16 January 2023 01:22 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
जस्टिस योगेंद्र कुमार पुरोहित सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के जज की शपथ ली। योगेंद्र कुमार पुरोहित बीकानेर की अदालतों में अपने वकील चाचा के ऑफिस में टाइपिंग किया करते थे। मुकदमे लिखते थे। फिर वकालत पूरी कर वकील बने। महज 23 साल की उम्र में मुंसिफ मजिस्ट्रेट बन गए थे।
डूंगर कॉलेज से बीएससी करने के दौरान उन्होंने अपने चाचा एडवोकेट विजय कुमार पुरोहित के ऑफिस में काम शुरू किया। यहां चाचा उन्हें मुकदमे की आउट लाइन बताते और वे पूरा मुकदमा टाइप करने का काम करते थे। इसी दौरान योगेंद्र पुरोहित ने पहले वकील बनने की ठानी और बाद में जज बनने का सपना देखा।
खास बात ये है कि जज बनने का सपना उन्होंने महज 23 साल की उम्र में पूरा कर लिया था। बहुत कम उम्र में मुंसिफ मजिस्ट्रेट बनने के कारण उन्हें प्रमोशन भी मिलते गए। बाद में कोटा और अलवर में डिस्ट्रिक्ट जज बने। अब उनका चयन हाईकोर्ट जज के रूप में हो गया है। इस दौरान योगेंद्र पुरोहित एसीजेएम, सीजेएम, एडीजे और डिस्ट्रिक्ट जज से होते हुए हाईकोर्ट तक पहुंचे। वरिष्ठता के आधार पर पहले से तय माना जा रहा था कि वो हाईकोर्ट तक पहुंच जाएंगे।
जीजा-साला दोनों हाईकोर्ट जज
योगेंद्र कुमार पुरोहित के साले भी जज हैं। योगेंद्र पुरोहित के साले उमाशंकर व्यास कुछ समय पहले ही राजस्थान हाईकोर्ट जज बने थे। अब जीजा-साला दोनों एक ही जगह जज के रूप में काम करेंगे। वहीं जस्टिस योगेंद्र की एक साली भी डिस्ट्रिक्ट जज हैं।
सरकारी स्कूल में पढ़े
योगेंद्र पुरोहित अपने भाइयों के साथ सरकारी स्कूल में पढ़े। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा बीकानेर पाबू पाठशाला में पूरी की। इसके बाद में सार्दुल स्कूल में पढ़े। डूंगर कॉलेज से बीएससी करके एलएलबी की। एलएलबी करने के बाद कुछ समय बीकानेर की अदालतों में वकालत भी की।
जीजा-साला दोनों हाईकोर्ट जज
योगेंद्र कुमार पुरोहित के साले भी जज हैं। योगेंद्र पुरोहित के साले उमाशंकर व्यास कुछ समय पहले ही राजस्थान हाईकोर्ट जज बने थे। अब जीजा-साला दोनों एक ही जगह जज के रूप में काम करेंगे। वहीं जस्टिस योगेंद्र की एक साली भी डिस्ट्रिक्ट जज हैं।
सरकारी स्कूल में पढ़े
योगेंद्र पुरोहित अपने भाइयों के साथ सरकारी स्कूल में पढ़े। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा बीकानेर पाबू पाठशाला में पूरी की। इसके बाद में सार्दुल स्कूल में पढ़े। डूंगर कॉलेज से बीएससी करके एलएलबी की। एलएलबी करने के बाद कुछ समय बीकानेर की अदालतों में वकालत भी की।
पहली नौकरी जज के रूप में
सरकारी नौकरी के रूप में योगेंद्र सबसे पहले जज ही बने। इसके अलावा उन्होंने किसी अन्य नौकरी का प्रयास ही नहीं किया। बायोलॉजी लेने के बाद भी डॉक्टर बनने के प्रति उनकी कोई खास रुचि नहीं थी। ऐसे में उन्होंने बीएससी करके सीधे एलएलबी के लिए आवेदन कर दिया था। डूंगर कॉलेज से 1989 में एलएलबी करने के बाद 1992 में मुंसिफ मजिस्ट्रेट बन गए थे। पहली पोस्टिंग हनुमानगढ़ में और बाद में श्रीगंगानगर में सीजेएम बने और सीकर में एडीजे रहे।
बीकानेर से अनेक हाईकोर्ट जज
प्रदेश की अदालतों में बीकानेर से बड़ी संख्या में जज है। वर्तमान में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और राजस्थान हाईकोर्ट के जज रहे गोपाल कृष्ण व्यास का बचपन भी बीकानेर में बीता। इसके अलावा बीकानेर के मनोज कुमार व्यास भी हाईकोर्ट जज रहे।
योगेंद्र पुरोहित की पत्नी विजयलक्ष्मी भी एलएलबी, एलएलएम और लॉ में पीएचडी कर चुकी हैं। उनका बेटा निखिल पुरोहित इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहा है। निखिल ने मदुरई से एलएलबी की और बाद में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी लंदन से एलएलएम की पढ़ाई कर रहा है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
जस्टिस योगेंद्र कुमार पुरोहित सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के जज की शपथ ली। योगेंद्र कुमार पुरोहित बीकानेर की अदालतों में अपने वकील चाचा के ऑफिस में टाइपिंग किया करते थे। मुकदमे लिखते थे। फिर वकालत पूरी कर वकील बने। महज 23 साल की उम्र में मुंसिफ मजिस्ट्रेट बन गए थे।
डूंगर कॉलेज से बीएससी करने के दौरान उन्होंने अपने चाचा एडवोकेट विजय कुमार पुरोहित के ऑफिस में काम शुरू किया। यहां चाचा उन्हें मुकदमे की आउट लाइन बताते और वे पूरा मुकदमा टाइप करने का काम करते थे। इसी दौरान योगेंद्र पुरोहित ने पहले वकील बनने की ठानी और बाद में जज बनने का सपना देखा।
खास बात ये है कि जज बनने का सपना उन्होंने महज 23 साल की उम्र में पूरा कर लिया था। बहुत कम उम्र में मुंसिफ मजिस्ट्रेट बनने के कारण उन्हें प्रमोशन भी मिलते गए। बाद में कोटा और अलवर में डिस्ट्रिक्ट जज बने। अब उनका चयन हाईकोर्ट जज के रूप में हो गया है। इस दौरान योगेंद्र पुरोहित एसीजेएम, सीजेएम, एडीजे और डिस्ट्रिक्ट जज से होते हुए हाईकोर्ट तक पहुंचे। वरिष्ठता के आधार पर पहले से तय माना जा रहा था कि वो हाईकोर्ट तक पहुंच जाएंगे।
जीजा-साला दोनों हाईकोर्ट जज
योगेंद्र कुमार पुरोहित के साले भी जज हैं। योगेंद्र पुरोहित के साले उमाशंकर व्यास कुछ समय पहले ही राजस्थान हाईकोर्ट जज बने थे। अब जीजा-साला दोनों एक ही जगह जज के रूप में काम करेंगे। वहीं जस्टिस योगेंद्र की एक साली भी डिस्ट्रिक्ट जज हैं।
सरकारी स्कूल में पढ़े
योगेंद्र पुरोहित अपने भाइयों के साथ सरकारी स्कूल में पढ़े। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा बीकानेर पाबू पाठशाला में पूरी की। इसके बाद में सार्दुल स्कूल में पढ़े। डूंगर कॉलेज से बीएससी करके एलएलबी की। एलएलबी करने के बाद कुछ समय बीकानेर की अदालतों में वकालत भी की।
जीजा-साला दोनों हाईकोर्ट जज
योगेंद्र कुमार पुरोहित के साले भी जज हैं। योगेंद्र पुरोहित के साले उमाशंकर व्यास कुछ समय पहले ही राजस्थान हाईकोर्ट जज बने थे। अब जीजा-साला दोनों एक ही जगह जज के रूप में काम करेंगे। वहीं जस्टिस योगेंद्र की एक साली भी डिस्ट्रिक्ट जज हैं।
सरकारी स्कूल में पढ़े
योगेंद्र पुरोहित अपने भाइयों के साथ सरकारी स्कूल में पढ़े। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा बीकानेर पाबू पाठशाला में पूरी की। इसके बाद में सार्दुल स्कूल में पढ़े। डूंगर कॉलेज से बीएससी करके एलएलबी की। एलएलबी करने के बाद कुछ समय बीकानेर की अदालतों में वकालत भी की।
पहली नौकरी जज के रूप में
सरकारी नौकरी के रूप में योगेंद्र सबसे पहले जज ही बने। इसके अलावा उन्होंने किसी अन्य नौकरी का प्रयास ही नहीं किया। बायोलॉजी लेने के बाद भी डॉक्टर बनने के प्रति उनकी कोई खास रुचि नहीं थी। ऐसे में उन्होंने बीएससी करके सीधे एलएलबी के लिए आवेदन कर दिया था। डूंगर कॉलेज से 1989 में एलएलबी करने के बाद 1992 में मुंसिफ मजिस्ट्रेट बन गए थे। पहली पोस्टिंग हनुमानगढ़ में और बाद में श्रीगंगानगर में सीजेएम बने और सीकर में एडीजे रहे।
बीकानेर से अनेक हाईकोर्ट जज
प्रदेश की अदालतों में बीकानेर से बड़ी संख्या में जज है। वर्तमान में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और राजस्थान हाईकोर्ट के जज रहे गोपाल कृष्ण व्यास का बचपन भी बीकानेर में बीता। इसके अलावा बीकानेर के मनोज कुमार व्यास भी हाईकोर्ट जज रहे।
योगेंद्र पुरोहित की पत्नी विजयलक्ष्मी भी एलएलबी, एलएलएम और लॉ में पीएचडी कर चुकी हैं। उनका बेटा निखिल पुरोहित इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहा है। निखिल ने मदुरई से एलएलबी की और बाद में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी लंदन से एलएलएम की पढ़ाई कर रहा है।
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