28 October 2022 03:46 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मकान या मंदिर के निर्माण होते रोजाना देखते है सीमेंट बजरी या चूने के साथ पानी मिला पत्थर और ईटो को जोड़ा जाता है, लेकिन बीकानेर में एक ऐसा मंदिर है, जिसके नींव के निर्माण में पानी के स्थान पर हजारों लीटर शुद्ध देशी घी का प्रयोग किया गया, जिसका उल्लेख इतिहासकार भी मानते हैपानी के स्थान पर घी के उपयोग से मंदिर का निर्माण सुनने में अजीब लगता है ना जैसे कोई हवाई बात कर रहा हो लेकिन बीकानेर में ऐसा मंदिर है, जिसकी नींव का निर्माण एक या दो किलो नहीं बल्कि चालीस हजार किलोग्राम घी से किया गया है. बीकानेर का विश्व प्रसिद्ध भांडाशाह जैन मंदिर, जिसकी नींव घी से भरी गई साथ ही मथेरण और उस्ता कला नायाब नमूना भी है इस मंदिर को रोजाना सैंकड़ो देशी-विदेशी पर्यटक देखने आते है पांच शताब्दी से ज्यादा प्राचीन भांडाशाह जैन मंदिर दुनिया में अपनी अलग ही ख्याति रखता है इसका निर्माण भांडाशाह नाम के व्यापारी ने 1468 में बनवाना शुरू करवाया और इसे 1541 में उनकी पुत्री ने पूरा कराया था मंदिर का निर्माण भांडाशाह जैन द्वारा करवाने के कारण इसका नाम भांडाशाह पड़ा गया तल से 108 फुट ऊंचे इस जैन मंदिर में पांचवें तीर्थकर भगवान सुमतिनाथ जी मूल वेदी पर विराजमान हैं यह पूरा मंदिर तीन मंजिलों में बंटा है और लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का बना है. इस मंदिर के भीतर की सजावट बहुत सुंदर है इसमें मथेरण और उस्ता कला का शानदार काम किया गया है. इस मंदिर के अंदर के भित्ति चित्र और मूर्तियां भी बहुत दिलचस्प हैं मंदिर के फर्श, छत, खम्बे और दीवारें मूर्तियों और चित्रकारी से सुसज्जित हैं मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक की श्रेणी में है मंदिर के 500 वर्ष पूर्ण होने पर डाक विभाग द्वारा विशेष आवरण और विरुपण जारी किया गया था
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मकान या मंदिर के निर्माण होते रोजाना देखते है सीमेंट बजरी या चूने के साथ पानी मिला पत्थर और ईटो को जोड़ा जाता है, लेकिन बीकानेर में एक ऐसा मंदिर है, जिसके नींव के निर्माण में पानी के स्थान पर हजारों लीटर शुद्ध देशी घी का प्रयोग किया गया, जिसका उल्लेख इतिहासकार भी मानते हैपानी के स्थान पर घी के उपयोग से मंदिर का निर्माण सुनने में अजीब लगता है ना जैसे कोई हवाई बात कर रहा हो लेकिन बीकानेर में ऐसा मंदिर है, जिसकी नींव का निर्माण एक या दो किलो नहीं बल्कि चालीस हजार किलोग्राम घी से किया गया है. बीकानेर का विश्व प्रसिद्ध भांडाशाह जैन मंदिर, जिसकी नींव घी से भरी गई साथ ही मथेरण और उस्ता कला नायाब नमूना भी है इस मंदिर को रोजाना सैंकड़ो देशी-विदेशी पर्यटक देखने आते है पांच शताब्दी से ज्यादा प्राचीन भांडाशाह जैन मंदिर दुनिया में अपनी अलग ही ख्याति रखता है इसका निर्माण भांडाशाह नाम के व्यापारी ने 1468 में बनवाना शुरू करवाया और इसे 1541 में उनकी पुत्री ने पूरा कराया था मंदिर का निर्माण भांडाशाह जैन द्वारा करवाने के कारण इसका नाम भांडाशाह पड़ा गया तल से 108 फुट ऊंचे इस जैन मंदिर में पांचवें तीर्थकर भगवान सुमतिनाथ जी मूल वेदी पर विराजमान हैं यह पूरा मंदिर तीन मंजिलों में बंटा है और लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का बना है. इस मंदिर के भीतर की सजावट बहुत सुंदर है इसमें मथेरण और उस्ता कला का शानदार काम किया गया है. इस मंदिर के अंदर के भित्ति चित्र और मूर्तियां भी बहुत दिलचस्प हैं मंदिर के फर्श, छत, खम्बे और दीवारें मूर्तियों और चित्रकारी से सुसज्जित हैं मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक की श्रेणी में है मंदिर के 500 वर्ष पूर्ण होने पर डाक विभाग द्वारा विशेष आवरण और विरुपण जारी किया गया था
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