04 May 2022 02:21 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार देश में अधिकांश मामलों में न्याय जल्दी से नही मिल पाता। देश मे 4 करोड़ 70 लाख मामले लम्बित है। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना का कहना है कि न्यायपालिका काम के बोझ तले दबी हुई है. उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में 4 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में एक सम्मेलन में बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा कि अदालतें जजों की कमी से जूझ रही हैं. उन्होंने कहा, “दस लाख लोगों पर हमारे पास 20 जज हैं, जो बढ़ती मुकदमेबाजी को संभालने के लिए नाकाफी हैं. जजों के लिए 24 हजार पद हैं जिनमें से बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. छह साल के अंतराल पर हो रहे मुख्य न्यायाधीशों के 39वें सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे. उन्होंने देश के पच्चीसों उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से जल्द से जल्द जजों की पदोन्नति के लिए नाम भेजने को भी कहा.
पिछले माह लोकसभा को दिए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने सूचित किया था कि देश में 4.70 करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से 70,154 सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में हैं. 25 उच्च न्यायालयों में 58 लाख 94 हजार 60 मामले लंबित हैं जबकि निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 4,10,47,976 है. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीप के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे.2018 में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में लिखा था कि तब जिस रफ्तार से अदालतों में मामलों का निपटारा हो रहा था, उसके मुताबिक लंबित पड़े मामलों के निपटारे में 324 साल से ज्यादा का वक्त लगना था. तब लंबित मामलों की संख्या 2.9 करोड़ थी. उनमें से 65,695 मामले ऐसे थे जिन्हें दिसंबर 2018 तक लंबित पड़े 30 साल से ज्यादा गुजर चुके थे। साभार।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार देश में अधिकांश मामलों में न्याय जल्दी से नही मिल पाता। देश मे 4 करोड़ 70 लाख मामले लम्बित है। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना का कहना है कि न्यायपालिका काम के बोझ तले दबी हुई है. उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में 4 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में एक सम्मेलन में बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा कि अदालतें जजों की कमी से जूझ रही हैं. उन्होंने कहा, “दस लाख लोगों पर हमारे पास 20 जज हैं, जो बढ़ती मुकदमेबाजी को संभालने के लिए नाकाफी हैं. जजों के लिए 24 हजार पद हैं जिनमें से बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. छह साल के अंतराल पर हो रहे मुख्य न्यायाधीशों के 39वें सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे. उन्होंने देश के पच्चीसों उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से जल्द से जल्द जजों की पदोन्नति के लिए नाम भेजने को भी कहा.
पिछले माह लोकसभा को दिए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने सूचित किया था कि देश में 4.70 करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से 70,154 सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में हैं. 25 उच्च न्यायालयों में 58 लाख 94 हजार 60 मामले लंबित हैं जबकि निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 4,10,47,976 है. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीप के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे.2018 में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में लिखा था कि तब जिस रफ्तार से अदालतों में मामलों का निपटारा हो रहा था, उसके मुताबिक लंबित पड़े मामलों के निपटारे में 324 साल से ज्यादा का वक्त लगना था. तब लंबित मामलों की संख्या 2.9 करोड़ थी. उनमें से 65,695 मामले ऐसे थे जिन्हें दिसंबर 2018 तक लंबित पड़े 30 साल से ज्यादा गुजर चुके थे। साभार।
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20 September 2023 01:54 PM
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