26 June 2021 02:51 PM
बीकानेर। हाइकोर्ट के एक निर्देश ने अधिवक्ताओं सहित आमजन के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिए हैं कि वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने के 14 दिन बाद ही किसी को भी न्यायालय परिसर में प्रवेश दिया जाए। 28 जून से कोर्ट खुलने के साथ ही इन निर्देशों की पालना करनी होगी।
ऐसे में अधिवक्ताओं के सामने रोजी रोटी कमाने का संकट खड़ा हो गया है। वहीं आमजन की उलझन भी बढ़ेगी। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन एडवोकेट कुलदीप शर्मा ने माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आदेश रद्द करने की अपील की है। कुलदीप शर्मा ने ख़बरमंडी को बताया कि इस आदेश की पालना प्रैक्टिकल नहीं है। अधिकतर अधिवक्ताओं व आमजन को वैक्सीन की दूसरी डोज लगी ही नहीं है। वहीं 18 से 45 आयु वर्ग में तो पहली डोज लगाना ही अभी तक संभव नहीं हो पाया है। अगर पहली डोज तुरंत लगवा भी दें, फिर भी हर अधिवक्ता को कम से कम तीन से साढ़े तीन माह तक छुट्टी रखनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि अभी अधिकतर कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही है। जिसकी दूसरी डोज का समय 84 से 112 दिन निर्धारित है। ऐसे में पहले से ही लॉकडाउन की मार झेल कर खोखले हो चुके अधिवक्ता बर्बादी की ओर चले जाएंगे।दूसरी तरफ आम आदमी का भी यही हाल होगा। छोटे छोटे न्यायिक कार्यों के लिए तीन माह इंतज़ार करना पड़ जाएगा। उदाहरण के तौर पर पुलिस अगर किसी का वाहन भी सीज कर लेती है तो उसे न्यायालय से छुड़ाने के लिए तीन माह से अधिक का इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि पुलिस थाने से भारी भरकम जुर्माने के साथ वाहन छुड़वाने का विकल्प खुला रहेगा।
चेयरमैन शर्मा ने कहा कि वे आज मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करेंगे। उनसे यह फैसला वापिस लेने की गुजारिश की जाएगी। पत्र पहले ही भेजा जा चुका है। शर्मा ने कहा कि कम से कम अधिवक्ताओं को तो इसमें छूट दी जानी चाहिए। अगर अधिवक्ताओं को छूट नहीं मिलती है तो वकील अपने शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का प्रयोग भी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत में कहीं भी वैक्सीनेशन अनिवार्य नहीं है, यह ऐच्छिक है। दूसरी तरफ हर जगह छूट प्रदान कर दी गई है, फिर न्यायालय में इस तरह का प्रतिबंध तर्कसंगत नहीं लग रहा।
बीकानेर। हाइकोर्ट के एक निर्देश ने अधिवक्ताओं सहित आमजन के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिए हैं कि वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने के 14 दिन बाद ही किसी को भी न्यायालय परिसर में प्रवेश दिया जाए। 28 जून से कोर्ट खुलने के साथ ही इन निर्देशों की पालना करनी होगी।
ऐसे में अधिवक्ताओं के सामने रोजी रोटी कमाने का संकट खड़ा हो गया है। वहीं आमजन की उलझन भी बढ़ेगी। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन एडवोकेट कुलदीप शर्मा ने माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आदेश रद्द करने की अपील की है। कुलदीप शर्मा ने ख़बरमंडी को बताया कि इस आदेश की पालना प्रैक्टिकल नहीं है। अधिकतर अधिवक्ताओं व आमजन को वैक्सीन की दूसरी डोज लगी ही नहीं है। वहीं 18 से 45 आयु वर्ग में तो पहली डोज लगाना ही अभी तक संभव नहीं हो पाया है। अगर पहली डोज तुरंत लगवा भी दें, फिर भी हर अधिवक्ता को कम से कम तीन से साढ़े तीन माह तक छुट्टी रखनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि अभी अधिकतर कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही है। जिसकी दूसरी डोज का समय 84 से 112 दिन निर्धारित है। ऐसे में पहले से ही लॉकडाउन की मार झेल कर खोखले हो चुके अधिवक्ता बर्बादी की ओर चले जाएंगे।दूसरी तरफ आम आदमी का भी यही हाल होगा। छोटे छोटे न्यायिक कार्यों के लिए तीन माह इंतज़ार करना पड़ जाएगा। उदाहरण के तौर पर पुलिस अगर किसी का वाहन भी सीज कर लेती है तो उसे न्यायालय से छुड़ाने के लिए तीन माह से अधिक का इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि पुलिस थाने से भारी भरकम जुर्माने के साथ वाहन छुड़वाने का विकल्प खुला रहेगा।
चेयरमैन शर्मा ने कहा कि वे आज मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करेंगे। उनसे यह फैसला वापिस लेने की गुजारिश की जाएगी। पत्र पहले ही भेजा जा चुका है। शर्मा ने कहा कि कम से कम अधिवक्ताओं को तो इसमें छूट दी जानी चाहिए। अगर अधिवक्ताओं को छूट नहीं मिलती है तो वकील अपने शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का प्रयोग भी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत में कहीं भी वैक्सीनेशन अनिवार्य नहीं है, यह ऐच्छिक है। दूसरी तरफ हर जगह छूट प्रदान कर दी गई है, फिर न्यायालय में इस तरह का प्रतिबंध तर्कसंगत नहीं लग रहा।
RELATED ARTICLES
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com