11 October 2022 12:57 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
नतीजा-ऑपरेशन के लिए 3 महीने की वेटिंग,150 करोड़ की लागत से तैयार सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) में भर्ती मरीजों की तकलीफ कम होने की बजाय बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एसएसबी में ओपीडी के बाद आईपीडी की सेवाएं तो शुरू कर दी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति नहीं की। एसएसबी में कुल पांच आईसीयू बने हैं, लेकिन संचालन केवल दो का ही हो रहा है। स्टाफ नहीं होने से तीन पर ताले लगे हैं। मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है।एसएसबी में पीडियाट्रिक सर्जरी और न्यूरो सर्जरी के आईसीयू ही संचालित हो रहे हैं। करीब एक महीने पहले यहां गैस्ट्रो सर्जरी शुरू की गई, लेकिन डॉक्टर की कमी के कारण मरीजों के ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं। जीआई सर्जरी के एक डॉक्टर और एक नर्सिंग स्टाफ के भरोसे ऑपरेशन थियेटर चल रहा है। जीआई सर्जरी के लिए सप्ताह में केवल एक दिन निर्धारित है।
डॉक्टर और संसाधन के बावजूद रेफर करने की मजबूरी
लंबे अर्से बाद एसएसबी में जीआई सर्जन की नियुक्ति के बावजूद मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन-तीन महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। ऑपरेशन की बढ़ती वेटिंग लिस्ट के कारण पिछले एक महीने में मरीजों को मजबूरन इलाज के लिए दूसरे जिलों का रुख करना पड़ा। असल में एसएसबी में आनन-फानन में गैस्ट्रो सर्जरी डिपार्टमेंट तो शुरू कर दिया, लेकिन सीनियर डॉक्टर की मदद के लिए एक भी पीजी, जूनियर या सीनियर रेजिडेंट को नहीं लगाया। ऑपरेशन थियेटर और वार्ड में आठ नर्सिंग कर्मियों की जरूरत है, लेकिन वहां भी मात्र तीन नर्सिंग कर्मी लगे हैं।
डाॅक्टर की पीड़ा : मेरा काम इलाज करना है, इंतजार करवाना नहीं
ऑपरेशन की वेटिंग लगातार बढ़ रही है। मेरा काम इलाज करना है। मैं मरीजों को इंतजार के लिए नहीं बोल सकता। सप्ताह में एक दिन ऑपरेशन-डे है। ऐसे में एक माह में 4 ऑपरेशन ही कर सकूंगा। प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट को बार-बार सहयोगी डॉक्टर और ऑपरेशन-डे बढ़ाने को कहा, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम निकल कर नहीं आ रहे। -डॉ. सुनील डांगी, गैस्ट्रो सर्जन, एसएसबी
सुपरिटेंडेंट बोले-राज्य सरकार और प्रिंसिपल को अवगत करवाया
यह सही है कि एसएसबी में स्टाफ की कमी के कारण डॉक्टर्स को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इसका असर मरीजों पर भी पड़ रहा है। स्टाफ की पूर्ति के लिए राज्य सरकार और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को अवगत करवा दिया है। स्टाफ मिलने पर बंद पड़े आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर की संख्या को बढ़ाया जाएगा।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
नतीजा-ऑपरेशन के लिए 3 महीने की वेटिंग,150 करोड़ की लागत से तैयार सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) में भर्ती मरीजों की तकलीफ कम होने की बजाय बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एसएसबी में ओपीडी के बाद आईपीडी की सेवाएं तो शुरू कर दी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति नहीं की। एसएसबी में कुल पांच आईसीयू बने हैं, लेकिन संचालन केवल दो का ही हो रहा है। स्टाफ नहीं होने से तीन पर ताले लगे हैं। मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है।एसएसबी में पीडियाट्रिक सर्जरी और न्यूरो सर्जरी के आईसीयू ही संचालित हो रहे हैं। करीब एक महीने पहले यहां गैस्ट्रो सर्जरी शुरू की गई, लेकिन डॉक्टर की कमी के कारण मरीजों के ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं। जीआई सर्जरी के एक डॉक्टर और एक नर्सिंग स्टाफ के भरोसे ऑपरेशन थियेटर चल रहा है। जीआई सर्जरी के लिए सप्ताह में केवल एक दिन निर्धारित है।
डॉक्टर और संसाधन के बावजूद रेफर करने की मजबूरी
लंबे अर्से बाद एसएसबी में जीआई सर्जन की नियुक्ति के बावजूद मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन-तीन महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। ऑपरेशन की बढ़ती वेटिंग लिस्ट के कारण पिछले एक महीने में मरीजों को मजबूरन इलाज के लिए दूसरे जिलों का रुख करना पड़ा। असल में एसएसबी में आनन-फानन में गैस्ट्रो सर्जरी डिपार्टमेंट तो शुरू कर दिया, लेकिन सीनियर डॉक्टर की मदद के लिए एक भी पीजी, जूनियर या सीनियर रेजिडेंट को नहीं लगाया। ऑपरेशन थियेटर और वार्ड में आठ नर्सिंग कर्मियों की जरूरत है, लेकिन वहां भी मात्र तीन नर्सिंग कर्मी लगे हैं।
डाॅक्टर की पीड़ा : मेरा काम इलाज करना है, इंतजार करवाना नहीं
ऑपरेशन की वेटिंग लगातार बढ़ रही है। मेरा काम इलाज करना है। मैं मरीजों को इंतजार के लिए नहीं बोल सकता। सप्ताह में एक दिन ऑपरेशन-डे है। ऐसे में एक माह में 4 ऑपरेशन ही कर सकूंगा। प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट को बार-बार सहयोगी डॉक्टर और ऑपरेशन-डे बढ़ाने को कहा, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम निकल कर नहीं आ रहे। -डॉ. सुनील डांगी, गैस्ट्रो सर्जन, एसएसबी
सुपरिटेंडेंट बोले-राज्य सरकार और प्रिंसिपल को अवगत करवाया
यह सही है कि एसएसबी में स्टाफ की कमी के कारण डॉक्टर्स को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इसका असर मरीजों पर भी पड़ रहा है। स्टाफ की पूर्ति के लिए राज्य सरकार और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को अवगत करवा दिया है। स्टाफ मिलने पर बंद पड़े आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर की संख्या को बढ़ाया जाएगा।
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