17 April 2022 04:59 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रदेश महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार को पत्र लिख कर मांग की है कि सरकार को आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा में संयुक्त निदेशक (कॉलेज शिक्षा) के पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के अधिकारियों को नियुक्त नहीं करना चाहिए। डा बिस्सू ने कांग्रेस के जन घोषणा पत्र 2018 के पृष्ठ 11 बिंदु संख्या 21 की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इस जन घोषणा पत्र में प्रदेश के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सुनिश्चित करने का वादा किया गया है, जिसे राज्य सरकार ने 29 दिसंबर 2018 को नीतिगत दस्तावेज घोषित कर दिया था, किन्तु चुनाव घोषणा पत्र की भावना के विपरीत सरकार ने आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा, जयपुर में संयुक्त निदेशक के पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के दो अधिकारियों को नियुक्त करने की पूरी तैयारी कर ली है। रुक्टा (राष्ट्रीय) उच्च शिक्षा में ऐसे संभावित निर्णय को महाविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को दमित करने वाला, दुर्भाग्यपूर्ण तथा अनुचित मानते हुए इसका प्रखर विरोध करता है। डॉ. बिस्सू ने बताया कि विश्वभर में विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि नौकरशाही (ब्यूरोक्रेसी) का हस्तक्षेप उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट के मुख्य कारणों में से एक है तथा यह भी माना गया है कि शिक्षा क्षेत्र को यथासंभव स्वायत्तता दी जानी चाहिए। परन्तु अभी राज्य सरकार द्वारा अपने ही नीतिगत दस्तावेज के विपरीत कार्य करने का प्रयास हो रहा है। डॉ. बिस्सू के अनुसार 31 जनवरी 2018 को प्रसारित अधिसूचना (Gazette notification) के अनुसार निदेशक/ आयुक्त पद पर भी महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राचार्य को लगाने का प्रावधान रखा है, परन्तु कुछ विशेष परिस्थितियों में ही इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को लगाने का उल्लेख है जबकि संयुक्त निदेशक पद पर केवल महाविद्यालय शिक्षा के सह आचार्यों से ही 100 प्रतिशत पदोन्नति द्वारा भरने का प्रावधान है। यदि संयुक्त निदेशक पद पर किसी शिक्षक के अतिरिक्त किसी अन्य की नियुक्ति की जाती है तो ये 31 जनवरी 2018 को प्रसारित अधिसूचना (Gazette notification) का उल्लंघन होगा जिसको किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा । रुक्टा (रा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने भी पुरजोर मांग करते हुए कहा है कि शिक्षा निदेशालय के सर्वोच्च पद पर किसी प्रशासनिक अधिकारी के स्थान पर महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राचार्य को ही पदस्थापित किया जाना चाहिए जिसे उच्च शिक्षा-संस्थानों की समस्याओं के समाधानों का व्यापक अनुभव हो। डॉ. शर्मा ने चेताया है कि सरकार संयुक्त निदेशकों के पदों पर आर.ए.एस अधिकारियों के पदस्थापन का विचार त्याग दे, अन्यथा संगठन को शिक्षा के हित और शैक्षक-गरिमा के लिए सरकार के इस संभावित प्रतिगामी कदम के विरुद्ध आन्दोलन के लिए विवश होना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा विभाग में भी सरकार ने कुछ ही समय पूर्व संयुक्त निदेशक के पद पर नौकरशाह को नियुक्त करने का प्रयास किया था, जिसको चिकित्सक-वर्ग ने अपनी गरिमा के विरुद्ध मानकर उसका प्रबल प्रतिवाद किया और लम्बे आन्दोलन के बाद सरकार को अन्ततः नौकरशाह के स्थान पर चिकित्सा-क्षेत्र के ही अधिकारी को पुनः पदस्थापित करना पड़ा।
रुक्टा (राष्ट्रीय) ने आशा व्यक्त की है कि सरकार उच्च शिक्षा के शिक्षकों के अधिकारों तथा उनकी गरिमा के हनन को रोकेगी और कॉलेज शिक्षा-निदेशालय को नौकरशाही के चंगुल से बचाते हुए जन घोषणा पत्र के अनुरूप इसकी स्वायत्तता को अक्षुण्ण रखते हुए संयुक्त निदेशक के पदों पर आर .ए. एस. अधिकारियों को नहीं थोपेगी।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रदेश महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार को पत्र लिख कर मांग की है कि सरकार को आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा में संयुक्त निदेशक (कॉलेज शिक्षा) के पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के अधिकारियों को नियुक्त नहीं करना चाहिए। डा बिस्सू ने कांग्रेस के जन घोषणा पत्र 2018 के पृष्ठ 11 बिंदु संख्या 21 की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इस जन घोषणा पत्र में प्रदेश के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सुनिश्चित करने का वादा किया गया है, जिसे राज्य सरकार ने 29 दिसंबर 2018 को नीतिगत दस्तावेज घोषित कर दिया था, किन्तु चुनाव घोषणा पत्र की भावना के विपरीत सरकार ने आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा, जयपुर में संयुक्त निदेशक के पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के दो अधिकारियों को नियुक्त करने की पूरी तैयारी कर ली है। रुक्टा (राष्ट्रीय) उच्च शिक्षा में ऐसे संभावित निर्णय को महाविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को दमित करने वाला, दुर्भाग्यपूर्ण तथा अनुचित मानते हुए इसका प्रखर विरोध करता है। डॉ. बिस्सू ने बताया कि विश्वभर में विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि नौकरशाही (ब्यूरोक्रेसी) का हस्तक्षेप उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट के मुख्य कारणों में से एक है तथा यह भी माना गया है कि शिक्षा क्षेत्र को यथासंभव स्वायत्तता दी जानी चाहिए। परन्तु अभी राज्य सरकार द्वारा अपने ही नीतिगत दस्तावेज के विपरीत कार्य करने का प्रयास हो रहा है। डॉ. बिस्सू के अनुसार 31 जनवरी 2018 को प्रसारित अधिसूचना (Gazette notification) के अनुसार निदेशक/ आयुक्त पद पर भी महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राचार्य को लगाने का प्रावधान रखा है, परन्तु कुछ विशेष परिस्थितियों में ही इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को लगाने का उल्लेख है जबकि संयुक्त निदेशक पद पर केवल महाविद्यालय शिक्षा के सह आचार्यों से ही 100 प्रतिशत पदोन्नति द्वारा भरने का प्रावधान है। यदि संयुक्त निदेशक पद पर किसी शिक्षक के अतिरिक्त किसी अन्य की नियुक्ति की जाती है तो ये 31 जनवरी 2018 को प्रसारित अधिसूचना (Gazette notification) का उल्लंघन होगा जिसको किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा । रुक्टा (रा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने भी पुरजोर मांग करते हुए कहा है कि शिक्षा निदेशालय के सर्वोच्च पद पर किसी प्रशासनिक अधिकारी के स्थान पर महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राचार्य को ही पदस्थापित किया जाना चाहिए जिसे उच्च शिक्षा-संस्थानों की समस्याओं के समाधानों का व्यापक अनुभव हो। डॉ. शर्मा ने चेताया है कि सरकार संयुक्त निदेशकों के पदों पर आर.ए.एस अधिकारियों के पदस्थापन का विचार त्याग दे, अन्यथा संगठन को शिक्षा के हित और शैक्षक-गरिमा के लिए सरकार के इस संभावित प्रतिगामी कदम के विरुद्ध आन्दोलन के लिए विवश होना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा विभाग में भी सरकार ने कुछ ही समय पूर्व संयुक्त निदेशक के पद पर नौकरशाह को नियुक्त करने का प्रयास किया था, जिसको चिकित्सक-वर्ग ने अपनी गरिमा के विरुद्ध मानकर उसका प्रबल प्रतिवाद किया और लम्बे आन्दोलन के बाद सरकार को अन्ततः नौकरशाह के स्थान पर चिकित्सा-क्षेत्र के ही अधिकारी को पुनः पदस्थापित करना पड़ा।
रुक्टा (राष्ट्रीय) ने आशा व्यक्त की है कि सरकार उच्च शिक्षा के शिक्षकों के अधिकारों तथा उनकी गरिमा के हनन को रोकेगी और कॉलेज शिक्षा-निदेशालय को नौकरशाही के चंगुल से बचाते हुए जन घोषणा पत्र के अनुरूप इसकी स्वायत्तता को अक्षुण्ण रखते हुए संयुक्त निदेशक के पदों पर आर .ए. एस. अधिकारियों को नहीं थोपेगी।
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