15 November 2021 08:50 AM

जयपुर:- बाल सत्र के दौरान सदन में बैठकर देश की भावी पीढ़ी ने जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस की। बाल विधायकों ने जब मंत्रियों से प्रश्न कर जवाब मांगे और मंत्री बने बच्चों ने पूरी जिम्मेदारी और संजीदगी से उत्तर भी दिये तो विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्रिगण भी चकित रह गए। प्रश्न काल में विधानसभा अध्यक्ष बनीं जाह्ववी शर्मा ने विधायकों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया और संबंधित मंत्री को प्रश्न का जवाब देने के लिए भी। सदन में विपक्ष की नाराजगी, कुछ मांगों पर असहमति के बाद सदन से बहिर्गमन भी हुआ और अध्यक्ष के कहने पर वे सहज ही माने भी।
विधायकों के हर प्रश्न पर मंत्री भी जैसे पूरी तरह से तैयार होकर सदन में आए थे और पूरी गंभीरता से सभी तथ्यों के साथ सरकार का पक्ष रखा। जहां हर्ष बने सदन के नेता, वहीं वैभवी गोयल ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वहन किया। विधायक बने बच्चों ललिता बाबल, जितेश डूडी, आस्था ममगाईं, दिनेश बेरड़ और अनन्या कौशिक आदि ने प्रश्नकाल में बाल विवाह रोकथाम के लिए सरकार के प्रयास, किसानों की समस्याओं, बाल श्रम, बच्चों में पोषण की कमी, पर्यटन को बढ़ावा देने, परीक्षाओं के दौरान नेटबंदी, बच्चियों और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों, बिजली की किल्लत जैसे सवाल उठाए। सवालों के जवाब में संबंधित विभागों के मंत्रियों ने भी पूरी जिम्मेदारी के साथ सदन में आंकड़ों के साथ सरकार का पक्ष रखा।
शून्य काल में भी स्थगन और प्रक्रियाओं के नियम 295 के तहत विधायक बने बच्चों काश्विनी गहलोत, तश्वी शर्मा, सम्यक, लक्ष्य सेठिया, एकांश कंकाणी और जोगाराम आदि ने ज्वलंत समस्याओं को सदन के सामने रखा। चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से लेकर बच्चों से मोबाइल छुड़ाने के लिए खेल कूद सुविधाएं बढ़ाने और होटलों आदि में जूठा छोड़ने पर सज़ा देने जैसे विषयों पर सरकार से निर्णय लेने के लिए आग्रह किया।
विधानसभा का बाल सत्र -
देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन
-विधान सभा में बच्चों ने पक्ष और विपक्ष की भूमिका में किये सवाल-जवाब और उठाए गंभीर मुद्दे
-साक्षी बने लोकसभा अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री और विधायकगण
देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन किया गया, जहां बच्चों ने ही विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्री बनकर सत्र चलाया और सदस्य बने बच्चों के प्रश्नों का जवाब दिया। बाल दिवस के अवसर पर राजस्थान विधानसभा में यह ऎतिहासिक सत्र आयोजित किया गया जिसके प्रत्यक्ष साक्षी बने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, विधानसभाध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, मंत्रिगण और विधायक। विधानसभा के इस अनूठे सत्र में शून्यकाल और प्रश्नकाल का आयोजन किया गया।
जयपुर:- बाल सत्र के दौरान सदन में बैठकर देश की भावी पीढ़ी ने जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस की। बाल विधायकों ने जब मंत्रियों से प्रश्न कर जवाब मांगे और मंत्री बने बच्चों ने पूरी जिम्मेदारी और संजीदगी से उत्तर भी दिये तो विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्रिगण भी चकित रह गए। प्रश्न काल में विधानसभा अध्यक्ष बनीं जाह्ववी शर्मा ने विधायकों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया और संबंधित मंत्री को प्रश्न का जवाब देने के लिए भी। सदन में विपक्ष की नाराजगी, कुछ मांगों पर असहमति के बाद सदन से बहिर्गमन भी हुआ और अध्यक्ष के कहने पर वे सहज ही माने भी।
विधायकों के हर प्रश्न पर मंत्री भी जैसे पूरी तरह से तैयार होकर सदन में आए थे और पूरी गंभीरता से सभी तथ्यों के साथ सरकार का पक्ष रखा। जहां हर्ष बने सदन के नेता, वहीं वैभवी गोयल ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वहन किया। विधायक बने बच्चों ललिता बाबल, जितेश डूडी, आस्था ममगाईं, दिनेश बेरड़ और अनन्या कौशिक आदि ने प्रश्नकाल में बाल विवाह रोकथाम के लिए सरकार के प्रयास, किसानों की समस्याओं, बाल श्रम, बच्चों में पोषण की कमी, पर्यटन को बढ़ावा देने, परीक्षाओं के दौरान नेटबंदी, बच्चियों और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों, बिजली की किल्लत जैसे सवाल उठाए। सवालों के जवाब में संबंधित विभागों के मंत्रियों ने भी पूरी जिम्मेदारी के साथ सदन में आंकड़ों के साथ सरकार का पक्ष रखा।
शून्य काल में भी स्थगन और प्रक्रियाओं के नियम 295 के तहत विधायक बने बच्चों काश्विनी गहलोत, तश्वी शर्मा, सम्यक, लक्ष्य सेठिया, एकांश कंकाणी और जोगाराम आदि ने ज्वलंत समस्याओं को सदन के सामने रखा। चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से लेकर बच्चों से मोबाइल छुड़ाने के लिए खेल कूद सुविधाएं बढ़ाने और होटलों आदि में जूठा छोड़ने पर सज़ा देने जैसे विषयों पर सरकार से निर्णय लेने के लिए आग्रह किया।
विधानसभा का बाल सत्र -
देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन
-विधान सभा में बच्चों ने पक्ष और विपक्ष की भूमिका में किये सवाल-जवाब और उठाए गंभीर मुद्दे
-साक्षी बने लोकसभा अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री और विधायकगण
देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन किया गया, जहां बच्चों ने ही विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्री बनकर सत्र चलाया और सदस्य बने बच्चों के प्रश्नों का जवाब दिया। बाल दिवस के अवसर पर राजस्थान विधानसभा में यह ऎतिहासिक सत्र आयोजित किया गया जिसके प्रत्यक्ष साक्षी बने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, विधानसभाध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, मंत्रिगण और विधायक। विधानसभा के इस अनूठे सत्र में शून्यकाल और प्रश्नकाल का आयोजन किया गया।
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