11 February 2023 05:10 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
वन विभाग की लापरवाही के कारण जयपुर में एक लेपर्ड ने मासूम की जान ले ली। घर में मां के पास खेलते बच्चे को लेपर्ड मुंह में दबोच कर भाग गया। मां रोती-पुकारती उसके पीछे दौड़ती रही, लेकिन बच्चे को बचा नहीं सकी।
घटना से पूरे इलाके में दहशत फैल गई है और लोगों में विभाग के प्रति नाराजगी है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि- कर्मचारियों की हड़ताल है इसलिए मैन ईटर बन चुके लेपर्ड को पकड़ा नहीं जा सकता है।
मामला जयपुर के नजदीक जमवारामगढ़ इलाके का शुक्रवार शाम का है। यहां के वासना गांव के रहने वाले बलराम ने बताया कि उनका बेटा कार्तिक (1.5) घर के आंगन में खेल रहा था। पास ही उसकी मां काम कर रही थी।
इसी दौरान दबे पांव घर में घुसा लेपर्ड उसके बेटे को लेकर भाग गया। बच्चे की चीख सुनकर मां उसके पीछे रोती-चिल्लाती दौड़ी। गांववाले भी शोर सुनकर लेपर्ड के पीछे भागे, लेकिन तब तक वह जंगल में घुस गया था और बच्चे को बुरी तरह घायल कर दिया था।
जयपुर में लेपर्ड ने डेढ़ साल के मासूम के सिर और कंधे पर गंभीर घाव कर दिए थे। जिससे उसका काफी खून भी बह गया था।
बलराम ने बताया कि ग्रामीणों की भीड़ को देख लेपर्ड ने बच्चे को जंगल में छोड़ दिया। तब तक लेपर्ड बच्चे को बुरी तरह से जख्मी कर चुका था। मासूम को कूकस (जयपुर) के पास निम्स हॉस्पिटल लेकर आए। यहां से उसे जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में रेफर किया गया। जहां देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
दर्द से चिल्लाता रहा, सिर और मुंह को नोंचा
इस हमले में बच्चा बुरी तरह से जख्मी हो गया था। मासूम के सिर और मुंह पर गहरे जख्म हो गए। शरीर के इन हिस्सों पर लेपर्ड के हमले के निशान साफ दिखाई दे रहे थे।
जंगल में बच्चा बेसुध हालत में मिला था।रेंजर रामकरण मीणा ने बताया कि गांव सेंचुरी एरिया से बिल्कुल नजदीक है। ऐसे में लेपर्ड पानी या खाने की तलाश में गांव पहुंच गया होगा।
हमले के दौरान घर में मां-बेटे के अलावा कोई नहीं था। लोगों ने बताया कि वे डंडे लेकर लेपर्ड के पीछे भागे थे, लेकिन वह तेजी से जंगल की ओर भाग गयया।
अधिकारी बोले- कर्मचारियों की हड़ताल है
जमवारामगढ़ के रेंज अधिकारी ने बताया कि लेपर्ड का आड़ा डूंगर क्षेत्र में लगातार मूवमेंट रहता है। वन विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से हम लेपर्ड को पकड़ने में सक्षम नहीं है।
ऐसे में जब तक वन विभाग इस पूरे मामले पर कोई ठोस फैसला नहीं करेगा, तब तक जनता को परेशान होना पड़ सकता है।
राजस्थान के वन कर्मचारी 6 फरवरी से 15 सूत्री मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार पर है। वहीं ग्रामीणों में अब भी डर का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि इस घटना के बाद से घर से बाहर निकलने पर भी डर लग रहा है।
15 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेशभर के वन कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर प्रदेश के बायोलॉजिकल पार्क और सफारी पर ताला लगा दिया है।
जयपुर में पिछले 4 महीने में लेपर्ड 4 बार रिहायशी इलाके में पहुंच चुका है। इससे पहले भी जयपुर के सेज, जयसिंहपुरा खोर, झालाना और जामडोली इलाके में कई बार लेपर्ड रिहायशी इलाके में पहुंच चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में लेपर्ड सेज इलाके के परसा गांव में लेपर्ड रिहायशी इलाके में घुस गया था।
लेपर्ड के हमले मासूम की मौत के बाद से पूरे गांव दहशत और दुख का माहौल। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी विभाग को कई बार इस संबंध में शिकायत की गई थी।
जबकि इससे पहले नवंबर में लेपर्ड दादाबाड़ी के तक्षशिला फार्म हाउस में घुस गया था। जगतपुरा स्थित पाम कोर्ट कॉलोनी में लेपर्ड की दस्तक ने आम आदमियों को घरों में कैद कर दिया था। इससे पहले मोती डूंगरी की पहाड़ियों में लेपर्ड की मौजूदगी ने आम जनता को परेशान कर दिया था।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
वन विभाग की लापरवाही के कारण जयपुर में एक लेपर्ड ने मासूम की जान ले ली। घर में मां के पास खेलते बच्चे को लेपर्ड मुंह में दबोच कर भाग गया। मां रोती-पुकारती उसके पीछे दौड़ती रही, लेकिन बच्चे को बचा नहीं सकी।
घटना से पूरे इलाके में दहशत फैल गई है और लोगों में विभाग के प्रति नाराजगी है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि- कर्मचारियों की हड़ताल है इसलिए मैन ईटर बन चुके लेपर्ड को पकड़ा नहीं जा सकता है।
मामला जयपुर के नजदीक जमवारामगढ़ इलाके का शुक्रवार शाम का है। यहां के वासना गांव के रहने वाले बलराम ने बताया कि उनका बेटा कार्तिक (1.5) घर के आंगन में खेल रहा था। पास ही उसकी मां काम कर रही थी।
इसी दौरान दबे पांव घर में घुसा लेपर्ड उसके बेटे को लेकर भाग गया। बच्चे की चीख सुनकर मां उसके पीछे रोती-चिल्लाती दौड़ी। गांववाले भी शोर सुनकर लेपर्ड के पीछे भागे, लेकिन तब तक वह जंगल में घुस गया था और बच्चे को बुरी तरह घायल कर दिया था।
जयपुर में लेपर्ड ने डेढ़ साल के मासूम के सिर और कंधे पर गंभीर घाव कर दिए थे। जिससे उसका काफी खून भी बह गया था।
बलराम ने बताया कि ग्रामीणों की भीड़ को देख लेपर्ड ने बच्चे को जंगल में छोड़ दिया। तब तक लेपर्ड बच्चे को बुरी तरह से जख्मी कर चुका था। मासूम को कूकस (जयपुर) के पास निम्स हॉस्पिटल लेकर आए। यहां से उसे जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में रेफर किया गया। जहां देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
दर्द से चिल्लाता रहा, सिर और मुंह को नोंचा
इस हमले में बच्चा बुरी तरह से जख्मी हो गया था। मासूम के सिर और मुंह पर गहरे जख्म हो गए। शरीर के इन हिस्सों पर लेपर्ड के हमले के निशान साफ दिखाई दे रहे थे।
जंगल में बच्चा बेसुध हालत में मिला था।रेंजर रामकरण मीणा ने बताया कि गांव सेंचुरी एरिया से बिल्कुल नजदीक है। ऐसे में लेपर्ड पानी या खाने की तलाश में गांव पहुंच गया होगा।
हमले के दौरान घर में मां-बेटे के अलावा कोई नहीं था। लोगों ने बताया कि वे डंडे लेकर लेपर्ड के पीछे भागे थे, लेकिन वह तेजी से जंगल की ओर भाग गयया।
अधिकारी बोले- कर्मचारियों की हड़ताल है
जमवारामगढ़ के रेंज अधिकारी ने बताया कि लेपर्ड का आड़ा डूंगर क्षेत्र में लगातार मूवमेंट रहता है। वन विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से हम लेपर्ड को पकड़ने में सक्षम नहीं है।
ऐसे में जब तक वन विभाग इस पूरे मामले पर कोई ठोस फैसला नहीं करेगा, तब तक जनता को परेशान होना पड़ सकता है।
राजस्थान के वन कर्मचारी 6 फरवरी से 15 सूत्री मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार पर है। वहीं ग्रामीणों में अब भी डर का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि इस घटना के बाद से घर से बाहर निकलने पर भी डर लग रहा है।
15 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेशभर के वन कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर प्रदेश के बायोलॉजिकल पार्क और सफारी पर ताला लगा दिया है।
जयपुर में पिछले 4 महीने में लेपर्ड 4 बार रिहायशी इलाके में पहुंच चुका है। इससे पहले भी जयपुर के सेज, जयसिंहपुरा खोर, झालाना और जामडोली इलाके में कई बार लेपर्ड रिहायशी इलाके में पहुंच चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में लेपर्ड सेज इलाके के परसा गांव में लेपर्ड रिहायशी इलाके में घुस गया था।
लेपर्ड के हमले मासूम की मौत के बाद से पूरे गांव दहशत और दुख का माहौल। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी विभाग को कई बार इस संबंध में शिकायत की गई थी।
जबकि इससे पहले नवंबर में लेपर्ड दादाबाड़ी के तक्षशिला फार्म हाउस में घुस गया था। जगतपुरा स्थित पाम कोर्ट कॉलोनी में लेपर्ड की दस्तक ने आम आदमियों को घरों में कैद कर दिया था। इससे पहले मोती डूंगरी की पहाड़ियों में लेपर्ड की मौजूदगी ने आम जनता को परेशान कर दिया था।
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