20 February 2022 05:34 PM
जोग सजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार गंगाशहर रोड़ की एक भूमि विवाद के मामले की सुई सीमाज्ञान पर ही अटक कर रह गई है। अपनी भूमि को कब्जा मुक्त करवाने के लिए परिवादी जेठाराम सुथार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, मगर कहीं मदद नहीं मिल रही है। मामला गंगाशहर रोड़ के खसरा नंबर 221 से जुड़ा है। आरोप है कि 2016 में अग्रवाल भवन के ट्रस्टियों ने ताकतवर लोगों से गठजोड़ कर जेठाराम को इस भूमि से बेदखल कर दिया था। पीड़ित ने पुलिस थाने से लेकर विभागों तक के चक्कर निकाले मगर कहीं सुनवाई नहीं हुई। परिवाद लिए गए तो मुकदमें दर्ज नहीं हुए। कहीं परिवाद ही लौटा दिए गए। यूआईटी ने भी कोई मदद नहीं की। हाल अब भी वही है। यूआईटी ने तो आरटीआई के काननू की भी जमकर धज्जियां उड़ाई। यूआईटी सूचना आयोग तक के आदेशों की पालना नहीं कर रही। ऐसे में यूआईटी भी इस मामले में शक के दायरे में है। हालांकि जब हर तरफ मिलीभगत ही मिलीभगत हो तो किसी विभाग व उसके अधिकारियों की भूमिका की जांच करें भी तो कौन करे?
मामले में कुछ माह पूर्व पहली बार गंगाशहर पुलिस ने गंभीरता दिखाई, अग्रवाल भवन से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। मगर यहां भी सुई सीमाज्ञान पर अटक गई। आखिर मामला एसपी योगेश यादव, कलेक्टर भगवती प्रसाद, संभागीय आयुक्त, डीजी जयपुर तक पहुंचाया गया। मामले के अनुसंधान अधिकारी सब इंस्पेक्टर राकेश स्वामी ने अधिकारियों के निर्देश पर यूआईटी व राजस्व तहसीलदार को सीमाज्ञान करवाने के लिए पत्र जारी किया। मगर दोनों विभाग सीमाज्ञान की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते हुए मामले को लंबित कर रहे हैं। अब कलेक्टर ने कमेटी गठित कर सीमाज्ञान करवाने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को यह कमेटी गठित होनी है। अब देखने वाली बात यह है कि सोमवार को भी कमेटी गठित होती है या नहीं। कमेटी कितनी पारदर्शिता से सीमाज्ञान करती है।
जोग सजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार गंगाशहर रोड़ की एक भूमि विवाद के मामले की सुई सीमाज्ञान पर ही अटक कर रह गई है। अपनी भूमि को कब्जा मुक्त करवाने के लिए परिवादी जेठाराम सुथार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, मगर कहीं मदद नहीं मिल रही है। मामला गंगाशहर रोड़ के खसरा नंबर 221 से जुड़ा है। आरोप है कि 2016 में अग्रवाल भवन के ट्रस्टियों ने ताकतवर लोगों से गठजोड़ कर जेठाराम को इस भूमि से बेदखल कर दिया था। पीड़ित ने पुलिस थाने से लेकर विभागों तक के चक्कर निकाले मगर कहीं सुनवाई नहीं हुई। परिवाद लिए गए तो मुकदमें दर्ज नहीं हुए। कहीं परिवाद ही लौटा दिए गए। यूआईटी ने भी कोई मदद नहीं की। हाल अब भी वही है। यूआईटी ने तो आरटीआई के काननू की भी जमकर धज्जियां उड़ाई। यूआईटी सूचना आयोग तक के आदेशों की पालना नहीं कर रही। ऐसे में यूआईटी भी इस मामले में शक के दायरे में है। हालांकि जब हर तरफ मिलीभगत ही मिलीभगत हो तो किसी विभाग व उसके अधिकारियों की भूमिका की जांच करें भी तो कौन करे?
मामले में कुछ माह पूर्व पहली बार गंगाशहर पुलिस ने गंभीरता दिखाई, अग्रवाल भवन से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। मगर यहां भी सुई सीमाज्ञान पर अटक गई। आखिर मामला एसपी योगेश यादव, कलेक्टर भगवती प्रसाद, संभागीय आयुक्त, डीजी जयपुर तक पहुंचाया गया। मामले के अनुसंधान अधिकारी सब इंस्पेक्टर राकेश स्वामी ने अधिकारियों के निर्देश पर यूआईटी व राजस्व तहसीलदार को सीमाज्ञान करवाने के लिए पत्र जारी किया। मगर दोनों विभाग सीमाज्ञान की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते हुए मामले को लंबित कर रहे हैं। अब कलेक्टर ने कमेटी गठित कर सीमाज्ञान करवाने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को यह कमेटी गठित होनी है। अब देखने वाली बात यह है कि सोमवार को भी कमेटी गठित होती है या नहीं। कमेटी कितनी पारदर्शिता से सीमाज्ञान करती है।
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