11 February 2023 01:41 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
सरकार का दावा है भारत का हर गांव अब रोशन है। राजस्थान की सरकार भी इसके लिए खुद की पीठ थपथपाती है। बावजूद इसके बच्चों के भविष्य को रोशन करने की न सोच नजर आ रही है न सलीका। वजह प्रदेश के 3330 स्कूलों में आज भी अंधेरा है।गांव और ढाणियों के सरकारी स्कूलों में बच्चे आज भी पेड़ों की छांव में पड़ रहे हैं। बिजली कनेक्शन नहीं हाेने के पीछे सबसे बड़ी वजह है बजट। अगर सर्विस लाइन से सीधे कनेक्शन जुड़वाना है ताे चार-पांच हजार रुपए में काम हाे जाएगा।यदि लाइन नई खींचनी पड़ी ताे खंभे और ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा, जिसका खर्च स्कूल प्रशासन काे उठाना पड़ता है। इतना बजट नहीं हाेने के चलते स्कूलों में रोशनी नहीं हाे पा रही है।प्रदेश के 33 जिलाें में 64 हजार 937 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 61 हजार 607 में ही बिजली कनेक्शन हैं। सोलर ऊर्जा 2007 और पवन ऊर्जा महज 45 स्कूल में हैं। पवन ऊर्जा बीकानेर के किसी स्कूल में नहीं हैं, जबकि सोलर ऊर्जा से 81 स्कूल रोशन हाे रहे हैं।
ये हैं टाॅप पांच जिले :
जोधपुर के 889 स्कूल बिजली कनेक्शन से वचिंत हैं, इसलिए ये जिला पहले स्थान पर है। दूसरे नंबर बाड़मेर 369, तीसरे नंबर पर उदयपुर 298, चौथे नंबर पर जैसलमेर 239 और पांचवें नंबर पर बांसवाड़ा हैं। यहां के 235 स्कलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। चूरू, सवाईमाधोपुर और कोटा के महज क्रमश: 7-7 स्कूल बिना बिजली कनेक्शन के चल रहे हैं।
इसके अलावा अजमेर के 22, अलवर के 73, बारां के 165, भरतपुर के 11, भीलवाड़ा के 31, बूंदी के 28, चित्तौड़गढ़ के 19, दौसा के 47, धौलपुर के 8, डूंगरपुर के 19, श्रीगंगानगर के 61, हनुमानगढ़ के 17, जयपुर के 56, जालोर के 168, झालावाड़ के 31, झुंझुनूं के 14, करौली के 51, नागौर के 39, पाली के 29, प्रतापगढ़ के 62, राजसमंद के 38, सीकर के दस, सिरोही के 37, टोंक के 24 व उदयपुर के 298 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है।
आदिवासी क्षेत्र के आठ जिले भी प्रभावित
प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र के आठ जिले भी इस समस्या से ग्रस्त है। इसमें बांसवाड़ा के 235, डूंगरपुर के 19 स्कूलों में बिजली नहीं है। वहीं उदयपुर के 298 सिरोही के 37, प्रतापगढ़ के 62, चित्तौड़गढ़ के 19, राजसमंद के 38 व पाली के 29 स्कूल हैं। इन स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। ये जिले आंशिक रूप से प्रभावित है।
बज्जू में 66 स्कूलों में बिजली नहीं
बीकानेर जिले में शिक्षा विभाग से विद्युत निगम काे 316 आवेदन किए गए। 286 मांग पत्र जारी हाेने के बाद 143 पत्रावलियां जमा हुईं, जिन्हें विभाग ने बिजली कनेक्शन जारी कर दिया है। बावजूद लूणकरणसर के 15, श्रीडूंगरगढ़ के 17, खाजूवाला के 13, नोखा का एक, कोलायत के 14, बज्जू के 66, छतरगढ़ में दाे स्कलों कनेक्शन अभी तक जारी नहीं हाे पाया है।
वजह मांग पत्र की राशि नहीं भरवाई गई है। बज्जू और कोलायत में गांव व ढाणियों में स्कूल ज्यादातर उन जगहों पर हैं, जहां सर्विस लाइन दूर है। ऐसे में नई लाइन खींचने के साथ ट्रांसफार्मर लगाने की जरूरत है। इस काम पर करीब डेढ़ लाख रुपए से अधिक का खर्च आता है, इसलिए स्कूलों की तरफ से राशि जमा नहीं करवाई गई है।
रुपए जमा करवाते ही जारी करते हैं कनेक्शन
इस पर विद्युत विभाग के एसई (ग्रामीण) आरएस मीणा का कहना है कि स्कूलों के पास बजट की कमी है। जिन इलाकों के स्कूलों में कनेक्शन नहीं हुए है। वहां पर लाइन खींचने पड़ेंगी या फिर ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा। एक किमी तक नई लाइन खींचने पर करीब 20 पोल लगाने के साथ ट्रांसफार्मर लगाना पड़ता है। इस काम में डेढ़ लाख रुपए से अधिक का खर्चा आता है। अगर सिर्फ ट्रांसफार्मर लगाना हाेता है ताे 60 हजार की लागत आती है। रुपए जमा होते ही विभाग बिजली कनेक्शन जारी कर देता है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
सरकार का दावा है भारत का हर गांव अब रोशन है। राजस्थान की सरकार भी इसके लिए खुद की पीठ थपथपाती है। बावजूद इसके बच्चों के भविष्य को रोशन करने की न सोच नजर आ रही है न सलीका। वजह प्रदेश के 3330 स्कूलों में आज भी अंधेरा है।गांव और ढाणियों के सरकारी स्कूलों में बच्चे आज भी पेड़ों की छांव में पड़ रहे हैं। बिजली कनेक्शन नहीं हाेने के पीछे सबसे बड़ी वजह है बजट। अगर सर्विस लाइन से सीधे कनेक्शन जुड़वाना है ताे चार-पांच हजार रुपए में काम हाे जाएगा।यदि लाइन नई खींचनी पड़ी ताे खंभे और ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा, जिसका खर्च स्कूल प्रशासन काे उठाना पड़ता है। इतना बजट नहीं हाेने के चलते स्कूलों में रोशनी नहीं हाे पा रही है।प्रदेश के 33 जिलाें में 64 हजार 937 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 61 हजार 607 में ही बिजली कनेक्शन हैं। सोलर ऊर्जा 2007 और पवन ऊर्जा महज 45 स्कूल में हैं। पवन ऊर्जा बीकानेर के किसी स्कूल में नहीं हैं, जबकि सोलर ऊर्जा से 81 स्कूल रोशन हाे रहे हैं।
ये हैं टाॅप पांच जिले :
जोधपुर के 889 स्कूल बिजली कनेक्शन से वचिंत हैं, इसलिए ये जिला पहले स्थान पर है। दूसरे नंबर बाड़मेर 369, तीसरे नंबर पर उदयपुर 298, चौथे नंबर पर जैसलमेर 239 और पांचवें नंबर पर बांसवाड़ा हैं। यहां के 235 स्कलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। चूरू, सवाईमाधोपुर और कोटा के महज क्रमश: 7-7 स्कूल बिना बिजली कनेक्शन के चल रहे हैं।
इसके अलावा अजमेर के 22, अलवर के 73, बारां के 165, भरतपुर के 11, भीलवाड़ा के 31, बूंदी के 28, चित्तौड़गढ़ के 19, दौसा के 47, धौलपुर के 8, डूंगरपुर के 19, श्रीगंगानगर के 61, हनुमानगढ़ के 17, जयपुर के 56, जालोर के 168, झालावाड़ के 31, झुंझुनूं के 14, करौली के 51, नागौर के 39, पाली के 29, प्रतापगढ़ के 62, राजसमंद के 38, सीकर के दस, सिरोही के 37, टोंक के 24 व उदयपुर के 298 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है।
आदिवासी क्षेत्र के आठ जिले भी प्रभावित
प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र के आठ जिले भी इस समस्या से ग्रस्त है। इसमें बांसवाड़ा के 235, डूंगरपुर के 19 स्कूलों में बिजली नहीं है। वहीं उदयपुर के 298 सिरोही के 37, प्रतापगढ़ के 62, चित्तौड़गढ़ के 19, राजसमंद के 38 व पाली के 29 स्कूल हैं। इन स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। ये जिले आंशिक रूप से प्रभावित है।
बज्जू में 66 स्कूलों में बिजली नहीं
बीकानेर जिले में शिक्षा विभाग से विद्युत निगम काे 316 आवेदन किए गए। 286 मांग पत्र जारी हाेने के बाद 143 पत्रावलियां जमा हुईं, जिन्हें विभाग ने बिजली कनेक्शन जारी कर दिया है। बावजूद लूणकरणसर के 15, श्रीडूंगरगढ़ के 17, खाजूवाला के 13, नोखा का एक, कोलायत के 14, बज्जू के 66, छतरगढ़ में दाे स्कलों कनेक्शन अभी तक जारी नहीं हाे पाया है।
वजह मांग पत्र की राशि नहीं भरवाई गई है। बज्जू और कोलायत में गांव व ढाणियों में स्कूल ज्यादातर उन जगहों पर हैं, जहां सर्विस लाइन दूर है। ऐसे में नई लाइन खींचने के साथ ट्रांसफार्मर लगाने की जरूरत है। इस काम पर करीब डेढ़ लाख रुपए से अधिक का खर्च आता है, इसलिए स्कूलों की तरफ से राशि जमा नहीं करवाई गई है।
रुपए जमा करवाते ही जारी करते हैं कनेक्शन
इस पर विद्युत विभाग के एसई (ग्रामीण) आरएस मीणा का कहना है कि स्कूलों के पास बजट की कमी है। जिन इलाकों के स्कूलों में कनेक्शन नहीं हुए है। वहां पर लाइन खींचने पड़ेंगी या फिर ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा। एक किमी तक नई लाइन खींचने पर करीब 20 पोल लगाने के साथ ट्रांसफार्मर लगाना पड़ता है। इस काम में डेढ़ लाख रुपए से अधिक का खर्चा आता है। अगर सिर्फ ट्रांसफार्मर लगाना हाेता है ताे 60 हजार की लागत आती है। रुपए जमा होते ही विभाग बिजली कनेक्शन जारी कर देता है।
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