14 May 2022 02:31 PM
जोग संजोग टाइम्स,
वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद् डाॅ. मदन केवलिया ने कहा कि महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण का सम्पूर्ण काव्य वीरों के वीरत्व का उद्घोष है। उनके द्वारा रचित ‘वीर सतसई’ में मातृभूमि को परतन्त्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाने की अदम्य अभिलाषा है। उन्होंने वीर सतसई के माध्यम से स्वाधीनता-प्रेमी वीरों को प्रेरित किया।
डाॅ. केवलिया शनिवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रतिमान संस्थान में ‘वीर सतसई में मातृभूमि प्रेम’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। डाॅ. केवलिया ने कहा कि भारत के सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान के अनेक वीरों की स्तुत्य भूमिका रही है। सूर्यमल्ल मिश्रण ने तत्कालीन समय की प्रतिध्वनियों को अपने काव्य के माध्यम से उकेरा है। मिश्रण ने अपने काव्य में मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले शूरवीरों की मुक्तकंठ से सराहना की है। अपनी अतीतकालीन उपलब्धियों को विस्मृत कर, अंग्रेजों की अधीनता स्वीकारने वाले कायरों को कवि ने मृतक के समान माना है। वीर माता अपने पुत्र को पालने में झुलाती हुई, मातृभूमि की रक्षा करने की सीख देती है- ‘इळा न देणी आपणी, हालरिया हुलराय, पूत सिखावै पालणै, मरण बड़ाई माय।’
एसबीपी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डूंगरपुर के सेवानिवृत्त एसोसियेट प्रोफेसर डाॅ. हरिशंकर मारु ने कहा कि मिश्रण ने वीर सतसई में लिखा है कि वही श्रेष्ठ वीर है, जो वीरता का प्रदर्शन करने में अपने ही लोगों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रखता हुआ बलिदान हो जाता है। राजकीय डूंगर महाविद्यालय के सह आचार्य डाॅ. ऐजाज अहमद कादरी ने कहा कि मिश्रण ने वीर सतसई में वीरांगना की मनोव्यथा का वर्णन करते हुए लिखा है कि शत्रुओं का सामना करने में उसके पति व पुत्र कायरता दिखाएं, यह वीरांगना को असहनीय है। एम डी डिग्री महाविद्यालय, बज्जू के प्राचार्य डाॅ. मिर्जा हैदर बेग ने कहा कि सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के वातावरण में वीर सतसई की रचना हुई। ब्रिटिश शासन काल में इसका पुस्तक के रूप में प्रकाशन नहीं हो सका, पर इसके सरस दोहे राजस्थानी जनता में चावपूर्वक कहे और सुने जाने लगे।
अकादमी सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाकवि मिश्रण ने वीर सतसई में राजस्थान की सांस्कृतिक परंपराओं, शूरवीरों व वीरांगनाओं की भावनाओं का जीवंत चित्रण करते हुए मातृभूमि की रक्षा करने की प्रेरणा दी है।
इस अवसर पर विद्यार्थी, साहित्य अनुरागी, अकादमी कार्मिक उपस्थित थे।
जोग संजोग टाइम्स,
वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद् डाॅ. मदन केवलिया ने कहा कि महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण का सम्पूर्ण काव्य वीरों के वीरत्व का उद्घोष है। उनके द्वारा रचित ‘वीर सतसई’ में मातृभूमि को परतन्त्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाने की अदम्य अभिलाषा है। उन्होंने वीर सतसई के माध्यम से स्वाधीनता-प्रेमी वीरों को प्रेरित किया।
डाॅ. केवलिया शनिवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रतिमान संस्थान में ‘वीर सतसई में मातृभूमि प्रेम’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। डाॅ. केवलिया ने कहा कि भारत के सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान के अनेक वीरों की स्तुत्य भूमिका रही है। सूर्यमल्ल मिश्रण ने तत्कालीन समय की प्रतिध्वनियों को अपने काव्य के माध्यम से उकेरा है। मिश्रण ने अपने काव्य में मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले शूरवीरों की मुक्तकंठ से सराहना की है। अपनी अतीतकालीन उपलब्धियों को विस्मृत कर, अंग्रेजों की अधीनता स्वीकारने वाले कायरों को कवि ने मृतक के समान माना है। वीर माता अपने पुत्र को पालने में झुलाती हुई, मातृभूमि की रक्षा करने की सीख देती है- ‘इळा न देणी आपणी, हालरिया हुलराय, पूत सिखावै पालणै, मरण बड़ाई माय।’
एसबीपी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डूंगरपुर के सेवानिवृत्त एसोसियेट प्रोफेसर डाॅ. हरिशंकर मारु ने कहा कि मिश्रण ने वीर सतसई में लिखा है कि वही श्रेष्ठ वीर है, जो वीरता का प्रदर्शन करने में अपने ही लोगों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रखता हुआ बलिदान हो जाता है। राजकीय डूंगर महाविद्यालय के सह आचार्य डाॅ. ऐजाज अहमद कादरी ने कहा कि मिश्रण ने वीर सतसई में वीरांगना की मनोव्यथा का वर्णन करते हुए लिखा है कि शत्रुओं का सामना करने में उसके पति व पुत्र कायरता दिखाएं, यह वीरांगना को असहनीय है। एम डी डिग्री महाविद्यालय, बज्जू के प्राचार्य डाॅ. मिर्जा हैदर बेग ने कहा कि सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के वातावरण में वीर सतसई की रचना हुई। ब्रिटिश शासन काल में इसका पुस्तक के रूप में प्रकाशन नहीं हो सका, पर इसके सरस दोहे राजस्थानी जनता में चावपूर्वक कहे और सुने जाने लगे।
अकादमी सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाकवि मिश्रण ने वीर सतसई में राजस्थान की सांस्कृतिक परंपराओं, शूरवीरों व वीरांगनाओं की भावनाओं का जीवंत चित्रण करते हुए मातृभूमि की रक्षा करने की प्रेरणा दी है।
इस अवसर पर विद्यार्थी, साहित्य अनुरागी, अकादमी कार्मिक उपस्थित थे।
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29 April 2022 10:34 AM
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