30 April 2022 10:45 AM
जोग संजोग टाइम्स,
एक समोसे पर 4 दोस्त जब तक टूट न पड़ें, तब तक मजा नहीं आता। जितना तीखा और चटपटा स्वाद समोसे का होता है उतनी ही तीखी बचपन की यादें इससे जुड़ी हैं। वक्त के साथ-साथ दोस्त बदले, शहर बदले और समोसे का स्वाद भी बदलता गया। लेकिन जयपुर के एक मोहल्ले के 3 दोस्त ऐसे भी हैं जिन्होंने समोसे की खट्टी-मीठी यादों को ही अपना फ्यूचर बना लिया। हम बात कर रहे हैं जयपुर के 'ठग्गू के समोसे' की जिसका स्वाद ही लोगों को ठग लेता है। तो इस बार राजस्थानी जायका में आपको ले चलते हैं जयपुर की उन गलियों में जहां एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे 14 तरह के समोसे मिलते हैं। इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि कैसे यह जायका लोगों की जुबां पर चढ़ा और कैसे 3 दोस्तों ने सड़क पर समोसे बेचकर करोड़ों का बिजनेस खड़ा किया।
सड़क पर बेचे समोसे
मुकेश गोल्या, पावस नागपाल और विकी। तीनों की दोस्ती जॉब के दौरान हुई। एमबीए के बाद मार्केटिंग की नौकरी में मिलना जुलना होता था। एक दिन चाय की थड़ी पर बैठे-बैठे आइडिया आया कि समोसे में आलू ही क्यों। क्यों न स्टफिंग में कुछ नया ट्राई किया जाए। नया स्वाद लोगों को परोसा जाए। फिर क्या था। तीनों को आइडिया पसंद आया।
मार्केट रिसर्च के बाद पहले दिन घर पर ही 12 वैरायटी के 60-70 समोसे तैयार किए। नए साल के मौके पर 1 जनवरी 2015 को तीनों दोस्तों ने सड़क पर ही समोसे बेचना शुरू किया। मुकेश गोल्या बताते हैं महज 10 मिनट में सारे समोसे बिक गए। सबसे वेल्यूएबल चीज थी समोसा खाने वालों के रिव्यू। इस सेल से उत्साहित हो अगले दिन वैशाली नगर में ही एक दोस्त से बात की। उसकी गैराज को जाने वाले 8X8 के रास्ते से ही अपनी समोसे दुकान शुरू की। यहीं से इस कारोबार की शुरुआत हुई।
जोग संजोग टाइम्स,
एक समोसे पर 4 दोस्त जब तक टूट न पड़ें, तब तक मजा नहीं आता। जितना तीखा और चटपटा स्वाद समोसे का होता है उतनी ही तीखी बचपन की यादें इससे जुड़ी हैं। वक्त के साथ-साथ दोस्त बदले, शहर बदले और समोसे का स्वाद भी बदलता गया। लेकिन जयपुर के एक मोहल्ले के 3 दोस्त ऐसे भी हैं जिन्होंने समोसे की खट्टी-मीठी यादों को ही अपना फ्यूचर बना लिया। हम बात कर रहे हैं जयपुर के 'ठग्गू के समोसे' की जिसका स्वाद ही लोगों को ठग लेता है। तो इस बार राजस्थानी जायका में आपको ले चलते हैं जयपुर की उन गलियों में जहां एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे 14 तरह के समोसे मिलते हैं। इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि कैसे यह जायका लोगों की जुबां पर चढ़ा और कैसे 3 दोस्तों ने सड़क पर समोसे बेचकर करोड़ों का बिजनेस खड़ा किया।
सड़क पर बेचे समोसे
मुकेश गोल्या, पावस नागपाल और विकी। तीनों की दोस्ती जॉब के दौरान हुई। एमबीए के बाद मार्केटिंग की नौकरी में मिलना जुलना होता था। एक दिन चाय की थड़ी पर बैठे-बैठे आइडिया आया कि समोसे में आलू ही क्यों। क्यों न स्टफिंग में कुछ नया ट्राई किया जाए। नया स्वाद लोगों को परोसा जाए। फिर क्या था। तीनों को आइडिया पसंद आया।
मार्केट रिसर्च के बाद पहले दिन घर पर ही 12 वैरायटी के 60-70 समोसे तैयार किए। नए साल के मौके पर 1 जनवरी 2015 को तीनों दोस्तों ने सड़क पर ही समोसे बेचना शुरू किया। मुकेश गोल्या बताते हैं महज 10 मिनट में सारे समोसे बिक गए। सबसे वेल्यूएबल चीज थी समोसा खाने वालों के रिव्यू। इस सेल से उत्साहित हो अगले दिन वैशाली नगर में ही एक दोस्त से बात की। उसकी गैराज को जाने वाले 8X8 के रास्ते से ही अपनी समोसे दुकान शुरू की। यहीं से इस कारोबार की शुरुआत हुई।
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