13 February 2022 12:05 PM

जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार 65 की उम्र में मजदूरी कर रहे रामलाल की हादसे में मौत, बेसहारा हुआ परिवार
दो साल पहले हुई थी बेटे की मौत, घर चलाने के लिए बुजुर्ग को करनी पड़ रही थी मजदूरी
बीकानेर। दुखों का जब पहाड़ टूटता है तो भरा-पूरा परिवार भी बिखर जाता है। ऐसी ही दुखद घटना गंगाशहर के कुम्हारों की मोड़ गली में रहने वाले रामलाल छापरवाल परिवार में हुई है। 65 वर्षीय रामलाल छापरवाल को आराम करने की उम्र में भी कढ़ाई उठाने का काम करना पड़ रहा था तथा इस मजबूरी में बुढ़े शरीर ने भी साथ नहीं दिया और 11 फरवरी 2022 को गंगाशहर में किसी भवन निर्माण कार्य के दौरान गिरने से रामलाल की मौत हो गई। रामलाल को इस उम्र में मजदूरी करने का कारण भी बहुत दुखदायी था, क्योंकि दो साल पहले इसी तरह रामलाल के पुत्र भागीरथ की भी निर्माण कार्य के दौरान गिरने से मौत हो गई थी। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता बद्री जाजपरा ने बताया कि पुत्र के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं और पिता के जाने के बाद मात्र दादा रामलाल ही था जो मजदूरी करके परिवार का पालन करता था। अब वो सहारा भी हट गया है। बद्री ने बताया कि घर में अब कोई कमाने वाला व्यक्ति नहीं है। मात्र तीन बच्चे, रामलाल की पत्नी और रामलाल के बेटे की बहू घर में है। ईश्वर की लीला को कोई पार नहीं पा सका लेकिन इस दुखद घड़ी में जरुरतमंद परिवार की मदद कर मानव धर्म निभाना हमारा कर्तव्य है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार 65 की उम्र में मजदूरी कर रहे रामलाल की हादसे में मौत, बेसहारा हुआ परिवार
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बीकानेर। दुखों का जब पहाड़ टूटता है तो भरा-पूरा परिवार भी बिखर जाता है। ऐसी ही दुखद घटना गंगाशहर के कुम्हारों की मोड़ गली में रहने वाले रामलाल छापरवाल परिवार में हुई है। 65 वर्षीय रामलाल छापरवाल को आराम करने की उम्र में भी कढ़ाई उठाने का काम करना पड़ रहा था तथा इस मजबूरी में बुढ़े शरीर ने भी साथ नहीं दिया और 11 फरवरी 2022 को गंगाशहर में किसी भवन निर्माण कार्य के दौरान गिरने से रामलाल की मौत हो गई। रामलाल को इस उम्र में मजदूरी करने का कारण भी बहुत दुखदायी था, क्योंकि दो साल पहले इसी तरह रामलाल के पुत्र भागीरथ की भी निर्माण कार्य के दौरान गिरने से मौत हो गई थी। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता बद्री जाजपरा ने बताया कि पुत्र के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं और पिता के जाने के बाद मात्र दादा रामलाल ही था जो मजदूरी करके परिवार का पालन करता था। अब वो सहारा भी हट गया है। बद्री ने बताया कि घर में अब कोई कमाने वाला व्यक्ति नहीं है। मात्र तीन बच्चे, रामलाल की पत्नी और रामलाल के बेटे की बहू घर में है। ईश्वर की लीला को कोई पार नहीं पा सका लेकिन इस दुखद घड़ी में जरुरतमंद परिवार की मदद कर मानव धर्म निभाना हमारा कर्तव्य है।
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