- जोग संजोग न्यूज़ बीकानेर :-सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बेकद्री का शर्मनाक वाकया सामने आया है। ऑक्सीजन सैचुरेशन कम होने पर भर्ती कराए गए 70 साल के मरीज को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। अस्पताल प्रशासन डेथ कार्ड बनाने और बोडी परिजनों को सौंपने की फार्मेल्टी करने लगा, लेकिन इसी दौरान मरीज की सांसें चल उठीं।
- दरअसल वृद्ध की बेटी को इसका पता चला तो वह पिता के शरीर से लिपटकर रोने लगी। उसी दौरान मरीज के शरीर में हरकत होने लगी। बेटी के शोर मचाने पर डाॅक्टरों ने चैक किया तो पल्स और हार्ट बीट चल रही थी। इसके बाद डाॅक्टरों ने फिर इलाज शुरू किया।
- पीबीएम हॉस्पिटल के एच वार्ड में 4 मई को इंद्रा कॉलोनी निवासी भंवर सिंह चौहान (70) को आॅक्सीजन सैचुरेशन होने पर भर्ती कराया गया था। डेढ़ महीने पहले ही उनके किडनी में कैंसर का ऑपरेशन हुआ था। शनिवार दोपहर करीब 12 बजे चौहान की तबीयत अचानक बिगड़ गई।
- ऑक्सीमीटर ने पल्स दिखानी बंद कर दी। डॉक्टरों ने तत्काल ईसीजी कराई और ऑक्सीजन बढ़ा दी। एक घंटे बाद वापस ईसीजी के लिए टेक्निशियन को बुलाया। उसने पल्स चेक करने के बाद चौहान को मृत घोषित कर दिया और डॉक्टर को सूचना दे दी। ड्यूटी डॉक्टर ने डेथ कार्ड की औपचारिकता पूरी करने के लिए चौहान के बेटे महेंद्र को बुलाया। बोड़ी ले जाने की फ़ोर्मैलिटीज़ शुरू हो गई।
- करीब डेढ़ घंटे बाद भंवरसिंह की बेटी स्वाति वार्ड में पहुंची और पिता से लिपटकर रोने लगी। अचानक भंवर सिंह के शरीर में हरकत हुई। मुंह से आह निकली। यह देख स्वाति चिल्लाई, पापा तो जिंदा हैं। डॉक्टर दौड़ कर आए। पल्स चैक किया। नब्ज मिली तो डॉक्टर ने हार्ट बीट भी चैक की। भंवरसिंह जीवित पाए गए। स्थिति क्रिटिकल है। डॉक्टर ने कहा, वेंटिलेटर पर लेना होगा। रात तक वेंटिलेटर नहीं मिल पाया था।
लापरवाही 1 : टेक्निशियन ने ईसीजी नहीं की, मृत बताकर चला गया और डॉक्टर ने भी दुबारा चेक नहीं किया
मरीज के परिजनों ने वार्ड में ड्यूटी डॉक्टर और टेक्निशियन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बेटे महेंद्र ने बताया कि टेक्निशियन जब दुबारा आया तो उसने ईसीजी नहीं की। ऑक्सीमीटर पापा के दूसरे हाथ में लगाकर चेक किया और उन्हें मृत बताकर ऑक्सीमीटर ले गया। जब ड्यूटी डॉक्टर को उसकी हरकत बताई तो डॉक्टर ने टेक्निशियन को बुलाकर फटकारा। लेकिन वह साफ मुकर गया। बाद में उसने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया।
लापरवाही 2: तीन बजे मंगाया ब्लड, पांच बजे चढ़ाया, परिजनों ने थक्का जमा देखा तो डाॅक्टर ने तत्काल चढ़ाना बंद किया
मरीज के इलाज में लापरवाही इस हद तक सामने आई है कि उनके खराब ब्लड चढ़ा दिया गया। बेटी स्वाति ने बताया कि डॉक्टर ने शुक्रवार दोपहर तीन बजे ब्लड बैंक से ब्लड मंगवाया था। पांच बजे ब्लड चढ़ाया। ब्लड चढ़ाते समय थैली में थक्के जमे नजर आए। डॉक्टर को बताया तो उसने तुरंत ब्लड वो चढ़ाना बंद किया। दुबारा ब्लड लेने ब्लड बैंक गई तो वहां के स्टाफ का कहना था कि ब्लड खराब नहीं था। चढ़ाने में काफी देर कर दी।
- जोग संजोग न्यूज़ बीकानेर :-सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बेकद्री का शर्मनाक वाकया सामने आया है। ऑक्सीजन सैचुरेशन कम होने पर भर्ती कराए गए 70 साल के मरीज को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। अस्पताल प्रशासन डेथ कार्ड बनाने और बोडी परिजनों को सौंपने की फार्मेल्टी करने लगा, लेकिन इसी दौरान मरीज की सांसें चल उठीं।
- दरअसल वृद्ध की बेटी को इसका पता चला तो वह पिता के शरीर से लिपटकर रोने लगी। उसी दौरान मरीज के शरीर में हरकत होने लगी। बेटी के शोर मचाने पर डाॅक्टरों ने चैक किया तो पल्स और हार्ट बीट चल रही थी। इसके बाद डाॅक्टरों ने फिर इलाज शुरू किया।
- पीबीएम हॉस्पिटल के एच वार्ड में 4 मई को इंद्रा कॉलोनी निवासी भंवर सिंह चौहान (70) को आॅक्सीजन सैचुरेशन होने पर भर्ती कराया गया था। डेढ़ महीने पहले ही उनके किडनी में कैंसर का ऑपरेशन हुआ था। शनिवार दोपहर करीब 12 बजे चौहान की तबीयत अचानक बिगड़ गई।
- ऑक्सीमीटर ने पल्स दिखानी बंद कर दी। डॉक्टरों ने तत्काल ईसीजी कराई और ऑक्सीजन बढ़ा दी। एक घंटे बाद वापस ईसीजी के लिए टेक्निशियन को बुलाया। उसने पल्स चेक करने के बाद चौहान को मृत घोषित कर दिया और डॉक्टर को सूचना दे दी। ड्यूटी डॉक्टर ने डेथ कार्ड की औपचारिकता पूरी करने के लिए चौहान के बेटे महेंद्र को बुलाया। बोड़ी ले जाने की फ़ोर्मैलिटीज़ शुरू हो गई।
- करीब डेढ़ घंटे बाद भंवरसिंह की बेटी स्वाति वार्ड में पहुंची और पिता से लिपटकर रोने लगी। अचानक भंवर सिंह के शरीर में हरकत हुई। मुंह से आह निकली। यह देख स्वाति चिल्लाई, पापा तो जिंदा हैं। डॉक्टर दौड़ कर आए। पल्स चैक किया। नब्ज मिली तो डॉक्टर ने हार्ट बीट भी चैक की। भंवरसिंह जीवित पाए गए। स्थिति क्रिटिकल है। डॉक्टर ने कहा, वेंटिलेटर पर लेना होगा। रात तक वेंटिलेटर नहीं मिल पाया था।
लापरवाही 1 : टेक्निशियन ने ईसीजी नहीं की, मृत बताकर चला गया और डॉक्टर ने भी दुबारा चेक नहीं किया
मरीज के परिजनों ने वार्ड में ड्यूटी डॉक्टर और टेक्निशियन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बेटे महेंद्र ने बताया कि टेक्निशियन जब दुबारा आया तो उसने ईसीजी नहीं की। ऑक्सीमीटर पापा के दूसरे हाथ में लगाकर चेक किया और उन्हें मृत बताकर ऑक्सीमीटर ले गया। जब ड्यूटी डॉक्टर को उसकी हरकत बताई तो डॉक्टर ने टेक्निशियन को बुलाकर फटकारा। लेकिन वह साफ मुकर गया। बाद में उसने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया।
लापरवाही 2: तीन बजे मंगाया ब्लड, पांच बजे चढ़ाया, परिजनों ने थक्का जमा देखा तो डाॅक्टर ने तत्काल चढ़ाना बंद किया
मरीज के इलाज में लापरवाही इस हद तक सामने आई है कि उनके खराब ब्लड चढ़ा दिया गया। बेटी स्वाति ने बताया कि डॉक्टर ने शुक्रवार दोपहर तीन बजे ब्लड बैंक से ब्लड मंगवाया था। पांच बजे ब्लड चढ़ाया। ब्लड चढ़ाते समय थैली में थक्के जमे नजर आए। डॉक्टर को बताया तो उसने तुरंत ब्लड वो चढ़ाना बंद किया। दुबारा ब्लड लेने ब्लड बैंक गई तो वहां के स्टाफ का कहना था कि ब्लड खराब नहीं था। चढ़ाने में काफी देर कर दी।