10 July 2022 12:28 PM
अमरनाथ में बादल फटने से श्रीगंगानगर के पति-पत्नी समेत तीन लोगों की मौत हो गई। श्रीगंगानगर के पूर्व ट्रैफिक इंचार्ज सुशील खत्री और उनकी समधन सुनीता वधवा का शव शुक्रवार को मिल गया था। आज दोपहर मोहन वधवा का भी शव मिला। वह कपड़ा व्यापारी थे। हादसे की जानकारी मिलते ही उनका बेटा अमरनाथ के लिए रवाना हो गया है।
जाने से पहले बोले थे, भोले का बुलावा आया है
श्रीगंगानगर से श्रद्धालुओं का जत्था तीन जुलाई को रवाना हुआ था। शुक्रवार शाम को अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया था। घरवालों को हादसे की जानकारी मिलते ही कोहराम मच गया। वधवा दंपती के ब्लॉक एरिया स्थित मकान में रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया। उनका बेटा पता लगते ही अमरनाथ के लिए रवाना हो गया। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि उन्होंने अमरनाथ यात्रा पर जाने से पहले कहा था कि, भोले का बुलावा आया है। इसीलिए अमरनाथ जाने का प्रोग्राम बन पाया है। बाबा बर्फानी के दर्शन कर जीवन सफल करेंगे। इस बात का किसी को अंदेशा नहीं था कि यह वधवा के जीवन की आखिरी यात्रा होगी।
मरने से पहले कहा था, मैं जन्नत में
हादसे में मारे गए श्रीगंगानगर के मानसरोवर कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड CI सुनील खत्री (61) के घर पर ताला था। उसके परिवार के परिचितों और पास रहने वाले एक पुलिसकर्मी के परिवार ने उनका घर खोला है। परिवार में पहुंचे लोग उनकी तस्वीर देखकर आंसू बहा रहे थे। उनकी बेटी ब्लॉक एरिया स्थित अपने ससुराल में है। बेटी के सास-ससुर की भी हादसे में मौत हो गई है। उन्होंने हादसे के एक दिन पहले श्रीगंगानगर में अपने एक दोस्त से बात की। दोस्त से फोन पर कहा कि, तुम लोग तो गर्मी में हो, मैं यहां अमरनाथ में जन्नत की सैर कर रहा हूं। उन्हें नहीं पता था कि, यह यात्रा यह उनके जीवन की आखिरी यात्रा होगी।
बाबा बर्फानी के दर्शन करने की इच्छा थी
एक परिचित भंवर सिंह ने बताया कि वे कहते थे कि, बेटी की शादी कर दी। अब बस घूमना-फिरना और जीवन का मजा लेना है। उनकी बाबा बर्फानी के दर्शन करने की इच्छा थी। उनके दोस्त बलविंद्र सिंह ने बताया कि सुशील उनके लगातार संपर्क में थे। आखिरी बार जब बात हुई। तब बस यही कहा कि मिलना चाहता हूं लेकिन बिजी होने के कारण मुलाकात नहीं हो पाई। रिटायर्ड CI खत्री के ममेरे भाई संजय कुमार ने बताया कि जुलाई की शुरुआत में उनके घर में शादी थी। लेकिन वह उसमें नहीं आ पाए। आखिरी बार मिले थे, तब भी बस बाबा बर्फानी के दर्शन करने की इच्छा बताई थी।
मरने से पहले शिवलिंग के दर्शन किए
श्री अमरनाथ लंगर सेवा समिति श्रीगंगानगर के प्रधान नवनीत शर्मा ने अमरनाथ से ही फोन पर आंखों देखा हाल बताया। उन्होंने कि बताया कि सुशील खत्री ने शाम 4 बजे के करीब गुफा में शिवलिंग के दर्शन किए था। शाम करीब 5:30 बजे हादसा हुआ। इस दौरान नवनीत पास में ही एक ऊंचाई पर बने टेंट की तरफ गए हुए थे। समिति के टेंट में सुशील सहित 10 लोग मौजूद थे। बादल फटने के बाद जब पहाड़ से पत्थर गिरना शुरू हुए तो तेज धमाकों की आवाज आने लगी। सभी लोग अपने टेंट से बाहर आ गए। उन्होंने बड़ी मशक्कत से 7 लोगों को बाहर निकाला। इसी बीच एक तेज बहाव आया। जिनमें बड़े-बड़े पत्थर भी थे। एक पत्थर सुशील के सिर पर लगा। उनका शव पत्थरों और मलबे के नीचे दब गया। नवनीत ने बताया कि पूरा हादसा करीब 10 मिनट में हो गया।
अमरनाथ में बादल फटने से श्रीगंगानगर के पति-पत्नी समेत तीन लोगों की मौत हो गई। श्रीगंगानगर के पूर्व ट्रैफिक इंचार्ज सुशील खत्री और उनकी समधन सुनीता वधवा का शव शुक्रवार को मिल गया था। आज दोपहर मोहन वधवा का भी शव मिला। वह कपड़ा व्यापारी थे। हादसे की जानकारी मिलते ही उनका बेटा अमरनाथ के लिए रवाना हो गया है।
जाने से पहले बोले थे, भोले का बुलावा आया है
श्रीगंगानगर से श्रद्धालुओं का जत्था तीन जुलाई को रवाना हुआ था। शुक्रवार शाम को अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया था। घरवालों को हादसे की जानकारी मिलते ही कोहराम मच गया। वधवा दंपती के ब्लॉक एरिया स्थित मकान में रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया। उनका बेटा पता लगते ही अमरनाथ के लिए रवाना हो गया। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि उन्होंने अमरनाथ यात्रा पर जाने से पहले कहा था कि, भोले का बुलावा आया है। इसीलिए अमरनाथ जाने का प्रोग्राम बन पाया है। बाबा बर्फानी के दर्शन कर जीवन सफल करेंगे। इस बात का किसी को अंदेशा नहीं था कि यह वधवा के जीवन की आखिरी यात्रा होगी।
मरने से पहले कहा था, मैं जन्नत में
हादसे में मारे गए श्रीगंगानगर के मानसरोवर कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड CI सुनील खत्री (61) के घर पर ताला था। उसके परिवार के परिचितों और पास रहने वाले एक पुलिसकर्मी के परिवार ने उनका घर खोला है। परिवार में पहुंचे लोग उनकी तस्वीर देखकर आंसू बहा रहे थे। उनकी बेटी ब्लॉक एरिया स्थित अपने ससुराल में है। बेटी के सास-ससुर की भी हादसे में मौत हो गई है। उन्होंने हादसे के एक दिन पहले श्रीगंगानगर में अपने एक दोस्त से बात की। दोस्त से फोन पर कहा कि, तुम लोग तो गर्मी में हो, मैं यहां अमरनाथ में जन्नत की सैर कर रहा हूं। उन्हें नहीं पता था कि, यह यात्रा यह उनके जीवन की आखिरी यात्रा होगी।
बाबा बर्फानी के दर्शन करने की इच्छा थी
एक परिचित भंवर सिंह ने बताया कि वे कहते थे कि, बेटी की शादी कर दी। अब बस घूमना-फिरना और जीवन का मजा लेना है। उनकी बाबा बर्फानी के दर्शन करने की इच्छा थी। उनके दोस्त बलविंद्र सिंह ने बताया कि सुशील उनके लगातार संपर्क में थे। आखिरी बार जब बात हुई। तब बस यही कहा कि मिलना चाहता हूं लेकिन बिजी होने के कारण मुलाकात नहीं हो पाई। रिटायर्ड CI खत्री के ममेरे भाई संजय कुमार ने बताया कि जुलाई की शुरुआत में उनके घर में शादी थी। लेकिन वह उसमें नहीं आ पाए। आखिरी बार मिले थे, तब भी बस बाबा बर्फानी के दर्शन करने की इच्छा बताई थी।
मरने से पहले शिवलिंग के दर्शन किए
श्री अमरनाथ लंगर सेवा समिति श्रीगंगानगर के प्रधान नवनीत शर्मा ने अमरनाथ से ही फोन पर आंखों देखा हाल बताया। उन्होंने कि बताया कि सुशील खत्री ने शाम 4 बजे के करीब गुफा में शिवलिंग के दर्शन किए था। शाम करीब 5:30 बजे हादसा हुआ। इस दौरान नवनीत पास में ही एक ऊंचाई पर बने टेंट की तरफ गए हुए थे। समिति के टेंट में सुशील सहित 10 लोग मौजूद थे। बादल फटने के बाद जब पहाड़ से पत्थर गिरना शुरू हुए तो तेज धमाकों की आवाज आने लगी। सभी लोग अपने टेंट से बाहर आ गए। उन्होंने बड़ी मशक्कत से 7 लोगों को बाहर निकाला। इसी बीच एक तेज बहाव आया। जिनमें बड़े-बड़े पत्थर भी थे। एक पत्थर सुशील के सिर पर लगा। उनका शव पत्थरों और मलबे के नीचे दब गया। नवनीत ने बताया कि पूरा हादसा करीब 10 मिनट में हो गया।
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13 December 2022 06:35 PM
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