30 January 2023 04:26 PM
जोग अन्जोग टाइम्स बीकानेर ,
धोखाधड़ी के एक मामले में पुलिस की खराब तफ्तीश के कारण आरोपी बुजुर्ग को 43 दिन तक जेल में रहना पड़ा। चार साल चले इस केस में लोअर कोर्ट ने उसे बरी कर दिया क्योंकि प्रथम दृष्टया पत्रावली पर आधार ही मौजूद नहीं है। प्रकरण 50-50 लाख यानी एक करोड़ की रकम के दो फर्जी चैक का है। राज्य बनाम श्याम सुंदर भाटी मामले में एसीजेएम -2 हेमंत जानू ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की ओर से ऐसा कोई अभिलेख जांच के दौरान एकत्रित नहीं किया गया जो यह दर्शाता हो कि अभियुक्त श्याम सुंदर ने चैक की कूटचरना की हो।
अभियोजन ने यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं कि की उक्त चैक अभियुक्त के पास कैसे आए। जबकि चार्जशीट में अंकित है कि अभियुक्त ने अपनी किराएदार सोनाली चंद्रकांत से धोखे से चैक हासिल किए। लेकिन सोनाली से कोई अनुसंधान ही नहीं किया गया। इसके अलावा चैक पर किए गए हस्ताक्षरों की भी एफएसएल से जांच नहीं कराई गई। फर्जी चैक बनाने के काम लिए कंप्यूटर, स्केनर ही बरामद नहीं दिखाए। दोनों चैक पर सोनाली के खाता नंबर थे, लेकिन साइन सुभाष के थे। इस संबंध में बैंक वालों से भी कोई पूछताछ नहीं की गई।
कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि पुलिस की ओर से पेश संपूर्ण अभिलेख को सत्य भी मान लिया जाए तब भी अभियुक्त के विरुद्ध कूटरचना के अपराध के संबंध में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है, जो अपराध के घटक को दर्शाती हो। इस आधार पर कोर्ट ने आरोपी बुजुर्ग को चार्ज के स्तर पर ही बरी कर दिया, जबकि सेशन कोर्ट में बेल खारिज होने पर उसे 43 दिन जेल में रहना पड़ा। बाद में हाईकोर्ट से जमानत हुई। बुजुर्ग अभियुक्त की ओर से पैरवी एडवोकेट अनिल सोनी ने की।
दृष्टांत :न्यायालय को मूक दर्शक नहीं रहना चाहिए - सुप्रीम कोर्ट
सज्जन कुमार बनाम सीबीआई के एक प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले की व्यापक संभावनाओं, सबूतों के कुल प्रभाव और न्यायालय के समक्ष पेश किए दस्तावेजों, किसी भी बुनियादी दुर्बलता आदि पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में यह न्यायिक दृष्टांत पेश किया है।
एफएसएल जांच में खुली पुलिस की पोल 50-50 लाख के दो फर्जी चैक जारी होने के क्रॉस केस में एफएसएल जांच पुलिस ने नहीं कराई। पुलिस ने मान लिया कि श्याम सुंदर ने खुद ही चैक पर साइन किए हैं। तब आरोपी श्याम सुंदर ने नवंबर 2021 में चैक की एफएसएल जांच प्राइवेट लैब से कराकर कोर्ट में पेश कर दी। उस जांच में सुभाष के साइन श्याम सुंदर की लिखावट से मैच नहीं हुए। तब पुलिस जांच की पोल सामने आई।
-कुलदीप कुमार शर्मा, सदस्य, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान
2018 में सदर थाने में धोखाधड़ी के 2 केस दर्ज, एक पेंडिंग
रानी बाजार निवासी 70 वर्षीय श्याम सुंदर भाटी ने 50-50 लाख के चैक बाउंस होने पर कोर्ट में चैक अनादरण का केस सुभाष बिश्नोई के खिलाफ 2018 में लगाया था। दरअसल श्याम सुंदर जमीन के लेनदेन में सुभाष से एक करोड़ रुपए मांग रहा था। इस पर भुगतान के लिए श्याम सुंदर ने किराएदार सोनाली चंद्रकांत के 50-50 लाख के दो चैक हासिल किए। उन पर सुभाष का नाम और साइन थे।
उसके बाद सुभाष बिश्नोई ने अपने साइन फर्जी करार देते हुए भाटी के खिलाफ सदर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया। भाटी ने भी फर्जी चैक देने का क्रॉस केस दर्ज कराया। तत्कालीन बीछवाल एसएचओ मनोज शर्मा ने एक केस की जांच की और भाटी के खिलाफ चालान पेश कर दिया। जिन धाराओं में चालान किया उनमें उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। आरोपी को 13 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। सेशन कोर्ट से आरोपी की बेल खारिज हो गई तो उसने हाईकोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। इस दौरान 43 दिन बुजुर्ग को जेल में रहना पड़ा। इससे पूर्व इस मामले में एक रोचक मोड़ आया। जनवरी 2018 सदर थाना पुलिस ने भाटी की एफआईआर में एफआर लगा दी थी। उसके बाद जनवरी 2019 में तत्कालीन एसएचओ ऋषिराज ने आईजी और एसपी के आदेश पर दुबारा जांच करने के लिए कोर्ट से एफआर वापस उठा ली। इसमें नतीजा तीन साल बाद भी पेंडिंग है।
जोग अन्जोग टाइम्स बीकानेर ,
धोखाधड़ी के एक मामले में पुलिस की खराब तफ्तीश के कारण आरोपी बुजुर्ग को 43 दिन तक जेल में रहना पड़ा। चार साल चले इस केस में लोअर कोर्ट ने उसे बरी कर दिया क्योंकि प्रथम दृष्टया पत्रावली पर आधार ही मौजूद नहीं है। प्रकरण 50-50 लाख यानी एक करोड़ की रकम के दो फर्जी चैक का है। राज्य बनाम श्याम सुंदर भाटी मामले में एसीजेएम -2 हेमंत जानू ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की ओर से ऐसा कोई अभिलेख जांच के दौरान एकत्रित नहीं किया गया जो यह दर्शाता हो कि अभियुक्त श्याम सुंदर ने चैक की कूटचरना की हो।
अभियोजन ने यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं कि की उक्त चैक अभियुक्त के पास कैसे आए। जबकि चार्जशीट में अंकित है कि अभियुक्त ने अपनी किराएदार सोनाली चंद्रकांत से धोखे से चैक हासिल किए। लेकिन सोनाली से कोई अनुसंधान ही नहीं किया गया। इसके अलावा चैक पर किए गए हस्ताक्षरों की भी एफएसएल से जांच नहीं कराई गई। फर्जी चैक बनाने के काम लिए कंप्यूटर, स्केनर ही बरामद नहीं दिखाए। दोनों चैक पर सोनाली के खाता नंबर थे, लेकिन साइन सुभाष के थे। इस संबंध में बैंक वालों से भी कोई पूछताछ नहीं की गई।
कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि पुलिस की ओर से पेश संपूर्ण अभिलेख को सत्य भी मान लिया जाए तब भी अभियुक्त के विरुद्ध कूटरचना के अपराध के संबंध में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है, जो अपराध के घटक को दर्शाती हो। इस आधार पर कोर्ट ने आरोपी बुजुर्ग को चार्ज के स्तर पर ही बरी कर दिया, जबकि सेशन कोर्ट में बेल खारिज होने पर उसे 43 दिन जेल में रहना पड़ा। बाद में हाईकोर्ट से जमानत हुई। बुजुर्ग अभियुक्त की ओर से पैरवी एडवोकेट अनिल सोनी ने की।
दृष्टांत :न्यायालय को मूक दर्शक नहीं रहना चाहिए - सुप्रीम कोर्ट
सज्जन कुमार बनाम सीबीआई के एक प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले की व्यापक संभावनाओं, सबूतों के कुल प्रभाव और न्यायालय के समक्ष पेश किए दस्तावेजों, किसी भी बुनियादी दुर्बलता आदि पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में यह न्यायिक दृष्टांत पेश किया है।
एफएसएल जांच में खुली पुलिस की पोल 50-50 लाख के दो फर्जी चैक जारी होने के क्रॉस केस में एफएसएल जांच पुलिस ने नहीं कराई। पुलिस ने मान लिया कि श्याम सुंदर ने खुद ही चैक पर साइन किए हैं। तब आरोपी श्याम सुंदर ने नवंबर 2021 में चैक की एफएसएल जांच प्राइवेट लैब से कराकर कोर्ट में पेश कर दी। उस जांच में सुभाष के साइन श्याम सुंदर की लिखावट से मैच नहीं हुए। तब पुलिस जांच की पोल सामने आई।
-कुलदीप कुमार शर्मा, सदस्य, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान
2018 में सदर थाने में धोखाधड़ी के 2 केस दर्ज, एक पेंडिंग
रानी बाजार निवासी 70 वर्षीय श्याम सुंदर भाटी ने 50-50 लाख के चैक बाउंस होने पर कोर्ट में चैक अनादरण का केस सुभाष बिश्नोई के खिलाफ 2018 में लगाया था। दरअसल श्याम सुंदर जमीन के लेनदेन में सुभाष से एक करोड़ रुपए मांग रहा था। इस पर भुगतान के लिए श्याम सुंदर ने किराएदार सोनाली चंद्रकांत के 50-50 लाख के दो चैक हासिल किए। उन पर सुभाष का नाम और साइन थे।
उसके बाद सुभाष बिश्नोई ने अपने साइन फर्जी करार देते हुए भाटी के खिलाफ सदर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया। भाटी ने भी फर्जी चैक देने का क्रॉस केस दर्ज कराया। तत्कालीन बीछवाल एसएचओ मनोज शर्मा ने एक केस की जांच की और भाटी के खिलाफ चालान पेश कर दिया। जिन धाराओं में चालान किया उनमें उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। आरोपी को 13 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। सेशन कोर्ट से आरोपी की बेल खारिज हो गई तो उसने हाईकोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। इस दौरान 43 दिन बुजुर्ग को जेल में रहना पड़ा। इससे पूर्व इस मामले में एक रोचक मोड़ आया। जनवरी 2018 सदर थाना पुलिस ने भाटी की एफआईआर में एफआर लगा दी थी। उसके बाद जनवरी 2019 में तत्कालीन एसएचओ ऋषिराज ने आईजी और एसपी के आदेश पर दुबारा जांच करने के लिए कोर्ट से एफआर वापस उठा ली। इसमें नतीजा तीन साल बाद भी पेंडिंग है।
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04 June 2021 03:28 PM
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