12 May 2021 03:24 PM
जोग संजोग टाइम्स जयपुर।
राजस्थान की सबसे बड़ी कोरोना जांच लैब में रोज 20 हजार तक सैम्पल की जांच की जा रही है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज स्थित इस लैब में करीब 40 लैब टैक्निशयन कार्यरत हैं। ये सभी किसी रियल हीरो से कम नहीं हैं। रिपोर्ट में देरी न हो, इसके लिए 24 घंटे लैब सुचारू रहती है। पांच से सात घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ये रिपोर्ट तैयार करते हैं।
सोमवार को पत्रिका की टीम ने इनकी कार्यशैली देखी। भीषण गर्मी में ये लोग छह से सात घंटे पीपीई किट में निकाल देते हैं। सभी के चेहरों पर मास्क था। कुछ ने फेस शील्ड भी लगा रखी थी। बातचीत करने बोले गर्मी तो बहुत लगती है, लेकिन सुरक्षा की वजह से यह बहुत जरूरी है। सुरक्षा के इतने इंतजामों के बाद भी कई लैब टैक्निशयन संक्रमित हो चुके हैं। अधिकतर ने कहा कि लोगों को समय से जांच मिल जाए ताकि उनका इलाज सही समय पर शुरू हो सके। कोरोना के अलावा करीब आठ हजार अन्य जांचें भी होती हैं।
छह महीने परिवार से अलग रहा फिर भी नहीं बचा संक्रमण से: –
लैब टैक्निशियन रमेश जांगिड़ ने बताया इस तरह से लैब में पहले काम कभी नहीं किया। छह महीने तक परिवार से दूर रहा। घर से अलग रहा। पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना की गाइडलाइन की पूरी पालना की। इसके बाद भी पहले मैं और फिर मेरी पत्नी संक्रमित हुई।
लैब टैक्निशियन शिव कुमार सैनी ने बताया कि अभी घर पर पहुंचने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना करते हैं। घर में बुजुर्ग और बच्चे हैं। पिछली बार कई दिनों तक घर का खाना नसीब नहीं हुआ था। घर पर खाना तैयार रखा रहता था, लेकिन कोई देने वाला नहीं होता था। ऐसे में साथियों का टिफिन शेयर करता था।
संक्रमण बढ़ा तो काम भी बढ़ता चला गया:
लैब की जांच कोरोना से पहले: सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक
संक्रमण बढ़ा तो काम भी बढ़ता चला गया: लैब की जांच कोरोना से पहले: सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक
ये है प्रक्रिया: लैब टैक्निशियन सतीश चंद्र गुप्ता ने प्रक्रिया के बारे में समझाया। उन्होंने बताया कि सैम्पल कलेक्शन से रिपोर्ट तक पांच से सात घंटे लग जाते हैं। इसके बार रिपोर्ट को जारी किया जाता है। तीन से चार प्रक्रियाओं को बाद परिणाम आता है। सैम्पल एड करने की प्रक्रिया मैनुअली होती है। अधिक काम होने की स्थिति में आठ घंटे तक रिपोर्ट आने में लग जाते हैं।
इधर, लैब टैक्निशयन के 3400 पद खाली: एक तरफ लैब टैक्निशयन पर काम का बोझ है और दूसरी ओर 3400 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इनको भरने के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। अखिल राजस्थान लैब टैक्निशियन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की मानें तो इनको यदि सरकार समय रहते भर देती तो न सिर्फ सैम्पल लेने की गति बढ़ती, बल्कि रिपोर्ट भी जल्दी आती। संघ के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता महेश सैनी ने बताया कि राज्य में 6400 पद लैब टैक्निशियन के स्वीकृत हैं। इनमें से तीन हजार ही कार्यरत हैं। पिछले वर्ष मई में 1119 पदों की भर्ती निकली थी। मार्च, 2021 में 439 पदों पर नियुक्ति दी गई। बाकी पद रिक्त है।
पद भर जाएं तो:
-जांच की गति बढ़ जाएगी। उसी दिन जांच रिपोर्ट आ सकेगी।
-ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना जांच तेजी से हो सकेगी।
जोग संजोग टाइम्स जयपुर।
राजस्थान की सबसे बड़ी कोरोना जांच लैब में रोज 20 हजार तक सैम्पल की जांच की जा रही है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज स्थित इस लैब में करीब 40 लैब टैक्निशयन कार्यरत हैं। ये सभी किसी रियल हीरो से कम नहीं हैं। रिपोर्ट में देरी न हो, इसके लिए 24 घंटे लैब सुचारू रहती है। पांच से सात घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ये रिपोर्ट तैयार करते हैं।
सोमवार को पत्रिका की टीम ने इनकी कार्यशैली देखी। भीषण गर्मी में ये लोग छह से सात घंटे पीपीई किट में निकाल देते हैं। सभी के चेहरों पर मास्क था। कुछ ने फेस शील्ड भी लगा रखी थी। बातचीत करने बोले गर्मी तो बहुत लगती है, लेकिन सुरक्षा की वजह से यह बहुत जरूरी है। सुरक्षा के इतने इंतजामों के बाद भी कई लैब टैक्निशयन संक्रमित हो चुके हैं। अधिकतर ने कहा कि लोगों को समय से जांच मिल जाए ताकि उनका इलाज सही समय पर शुरू हो सके। कोरोना के अलावा करीब आठ हजार अन्य जांचें भी होती हैं।
छह महीने परिवार से अलग रहा फिर भी नहीं बचा संक्रमण से: –
लैब टैक्निशियन रमेश जांगिड़ ने बताया इस तरह से लैब में पहले काम कभी नहीं किया। छह महीने तक परिवार से दूर रहा। घर से अलग रहा। पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना की गाइडलाइन की पूरी पालना की। इसके बाद भी पहले मैं और फिर मेरी पत्नी संक्रमित हुई।
लैब टैक्निशियन शिव कुमार सैनी ने बताया कि अभी घर पर पहुंचने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना करते हैं। घर में बुजुर्ग और बच्चे हैं। पिछली बार कई दिनों तक घर का खाना नसीब नहीं हुआ था। घर पर खाना तैयार रखा रहता था, लेकिन कोई देने वाला नहीं होता था। ऐसे में साथियों का टिफिन शेयर करता था।
संक्रमण बढ़ा तो काम भी बढ़ता चला गया:
लैब की जांच कोरोना से पहले: सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक
संक्रमण बढ़ा तो काम भी बढ़ता चला गया: लैब की जांच कोरोना से पहले: सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक
ये है प्रक्रिया: लैब टैक्निशियन सतीश चंद्र गुप्ता ने प्रक्रिया के बारे में समझाया। उन्होंने बताया कि सैम्पल कलेक्शन से रिपोर्ट तक पांच से सात घंटे लग जाते हैं। इसके बार रिपोर्ट को जारी किया जाता है। तीन से चार प्रक्रियाओं को बाद परिणाम आता है। सैम्पल एड करने की प्रक्रिया मैनुअली होती है। अधिक काम होने की स्थिति में आठ घंटे तक रिपोर्ट आने में लग जाते हैं।
इधर, लैब टैक्निशयन के 3400 पद खाली: एक तरफ लैब टैक्निशयन पर काम का बोझ है और दूसरी ओर 3400 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इनको भरने के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। अखिल राजस्थान लैब टैक्निशियन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की मानें तो इनको यदि सरकार समय रहते भर देती तो न सिर्फ सैम्पल लेने की गति बढ़ती, बल्कि रिपोर्ट भी जल्दी आती। संघ के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता महेश सैनी ने बताया कि राज्य में 6400 पद लैब टैक्निशियन के स्वीकृत हैं। इनमें से तीन हजार ही कार्यरत हैं। पिछले वर्ष मई में 1119 पदों की भर्ती निकली थी। मार्च, 2021 में 439 पदों पर नियुक्ति दी गई। बाकी पद रिक्त है।
पद भर जाएं तो:
-जांच की गति बढ़ जाएगी। उसी दिन जांच रिपोर्ट आ सकेगी।
-ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना जांच तेजी से हो सकेगी।
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