26 December 2022 03:55 PM
ऊंट का नाम लेते ही उसके उपयोग की जो तस्वीरें जेहन में उभरती हैं उनमें खास है कैमल सफारी, माल ढोना, सीमा पर गश्त या कैमल मिल्क का कुछ खास बीमारियों में सेवन। जल्द ही इस कड़ी में ऊंट से मिलने वाली दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों के नाम भी शामिल होने वाले हैं। इसके लिए रिसर्च शुरू हो चुकी है, जिसके एक चरण का काम लगभग पूरा हो गया है।
बीकानेर के नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर कैमल (एनआरसीसी) और कोलकाता के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल फाइबर इंजीनियरिंग एंड टेक्नाेलोजी (एनआईएनएफईटी) ने ऊंट के बालों में पाए जाने वाले कैराटिन से इंसानों की त्वचा-बालों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में रिसर्च शुरू की है। एनआईएनएफईटी ने ऊंट के बालों से कैराटिन एक्सट्रैक्ट कर लिया है। यह कैराटिन अब एनआरसीसी के हवाले होगा। एनआरसीसी इसे घाव ठीक करने, बालों को बढ़ाने, झड़ते बालों को रोकने, स्किन डिजीज आदि में उपयोग करेगा। इसके लिए आधिकारिक परमिशन का इंतजार है। पशुओं पर प्रयोग सफल होने के बाद इसका इंसानों पर ट्रायल होगा।
पशुओं के बाद इंसानों पर किया जाएगा ट्रायल
एनआईएनएफईटी के जिम्मे ऊंट के बालों से केराटिन नाम प्रोटीन निकालने का जिम्मा। यह काम हो गया।
एनआरसीसी इस केराटिन का स्किन केयर, हेयर ग्रोथ एंड हेयर फॉल प्रिवेंटिव, वुंड प्रोटेक्टिव के तौर पर पहले जानवरों पर उपयोग करेगा।
जानवरों पर प्रयोग सफल होने के बाद किसी मेडिकल इंस्टीट्यूट को इस रिसर्च में साथ जोड़ा जाएगा। इंसानों पर उपयोग की परमिशन लेनी होगी।
चोट से बने घाव भरने से लेकर स्किन केयर प्रोडक्ट तक में कैराटिन का उपयोग करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एनआईएनएफईटी ने कैराटिन एक्सट्रैक्ट करने का काम कर लिया है। अब इसके उपयोग पर एनआरसीसी को काम करना है। परमिशन मिलते ही इस दिशा में काम तेज करेंगे। उम्मीद है जल्द अच्छे नतीजे मिलेंगे। -डाॅ. ए. साहू, डायरेक्टर, एनआरसीसी बीकानेर
सात साल में 37 प्रतिशत कम हो गई ऊंटों की संख्या
ऊंटों पर हो रही प्रत्येक शोध की सफलता तेजी से लुप्त हो रहे इन बड़े जीवों को बचाए रखने में सहायक होगी। वजह, ऊंटों की संख्या तेजी से कम हो रही है। वर्ष 2012 की पशुधन गणना के मुताबिक देश में 04 लाख ऊंट थे। इसके बाद 2019 की गुणना में यह संख्या घटकर 2.52 लाख रह गई। मतलब यह कि सात साल में 37 प्रतिशत ऊंट कम हो गए। कम होने की बड़ी वजह है, विभिन्न कारणों से इनकी उपयोगिता घटना।
ऊंट का नाम लेते ही उसके उपयोग की जो तस्वीरें जेहन में उभरती हैं उनमें खास है कैमल सफारी, माल ढोना, सीमा पर गश्त या कैमल मिल्क का कुछ खास बीमारियों में सेवन। जल्द ही इस कड़ी में ऊंट से मिलने वाली दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों के नाम भी शामिल होने वाले हैं। इसके लिए रिसर्च शुरू हो चुकी है, जिसके एक चरण का काम लगभग पूरा हो गया है।
बीकानेर के नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर कैमल (एनआरसीसी) और कोलकाता के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल फाइबर इंजीनियरिंग एंड टेक्नाेलोजी (एनआईएनएफईटी) ने ऊंट के बालों में पाए जाने वाले कैराटिन से इंसानों की त्वचा-बालों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में रिसर्च शुरू की है। एनआईएनएफईटी ने ऊंट के बालों से कैराटिन एक्सट्रैक्ट कर लिया है। यह कैराटिन अब एनआरसीसी के हवाले होगा। एनआरसीसी इसे घाव ठीक करने, बालों को बढ़ाने, झड़ते बालों को रोकने, स्किन डिजीज आदि में उपयोग करेगा। इसके लिए आधिकारिक परमिशन का इंतजार है। पशुओं पर प्रयोग सफल होने के बाद इसका इंसानों पर ट्रायल होगा।
पशुओं के बाद इंसानों पर किया जाएगा ट्रायल
एनआईएनएफईटी के जिम्मे ऊंट के बालों से केराटिन नाम प्रोटीन निकालने का जिम्मा। यह काम हो गया।
एनआरसीसी इस केराटिन का स्किन केयर, हेयर ग्रोथ एंड हेयर फॉल प्रिवेंटिव, वुंड प्रोटेक्टिव के तौर पर पहले जानवरों पर उपयोग करेगा।
जानवरों पर प्रयोग सफल होने के बाद किसी मेडिकल इंस्टीट्यूट को इस रिसर्च में साथ जोड़ा जाएगा। इंसानों पर उपयोग की परमिशन लेनी होगी।
चोट से बने घाव भरने से लेकर स्किन केयर प्रोडक्ट तक में कैराटिन का उपयोग करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एनआईएनएफईटी ने कैराटिन एक्सट्रैक्ट करने का काम कर लिया है। अब इसके उपयोग पर एनआरसीसी को काम करना है। परमिशन मिलते ही इस दिशा में काम तेज करेंगे। उम्मीद है जल्द अच्छे नतीजे मिलेंगे। -डाॅ. ए. साहू, डायरेक्टर, एनआरसीसी बीकानेर
सात साल में 37 प्रतिशत कम हो गई ऊंटों की संख्या
ऊंटों पर हो रही प्रत्येक शोध की सफलता तेजी से लुप्त हो रहे इन बड़े जीवों को बचाए रखने में सहायक होगी। वजह, ऊंटों की संख्या तेजी से कम हो रही है। वर्ष 2012 की पशुधन गणना के मुताबिक देश में 04 लाख ऊंट थे। इसके बाद 2019 की गुणना में यह संख्या घटकर 2.52 लाख रह गई। मतलब यह कि सात साल में 37 प्रतिशत ऊंट कम हो गए। कम होने की बड़ी वजह है, विभिन्न कारणों से इनकी उपयोगिता घटना।
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23 April 2023 04:31 PM
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