19 October 2022 05:46 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
जयपुर। दीपावली पर घरों को रोशन करने के लिए इस बार गोबर से बने दीये घर-आंगन से रोशन होंगे। जयपुर के हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गाय के गोबर से दीपक बनाने का कार्य तेजी से हो रहा है। प्रतिदिन लगभग दो हजार दीपक बनाए जा रहे हैं। ऑर्गेनिक फार्म में गाय के गोबर से दीपक बनाने के लिए हरे कृष्ण मूवमेंट के भक्तों ने इस दिशा में अभिनव पहल की।* इको फ्रेंडली होने के चलते राज्य के अन्य शहरों और अन्य राज्यों में भी इसकी मांग आ रही है। इसके अलावा यहां बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) एवं यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप एवं इको फ्रेंडली गोकास्ट भी बनाई जा रही है।
कैसे बनते है इको फ्रेंडली दीपक
दीपक बनाने के लिए पहले गाय के सूखे गोबर को इकट्ठा किया जाता है। उसके बाद करीब एक किलो गोबर में 50 ग्राम मैदा लकड़ी चूर्ण और 50 ग्राम गम ग्वार मिलाया जाता है। हाथ से उसको गूंथकर गाय के गोबर को दीपक का खूबसूरत आकार देते हैं। एक मिनट में पांच से छ दीये तैयार हो जाते हैं। इसे दो दिनों तक धूप में सुखाया जाता है। खास बात ये है की उपयोग के बाद इन दीपक के अवशेष को खाद के रूप में उपयोग लिया जा सकता है। हिंगोनिया गोशाला के अध्यक्ष रघुपति दास ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर का उपयोग धार्मिक कार्यो में किया जाता है। इसलिए हमारा लक्ष्य 25 हजार दीये बनाने का है ताकि लोग गाय के गोबर के महत्व को जाने। इसके साथ-साथ हवन तथा यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप एवं इको फ्रेंडली गोकास्ट भी बनाई जा रही है।
ऋषिराज जोशी
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
जयपुर। दीपावली पर घरों को रोशन करने के लिए इस बार गोबर से बने दीये घर-आंगन से रोशन होंगे। जयपुर के हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गाय के गोबर से दीपक बनाने का कार्य तेजी से हो रहा है। प्रतिदिन लगभग दो हजार दीपक बनाए जा रहे हैं। ऑर्गेनिक फार्म में गाय के गोबर से दीपक बनाने के लिए हरे कृष्ण मूवमेंट के भक्तों ने इस दिशा में अभिनव पहल की।
इको फ्रेंडली होने के चलते राज्य के अन्य शहरों और अन्य राज्यों में भी इसकी मांग आ रही है। इसके अलावा यहां बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) एवं यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप एवं इको फ्रेंडली गोकास्ट भी बनाई जा रही है।
कैसे बनते है इको फ्रेंडली दीपक
दीपक बनाने के लिए पहले गाय के सूखे गोबर को इकट्ठा किया जाता है। उसके बाद करीब एक किलो गोबर में 50 ग्राम मैदा लकड़ी चूर्ण और 50 ग्राम गम ग्वार मिलाया जाता है। हाथ से उसको गूंथकर गाय के गोबर को दीपक का खूबसूरत आकार देते हैं। एक मिनट में पांच से छ दीये तैयार हो जाते हैं। इसे दो दिनों तक धूप में सुखाया जाता है। खास बात ये है की उपयोग के बाद इन दीपक के अवशेष को खाद के रूप में उपयोग लिया जा सकता है। हिंगोनिया गोशाला के अध्यक्ष रघुपति दास ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर का उपयोग धार्मिक कार्यो में किया जाता है। इसलिए हमारा लक्ष्य 25 हजार दीये बनाने का है ताकि लोग गाय के गोबर के महत्व को जाने। इसके साथ-साथ हवन तथा यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप एवं इको फ्रेंडली गोकास्ट भी बनाई जा रही है।
ऋषिराज जोशी
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