13 May 2022 07:17 PM
जोग संजोग टाइम्स,
राजस्थान बिजली और कोयला संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है। संकट से निपटने के लिए जमकर बिजली कटौती की जा रही है। राज्य में 5 सरकारी पावर प्लांट यूनिट ठप हैं। कोयले की कमी के चलते उन्हें ठीक कर जल्द चालू तक नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर सरकार केन्द्रीय गाइडलाइंस के मुताबिक महंगा विदेशी कोयला खरीदने से भी हिचक रही है। आगे मॉनसून पीरियड है। अभी कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया तो आगे बिजली-कोयला संकट और बढ़ेगा।
कोयला मंत्रालय ने 25 अप्रैल को राज्यों को कुल अलॉट कोयले का 10 फीसदी विदेशों से इम्पोर्ट करने की एडवाइजरी जारी की थी। जिसे राजस्थान में अब तक फॉलो नहीं किया गया है। साथ ही केन्द्र ने 5 मई की देर रात से बिजली एक्ट की धारा 11 को भी लागू कर दिया है। जिसमें इम्पोर्टेड कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स को अब अपनी पूरी कैपेसिटी से बिजली जनरेट करनी ही होगी। इससे इम्पोर्टेड कोयले पर आधारित ज्यादा निजी पावर कम्पनियां और कैप्टिव पावर प्लांट पर असर पड़ेगा। राज्य की सरकारी पावर कंपनी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड अब भी महंगा कोयला खरीदने से बच रही हैं।
विदेशी महंगा कोयला खरीदना मजबूरी, सोच में पड़ी सरकार
सूत्रों के मुताबिक विदेशी कोयला भारत के देशी कोयले के मुकाबले 3-4 गुणा ज्यादा महंगा पड़ रहा है। इम्पोर्टेड कोयला खरीदने के लिए डिस्कशन तो हो चुका है। लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। केन्द्र सरकार की एजेंसी CERC (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन) के मार्केट इंडेक्स पर कोयले की कीमत निर्भर करेगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान को 9.66 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदने के लिए कहा है। प्रदेश में अब तक 5.79 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदने पर ही चर्चा छेड़ी गई है।
भारत में लोकल माइंस से कोयला 5000 रुपए मीट्रिक टन रेट पर मिलता है। जबकि विदेशी कोल की रेट 20 से 22 हजार रुपए मीट्रिक टन तक है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को को 9.65 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीद पर करीब 1500 से 1700 करोड़ रुपए तक खर्च करने होंगे। इतनी बड़ी रेट पर कोयला खरीदने से बिजली कम्पनी हिचक रही है। क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सरकार जनता पर बहुत ज्यादा बढ़ाकर बिजली फ्यूल सरचार्ज नहीं डालना चाहती है। इस कारण RVUNL और प्रदेश सरकार दोनों सोच में पड़ गए हैं कि कितना कोयला खरीदा जाए और कब खरीदा जाए। लेकिन इससे प्रदेश में कोयला संकट गहराता जा रहा है।
26 के बजाय औसत 5 दिन का कोल स्टॉक बचा
कोयला संकट का सीधा असर यह पड़ रहा है कि राजस्थान में औसत 5 दिन का ही स्टॉक मौजूद है। यह हालात तब हैं जब 5 पावर प्लांट यूनिट बंद पड़ी हैं। इन्हें चालू किया तो यह स्टॉक भी नहीं बचेगा। प्रदेश में गाइडलाइंस के मुताबिक कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया जा रहा है। कोटा थर्मल पावर स्टेशन पर 8 दिन, सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट पर 5 दिन, सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन की 7 और 8 नम्बर यूनिट पर 5 दिन, छबड़ा थर्मल पावर स्टेश पर 6 दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन पर 3 दिन, कालीसिंध थर्मल पावर स्टेशन पर 6 दिन का ही कोयला स्टॉक है। औसत 5 दिन का ही कोयला स्टॉक प्रदेश में है। जबकि गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का कोयला स्टॉक राजस्थान में होना चाहिए।
जोग संजोग टाइम्स,
राजस्थान बिजली और कोयला संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है। संकट से निपटने के लिए जमकर बिजली कटौती की जा रही है। राज्य में 5 सरकारी पावर प्लांट यूनिट ठप हैं। कोयले की कमी के चलते उन्हें ठीक कर जल्द चालू तक नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर सरकार केन्द्रीय गाइडलाइंस के मुताबिक महंगा विदेशी कोयला खरीदने से भी हिचक रही है। आगे मॉनसून पीरियड है। अभी कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया तो आगे बिजली-कोयला संकट और बढ़ेगा।
कोयला मंत्रालय ने 25 अप्रैल को राज्यों को कुल अलॉट कोयले का 10 फीसदी विदेशों से इम्पोर्ट करने की एडवाइजरी जारी की थी। जिसे राजस्थान में अब तक फॉलो नहीं किया गया है। साथ ही केन्द्र ने 5 मई की देर रात से बिजली एक्ट की धारा 11 को भी लागू कर दिया है। जिसमें इम्पोर्टेड कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स को अब अपनी पूरी कैपेसिटी से बिजली जनरेट करनी ही होगी। इससे इम्पोर्टेड कोयले पर आधारित ज्यादा निजी पावर कम्पनियां और कैप्टिव पावर प्लांट पर असर पड़ेगा। राज्य की सरकारी पावर कंपनी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड अब भी महंगा कोयला खरीदने से बच रही हैं।
विदेशी महंगा कोयला खरीदना मजबूरी, सोच में पड़ी सरकार
सूत्रों के मुताबिक विदेशी कोयला भारत के देशी कोयले के मुकाबले 3-4 गुणा ज्यादा महंगा पड़ रहा है। इम्पोर्टेड कोयला खरीदने के लिए डिस्कशन तो हो चुका है। लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। केन्द्र सरकार की एजेंसी CERC (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन) के मार्केट इंडेक्स पर कोयले की कीमत निर्भर करेगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान को 9.66 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदने के लिए कहा है। प्रदेश में अब तक 5.79 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदने पर ही चर्चा छेड़ी गई है।
भारत में लोकल माइंस से कोयला 5000 रुपए मीट्रिक टन रेट पर मिलता है। जबकि विदेशी कोल की रेट 20 से 22 हजार रुपए मीट्रिक टन तक है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को को 9.65 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीद पर करीब 1500 से 1700 करोड़ रुपए तक खर्च करने होंगे। इतनी बड़ी रेट पर कोयला खरीदने से बिजली कम्पनी हिचक रही है। क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सरकार जनता पर बहुत ज्यादा बढ़ाकर बिजली फ्यूल सरचार्ज नहीं डालना चाहती है। इस कारण RVUNL और प्रदेश सरकार दोनों सोच में पड़ गए हैं कि कितना कोयला खरीदा जाए और कब खरीदा जाए। लेकिन इससे प्रदेश में कोयला संकट गहराता जा रहा है।
26 के बजाय औसत 5 दिन का कोल स्टॉक बचा
कोयला संकट का सीधा असर यह पड़ रहा है कि राजस्थान में औसत 5 दिन का ही स्टॉक मौजूद है। यह हालात तब हैं जब 5 पावर प्लांट यूनिट बंद पड़ी हैं। इन्हें चालू किया तो यह स्टॉक भी नहीं बचेगा। प्रदेश में गाइडलाइंस के मुताबिक कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया जा रहा है। कोटा थर्मल पावर स्टेशन पर 8 दिन, सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट पर 5 दिन, सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन की 7 और 8 नम्बर यूनिट पर 5 दिन, छबड़ा थर्मल पावर स्टेश पर 6 दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन पर 3 दिन, कालीसिंध थर्मल पावर स्टेशन पर 6 दिन का ही कोयला स्टॉक है। औसत 5 दिन का ही कोयला स्टॉक प्रदेश में है। जबकि गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का कोयला स्टॉक राजस्थान में होना चाहिए।
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