द्र किराड़ू, प्रेम लेगा मोहन राम हंसराज भादू समेत सैकड़ों गोचर आंदोलन से जुड़े लोगों ने शिरकत की।
RELATED ARTICLES
15 June 2022 03:04 PM
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com