02 September 2021 08:33 AM
राजस्थान में लंबे इंतजार के बाद बुधवार से भले ही स्कूल खुल गए हों, लेकिन पहले दिन जयपुर में सिर्फ 25% छात्र ही स्कूल पहुंचे। राजस्थान में चार महीने 18 दिन बाद 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल खुले थे। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका से डरे पेरेंट्स ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। कुछ अभी दो चार दिन माहौल देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं। स्कूलों ने जितनी तैयारी बच्चों के आने को लेकर की थी। उसके अनुपात में जयपुर सहित अन्य शहरों में बच्चे नहीं आए।
स्कूल्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे कम आए, क्योंकि ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी पढ़ाई चल रही है। उधर, सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या नहीं के बराबर ही रही। अब निजी और सरकारी स्कूलों का प्रबंधन बच्चों के अभिभावकों को समझाने में जुट गया है। वे किस तरह से बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई कराएंगे।
जयपुर शहर के करीब 40, जोधपुर के 22, बीकानेर के 17, कोटा के 21, उदयपुर के 14 स्कूलों सहित प्रदेश के 114 निजी और 40 सरकारी स्कूलों में पहुंचकर हालात देखे तो यह चौंकाने वाला फैक्ट निकलकर आया। इस दौरान टीम ने पेरेंट्स से बातचीत की तो सामने आया कि कुछ तो बच्चों की वैक्सीन नहीं आने तक भेजने को तैयार नहीं है।
तीसरी लहर का डर, बच्चे नहीं पहुंचे स्कूल:पहले दिन जयपुर में सिर्फ 25% छात्र ही पहुंचे; पेरेंट्स बोले- बच्चों की वैक्सीन आने के बाद भेजेंगे, सरकारी स्कूलों के हाल और भी बुरे
ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से कम छात्र पहुंचे स्कूल
जयपुर के संस्कार स्कूल की प्रिंसिपल नीलम भारद्वाज ने बताया कि कोरोना के डर की वजह से आज पहले दिन बच्चों की संख्या काफी कम रही। इस दौरान काफी अभिभावक स्कूल पहुंचे। उन्होंने भविष्य में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयारियों को देखा और समझा। ऐसे में मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में छात्रों की संख्या में जरूर इजाफा होगा। ऑनलाइन भी एक कारण रहा।
1 सप्ताह में बढ़ेगी छात्रों की संख्या
जयपुर के रावत पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर नरेंद्र सिंह ने बताया कि आज पहला दिन था। इस वजह से कम ही छात्र स्कूल पहुंचे। आने वाले कुछ दिनों में छात्रों की संख्या में और ज्यादा इजाफा होगा। अभिभावक और छात्र आज स्कूल आने वाले छात्रों को देखकर मोटिवेट होंगे।
छात्रों में कोरोना का डर
जयपुर के आसलपुर सरकारी स्कूल के टीचर्स ने बताया कि आज लंबे समय बाद स्कूल खुले थे। इस वजह से चुनिंदा छात्र ही पढ़ने पहुंचे। स्कूल टीचर द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने की समझाइश की गई थी। कोरोना के डर की वजह से छात्र स्कूल आने से अब भी कतरा रहे हैं।
स्कूलों में नया अध्याय : कोरोना के खात्मे का पढ़ा रहे पाठ
जयपुर के मीनावाला स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर सुनीता मेहला ने बताया कि लंबे समय से संक्रमण की वजह से छात्र स्कूल नहीं आ पा रहे थे। ऐसे में अब जब छात्र स्कूल आने लगे हैं। तो उन्हें सरकारी गाइडलाइन के अनुरूप पढ़ाने के साथ कोरोना से बचने के उपाय भी सिखाए जा रहे हैं। इसके लिए बकायदा हर क्लास में विशेषज्ञ टीचर छात्रों की काउंसलिंग कर उनकी समस्या का समाधान करते हैं। तो साथ ही उन्हें संक्रमण से बचने के तरीके बताते हैं, ताकि छात्र खुद के साथ अपने परिवार को भी स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकें।
पेरेंट्स बोले- जिंदगी जरूरी, पढ़ाई नहीं
जयपुर के मनीष विजयवर्गीय ने बताया कि सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय भले ही ले लिया हो, लेकिन मेरे लिए पढ़ाई से ज्यादा मेरे बच्चों की जिंदगी जरूरी है। ऐसे में बच्चे घर पर रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे। कोरोना संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
बीकानेर के स्कूल्स में आधे बच्चे आए
स्कूल शुरू होने के बाद बीकानेर में पहले दिन 50 प्रतिशत बच्चे ही उपस्थित हुए। दरअसल, कोरोना के चलते अभी गार्जन भी अन्य बच्चों को देख रहे हैं कि वो आ रहे है या नहीं? कुछ स्कूल्स में तो सिर्फ गार्जन आये और देखकर चले गए। बीकानेर के पूगल रोड स्थित सीनियर सैकंडरी स्कूल के टीचर अनिल व्यास ने बताया कि पहले दिन स्कूल में नौंवी से बारहवीं में करीब सौ बच्चे आए, जबकि असल संख्या ज्यादा है। अब पढ़ाई शुरू हुई है तो धीरे धीरे स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ जायेगी।
राजस्थान में लंबे इंतजार के बाद बुधवार से भले ही स्कूल खुल गए हों, लेकिन पहले दिन जयपुर में सिर्फ 25% छात्र ही स्कूल पहुंचे। राजस्थान में चार महीने 18 दिन बाद 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल खुले थे। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका से डरे पेरेंट्स ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। कुछ अभी दो चार दिन माहौल देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं। स्कूलों ने जितनी तैयारी बच्चों के आने को लेकर की थी। उसके अनुपात में जयपुर सहित अन्य शहरों में बच्चे नहीं आए।
स्कूल्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे कम आए, क्योंकि ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी पढ़ाई चल रही है। उधर, सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या नहीं के बराबर ही रही। अब निजी और सरकारी स्कूलों का प्रबंधन बच्चों के अभिभावकों को समझाने में जुट गया है। वे किस तरह से बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई कराएंगे।
जयपुर शहर के करीब 40, जोधपुर के 22, बीकानेर के 17, कोटा के 21, उदयपुर के 14 स्कूलों सहित प्रदेश के 114 निजी और 40 सरकारी स्कूलों में पहुंचकर हालात देखे तो यह चौंकाने वाला फैक्ट निकलकर आया। इस दौरान टीम ने पेरेंट्स से बातचीत की तो सामने आया कि कुछ तो बच्चों की वैक्सीन नहीं आने तक भेजने को तैयार नहीं है।
तीसरी लहर का डर, बच्चे नहीं पहुंचे स्कूल:पहले दिन जयपुर में सिर्फ 25% छात्र ही पहुंचे; पेरेंट्स बोले- बच्चों की वैक्सीन आने के बाद भेजेंगे, सरकारी स्कूलों के हाल और भी बुरे
ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से कम छात्र पहुंचे स्कूल
जयपुर के संस्कार स्कूल की प्रिंसिपल नीलम भारद्वाज ने बताया कि कोरोना के डर की वजह से आज पहले दिन बच्चों की संख्या काफी कम रही। इस दौरान काफी अभिभावक स्कूल पहुंचे। उन्होंने भविष्य में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयारियों को देखा और समझा। ऐसे में मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में छात्रों की संख्या में जरूर इजाफा होगा। ऑनलाइन भी एक कारण रहा।
1 सप्ताह में बढ़ेगी छात्रों की संख्या
जयपुर के रावत पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर नरेंद्र सिंह ने बताया कि आज पहला दिन था। इस वजह से कम ही छात्र स्कूल पहुंचे। आने वाले कुछ दिनों में छात्रों की संख्या में और ज्यादा इजाफा होगा। अभिभावक और छात्र आज स्कूल आने वाले छात्रों को देखकर मोटिवेट होंगे।
छात्रों में कोरोना का डर
जयपुर के आसलपुर सरकारी स्कूल के टीचर्स ने बताया कि आज लंबे समय बाद स्कूल खुले थे। इस वजह से चुनिंदा छात्र ही पढ़ने पहुंचे। स्कूल टीचर द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने की समझाइश की गई थी। कोरोना के डर की वजह से छात्र स्कूल आने से अब भी कतरा रहे हैं।
स्कूलों में नया अध्याय : कोरोना के खात्मे का पढ़ा रहे पाठ
जयपुर के मीनावाला स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर सुनीता मेहला ने बताया कि लंबे समय से संक्रमण की वजह से छात्र स्कूल नहीं आ पा रहे थे। ऐसे में अब जब छात्र स्कूल आने लगे हैं। तो उन्हें सरकारी गाइडलाइन के अनुरूप पढ़ाने के साथ कोरोना से बचने के उपाय भी सिखाए जा रहे हैं। इसके लिए बकायदा हर क्लास में विशेषज्ञ टीचर छात्रों की काउंसलिंग कर उनकी समस्या का समाधान करते हैं। तो साथ ही उन्हें संक्रमण से बचने के तरीके बताते हैं, ताकि छात्र खुद के साथ अपने परिवार को भी स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकें।
पेरेंट्स बोले- जिंदगी जरूरी, पढ़ाई नहीं
जयपुर के मनीष विजयवर्गीय ने बताया कि सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय भले ही ले लिया हो, लेकिन मेरे लिए पढ़ाई से ज्यादा मेरे बच्चों की जिंदगी जरूरी है। ऐसे में बच्चे घर पर रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे। कोरोना संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
बीकानेर के स्कूल्स में आधे बच्चे आए
स्कूल शुरू होने के बाद बीकानेर में पहले दिन 50 प्रतिशत बच्चे ही उपस्थित हुए। दरअसल, कोरोना के चलते अभी गार्जन भी अन्य बच्चों को देख रहे हैं कि वो आ रहे है या नहीं? कुछ स्कूल्स में तो सिर्फ गार्जन आये और देखकर चले गए। बीकानेर के पूगल रोड स्थित सीनियर सैकंडरी स्कूल के टीचर अनिल व्यास ने बताया कि पहले दिन स्कूल में नौंवी से बारहवीं में करीब सौ बच्चे आए, जबकि असल संख्या ज्यादा है। अब पढ़ाई शुरू हुई है तो धीरे धीरे स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ जायेगी।
RELATED ARTICLES
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com