17 May 2021 11:21 AM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर।
जयपुर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर हरमाड़ा इलाके के सेवापुरा कचरा प्लांट में रविवार को ट्रांसफार्मर में शार्ट सर्किट के बाद 28 घरों में एक साथ करंट दौड़ा। इसकी वजह बनी लोहे के टिनशेड से ढ़के कमरों की छत। इनके ऊपर से बिजली सप्लाई के तार टिनशेड को छूकर गुजर रहे थे। लोग इससे अनजान थे। कोई घरों के बाहर बैठा अखबार पढ़ रहा था तो कोई घरों में बैठकर चाय पी रहा था। रविवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे जैसे ही घर में रखे बिजली के उपकरण जल गए।
तब लोगों को करंट का पता चला। वे बदहवास घरों से बाहर दौड़े। किसी ने दहशत में अपने बच्चों को उठाकर कमरे से बाहर फेंक दिया। वहीं एक परिवार के चार सदस्य एक दूसरे को करंट से बचाने की कोशिश में बुरी तरह झुलस गए और पांचवें रिश्तेदार ने मौके पर करंट से दम तोड़ दिया। विष्णु शर्मा ने हादसे में झुलसने वाले लोगों के रिश्तेदारों और प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की तो सामने आई दहशत की दर्दनाक कहानी…….
तीन साल का बेटा चाय पीते वक्त फ्रिज से चिपका, तब बचाने में पिता झुलसा, फिर बहन और बड़ा बेटा
हादसे में मरने वाला मोहम्मद रफीक शरीफ और हादसे में झुलसने वाला मोहम्मद रफीक है। ये दोनों रिश्ते में जीजा-साले हैं। पड़ोस में कमरा किराया पर लेकर मजदूरी करते थे। हादसे में झुलसने वाली शिल्पी बेगम आगरा की रहने वाली हैं। वह रमजान के महीने में भाई मोहम्मद रफीक के घर आई थी। लॉकडाउन होने से आगरा नहीं लौट सकी। बस्ती में रहने वाले रिश्तेदारों ने बताया कि सुबह करीब साढ़े 7 बजे रफीक का परिवार कमरे में चाय पी रहा था।
तब फ्रिज के पास बैठकर चाय पी रहे मोहम्मद रफीक के 3 साल के बेटे शहबान का पैर फ्रिज के लगा तो करंट आ गया। तब नजदीक ही बैठे मोहम्मद रफीक ने शहबान को छुड़ाने की कोशिश की तो वह भी करंट से चिपक गया। तब अपने भाई और मासूम भतीजे के करंट से चिपकने पर कमरे में मौजूद बहन शिल्पी ने उन दोनों को छुड़ाने की कोशिश की तो वह भी बुरी तरह झुलस गई। तब रफीक का सात 7 साल मेहरान का बेटा भी अपनी बुआ, भाई और पिता को बचाने आया तो उसे करंट लगा और वह उछलकर दूर गिरा। ये चारों ही बुरी तरह झुलस गए। तब तक बस्ती में शोर मच गया और कुछ देर में पुलिस पहुंच गई।
दामाद ने कहा-मेरे ससुर ने ज्यों ही फ्रिज बंद करने के लिए स्विच दबाया, करंट लगते ही गिर पड़े और दम तोड़ दिया
हादसे में जान गंवाने वाले मोहम्मद रफीक शरीफ के दामाद मोहम्मद सुल्तान ने बताया कि सुबह उनके ससुर ने ज्यों ही फ्रिज बंद करने के लिए स्विच को दबाया। तभी उनको करंट लगा। वे वहीं अचेत होकर गिर पड़े। तब हम सभी ने उनको उठाकर हाथ पैर की मालिश करना शुरु किया। ताकि उनको होश आ जाए। तभी मोहम्मद रफीक ने तीन-चार लंबी लंबी सांसे ली।
फिर हमने तत्काल उनको एक गाड़ी में डाला और अस्पताल के लिए रवाना हुए। लेकिन तब तक मोहम्मद रफीक ने दम तोड़ दिया था। घटना के प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद सुल्तान ने बताया कि तब बस्ती में चीख पुकार मची थी। सब चिल्ला रहे थे करंट आ रहा है… घरों से बाहर निकलो…. दहशत में सब बाहर आ गए। सभी 28 कमरों में करंट फैल चुका था।
शार्ट सर्किट से धमाके के साथ तार जलते जा रहे थे, मैंने भी दोनों बच्चों को उठाकर बाहर फेंका
बस्ती में रहने वाले मोहम्मद शाहिद ने बताया कि सुबह ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट के बाद अचानक सभी 28 घरों में लगी वायरिंग जलने लगी। शॉर्ट सर्किट से तार जलने पर तेज चिंगारियां निकलने लगी। धमाकों की आवाज आना शुरु हो गई। तब बस्ती में भगदड़ मच रही थी। लोग घरों के बाहर निकल कर भाग रहे थे। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें और क्या नहीं करें। मैं भी घबरा गया। तब सबसे पहले घर में मौजूद दोनों छोटे बच्चों को उठाकर कमरे से बाहर फेंका। फिर खुद भी बाहर आ गया। वहां सब लोग दहशत में थे।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर।
जयपुर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर हरमाड़ा इलाके के सेवापुरा कचरा प्लांट में रविवार को ट्रांसफार्मर में शार्ट सर्किट के बाद 28 घरों में एक साथ करंट दौड़ा। इसकी वजह बनी लोहे के टिनशेड से ढ़के कमरों की छत। इनके ऊपर से बिजली सप्लाई के तार टिनशेड को छूकर गुजर रहे थे। लोग इससे अनजान थे। कोई घरों के बाहर बैठा अखबार पढ़ रहा था तो कोई घरों में बैठकर चाय पी रहा था। रविवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे जैसे ही घर में रखे बिजली के उपकरण जल गए।
तब लोगों को करंट का पता चला। वे बदहवास घरों से बाहर दौड़े। किसी ने दहशत में अपने बच्चों को उठाकर कमरे से बाहर फेंक दिया। वहीं एक परिवार के चार सदस्य एक दूसरे को करंट से बचाने की कोशिश में बुरी तरह झुलस गए और पांचवें रिश्तेदार ने मौके पर करंट से दम तोड़ दिया। विष्णु शर्मा ने हादसे में झुलसने वाले लोगों के रिश्तेदारों और प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की तो सामने आई दहशत की दर्दनाक कहानी…….
तीन साल का बेटा चाय पीते वक्त फ्रिज से चिपका, तब बचाने में पिता झुलसा, फिर बहन और बड़ा बेटा
हादसे में मरने वाला मोहम्मद रफीक शरीफ और हादसे में झुलसने वाला मोहम्मद रफीक है। ये दोनों रिश्ते में जीजा-साले हैं। पड़ोस में कमरा किराया पर लेकर मजदूरी करते थे। हादसे में झुलसने वाली शिल्पी बेगम आगरा की रहने वाली हैं। वह रमजान के महीने में भाई मोहम्मद रफीक के घर आई थी। लॉकडाउन होने से आगरा नहीं लौट सकी। बस्ती में रहने वाले रिश्तेदारों ने बताया कि सुबह करीब साढ़े 7 बजे रफीक का परिवार कमरे में चाय पी रहा था।
तब फ्रिज के पास बैठकर चाय पी रहे मोहम्मद रफीक के 3 साल के बेटे शहबान का पैर फ्रिज के लगा तो करंट आ गया। तब नजदीक ही बैठे मोहम्मद रफीक ने शहबान को छुड़ाने की कोशिश की तो वह भी करंट से चिपक गया। तब अपने भाई और मासूम भतीजे के करंट से चिपकने पर कमरे में मौजूद बहन शिल्पी ने उन दोनों को छुड़ाने की कोशिश की तो वह भी बुरी तरह झुलस गई। तब रफीक का सात 7 साल मेहरान का बेटा भी अपनी बुआ, भाई और पिता को बचाने आया तो उसे करंट लगा और वह उछलकर दूर गिरा। ये चारों ही बुरी तरह झुलस गए। तब तक बस्ती में शोर मच गया और कुछ देर में पुलिस पहुंच गई।
दामाद ने कहा-मेरे ससुर ने ज्यों ही फ्रिज बंद करने के लिए स्विच दबाया, करंट लगते ही गिर पड़े और दम तोड़ दिया
हादसे में जान गंवाने वाले मोहम्मद रफीक शरीफ के दामाद मोहम्मद सुल्तान ने बताया कि सुबह उनके ससुर ने ज्यों ही फ्रिज बंद करने के लिए स्विच को दबाया। तभी उनको करंट लगा। वे वहीं अचेत होकर गिर पड़े। तब हम सभी ने उनको उठाकर हाथ पैर की मालिश करना शुरु किया। ताकि उनको होश आ जाए। तभी मोहम्मद रफीक ने तीन-चार लंबी लंबी सांसे ली।
फिर हमने तत्काल उनको एक गाड़ी में डाला और अस्पताल के लिए रवाना हुए। लेकिन तब तक मोहम्मद रफीक ने दम तोड़ दिया था। घटना के प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद सुल्तान ने बताया कि तब बस्ती में चीख पुकार मची थी। सब चिल्ला रहे थे करंट आ रहा है… घरों से बाहर निकलो…. दहशत में सब बाहर आ गए। सभी 28 कमरों में करंट फैल चुका था।
शार्ट सर्किट से धमाके के साथ तार जलते जा रहे थे, मैंने भी दोनों बच्चों को उठाकर बाहर फेंका
बस्ती में रहने वाले मोहम्मद शाहिद ने बताया कि सुबह ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट के बाद अचानक सभी 28 घरों में लगी वायरिंग जलने लगी। शॉर्ट सर्किट से तार जलने पर तेज चिंगारियां निकलने लगी। धमाकों की आवाज आना शुरु हो गई। तब बस्ती में भगदड़ मच रही थी। लोग घरों के बाहर निकल कर भाग रहे थे। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें और क्या नहीं करें। मैं भी घबरा गया। तब सबसे पहले घर में मौजूद दोनों छोटे बच्चों को उठाकर कमरे से बाहर फेंका। फिर खुद भी बाहर आ गया। वहां सब लोग दहशत में थे।
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