08 October 2022 03:26 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान मिग 21 टी 96 की 108 स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की दिशा ही बदल दी थी। भले ही ये विमान रिटायर हो गए, लेकिन आज भी नाल एयरबेस का गौरव हैं। शनिवार को 90वां स्थापना दिवस मनाने जा रही भारतीय वायु सेना बड़े से बड़े दुश्मन को भी मिनटों में धूल चटाने का दम खम रखती है। भारतीय वायु सेना की नींव 8 अक्टूबर 1932 को रखी गई थी। आजादी से पहले इसे रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहते थे।अब हर साल 8 अक्टूबर को “वायु सेना दिवस” मनाया जाता है। इस दिन भारतीय लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर अपने करतब दिखाते हैं। वायु सेना दिवस की बड़ी परेड गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस में होती है और इसके साथ साथ देश के हर वायु सेना सेंटर में इसे मनाया जाता है। इस अवसर पर नाल और बीकानेर एयर फोर्स स्टेशन पर भी परेड आदि कार्यक्रम होंगे।हालांकि वायुसेना की ओर से इस संबंध में अधिकृत जानकारी साझा नहीं की गई है। खास बात ये है कि नाल एयर बेस को टेकओवर करने पर लड़ाकू विमान मिग यहां भेजे गए थे। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने करांची से उड़ान भर कर बीकानेर पर बम बरसाए थे। कुछ बम नाल एयर बेस पर भी गिरे, लेकिन हमारे लड़ाकू विमानों ने उन्हें खदेड़ दिया। 51 साल बाद भी मिग सीरिज के लड़ाकू विमान इस एयरबेस की शोभा बढ़ा रहे हैं। वायु सैनिकों को ट्रेनिंग इन्हीं विमानों से दी जाती है।
रिटायर हो गए, लेकिन दिलों में आज भी जिंदा हैं मिग 21
भारत-पाक युद्ध 1971 की दिशा बदलने वाले सुपरसोनिक जेट लड़ाकू विमान मिग 21 टी 96 नाल एयरफोर्स स्टेशन से 1971 में रिटायर कर दिए गए थे। नाल एयरफोर्स स्टेशन पर भारतीय वायु सेना की 108 स्क्वाड्रन ‘हॉक्स आई’ की सेवा समाप्त करने की गई थी। स्टेशन के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार किसी स्क्वाड्रन की विदाई हुई थी। सामरिक दृष्टि से पश्चिमी सीमा का नाल एयरफोर्स स्टेशन काफी महत्वपूर्ण है। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इसकी भूमिका प्रभावशाली रही थी। .
भारतीय वायु सेना की ताकत
1. भारतीय वायुसेना दुनिया में चौथी सबसे बड़ी है।
2. वायुसेना के पास करीब 1350 लड़ाकू विमान और लगभग 170000 सैनिक हैं।
3. देश के हर हिस्से में एयर फोर्स के बेस हैं।
4. सियाचिन ग्लेशियर पर करीब 22000 फुट उचाईं पर भी वायुसेना का स्टेशन है।
5. वायु सेना के देश के बाहर भी बेस स्टेशन हैं।
वायु सेना के विमान
इतिहास... नाल में हवाई पट्टी का निर्माण बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा गंगा सिंह ने कराया था। उस वक्त ब्रिटेन से वॉइस राय हवाई जहाज से आया करते थे। बाद में महाराजा सादुल सिंह के समय इसे डिवेलप किया गया तथा जहाज रखने के लिए चार हैंगर बनाए गए। पूर्व महाराजा करणी सिंह ने जहाज उड़ाना सीखा। उन्होंने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस भी लिया। अपना चार्टर्ड प्लेन खुद उड़ाया करते थे। आजादी के बाद नाल हवाई अड्डा स्टेट के पास चला गया बाद में इसे भारतीय वायु सेना को सौंप दिया गया।
1971 के युद्ध में नाल को बड़ा स्टेशन बना दिया था। युद्ध लड़ने के लिए यहां मिग एयरक्राफ्ट भेजे गए थे, जिन्होंने पाक विमानों के छक्के छुड़ा दिए। एयरफोर्स की बदौलत ही बीकानेर सुरक्षित रहा था।
-जगमाल सिंह राठौड़, ब्रिगेडियर(रि.)
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान मिग 21 टी 96 की 108 स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की दिशा ही बदल दी थी। भले ही ये विमान रिटायर हो गए, लेकिन आज भी नाल एयरबेस का गौरव हैं। शनिवार को 90वां स्थापना दिवस मनाने जा रही भारतीय वायु सेना बड़े से बड़े दुश्मन को भी मिनटों में धूल चटाने का दम खम रखती है। भारतीय वायु सेना की नींव 8 अक्टूबर 1932 को रखी गई थी। आजादी से पहले इसे रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहते थे।अब हर साल 8 अक्टूबर को “वायु सेना दिवस” मनाया जाता है। इस दिन भारतीय लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर अपने करतब दिखाते हैं। वायु सेना दिवस की बड़ी परेड गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस में होती है और इसके साथ साथ देश के हर वायु सेना सेंटर में इसे मनाया जाता है। इस अवसर पर नाल और बीकानेर एयर फोर्स स्टेशन पर भी परेड आदि कार्यक्रम होंगे।हालांकि वायुसेना की ओर से इस संबंध में अधिकृत जानकारी साझा नहीं की गई है। खास बात ये है कि नाल एयर बेस को टेकओवर करने पर लड़ाकू विमान मिग यहां भेजे गए थे। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने करांची से उड़ान भर कर बीकानेर पर बम बरसाए थे। कुछ बम नाल एयर बेस पर भी गिरे, लेकिन हमारे लड़ाकू विमानों ने उन्हें खदेड़ दिया। 51 साल बाद भी मिग सीरिज के लड़ाकू विमान इस एयरबेस की शोभा बढ़ा रहे हैं। वायु सैनिकों को ट्रेनिंग इन्हीं विमानों से दी जाती है।
रिटायर हो गए, लेकिन दिलों में आज भी जिंदा हैं मिग 21
भारत-पाक युद्ध 1971 की दिशा बदलने वाले सुपरसोनिक जेट लड़ाकू विमान मिग 21 टी 96 नाल एयरफोर्स स्टेशन से 1971 में रिटायर कर दिए गए थे। नाल एयरफोर्स स्टेशन पर भारतीय वायु सेना की 108 स्क्वाड्रन ‘हॉक्स आई’ की सेवा समाप्त करने की गई थी। स्टेशन के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार किसी स्क्वाड्रन की विदाई हुई थी। सामरिक दृष्टि से पश्चिमी सीमा का नाल एयरफोर्स स्टेशन काफी महत्वपूर्ण है। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इसकी भूमिका प्रभावशाली रही थी। .
भारतीय वायु सेना की ताकत
1. भारतीय वायुसेना दुनिया में चौथी सबसे बड़ी है।
2. वायुसेना के पास करीब 1350 लड़ाकू विमान और लगभग 170000 सैनिक हैं।
3. देश के हर हिस्से में एयर फोर्स के बेस हैं।
4. सियाचिन ग्लेशियर पर करीब 22000 फुट उचाईं पर भी वायुसेना का स्टेशन है।
5. वायु सेना के देश के बाहर भी बेस स्टेशन हैं।
वायु सेना के विमान
इतिहास... नाल में हवाई पट्टी का निर्माण बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा गंगा सिंह ने कराया था। उस वक्त ब्रिटेन से वॉइस राय हवाई जहाज से आया करते थे। बाद में महाराजा सादुल सिंह के समय इसे डिवेलप किया गया तथा जहाज रखने के लिए चार हैंगर बनाए गए। पूर्व महाराजा करणी सिंह ने जहाज उड़ाना सीखा। उन्होंने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस भी लिया। अपना चार्टर्ड प्लेन खुद उड़ाया करते थे। आजादी के बाद नाल हवाई अड्डा स्टेट के पास चला गया बाद में इसे भारतीय वायु सेना को सौंप दिया गया।
1971 के युद्ध में नाल को बड़ा स्टेशन बना दिया था। युद्ध लड़ने के लिए यहां मिग एयरक्राफ्ट भेजे गए थे, जिन्होंने पाक विमानों के छक्के छुड़ा दिए। एयरफोर्स की बदौलत ही बीकानेर सुरक्षित रहा था।
-जगमाल सिंह राठौड़, ब्रिगेडियर(रि.)
RELATED ARTICLES
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com