10 November 2022 11:19 AM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
इंदिरा गांधी नहर से जुड़े हजारों किसानों को हर रोज पानी की उपलब्धता की रिपोर्ट दी जाती थी। "स्काडा" नाम के प्रोजेक्ट के तहत किसान अपने मोबाइल पर आसानी से ये पता कर लेता था कि अब पानी नहर में कहां तक पहुंच गया है। पिछले दिनों सरकार ने "स्काडा" को बंद करके ये सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी। ऐसे में अनपढ़ किसानों के लिए वेबसाइट को खंगालना मुश्किल हो गया है। नतीजतन किसान को पता ही नहीं चलता कि उसके खेत में बारी के बावजूद पानी आएगा या नहीं?
दरअसल, स्काडा प्रोजेक्ट के तहत किसान को चौबीस घंटे ये सूचना मिलती थी इंदिरा गांधी नहर के मुख्य नहर के अलावा किस आरडी पर कितना पानी पहंचा है। इससे ये तय हो जाता था कि इतने दिन बाद पानी खेत तक आ जाएगा। इस बीच "स्काडा" को किसान की पहुंच से दूर कर दिया गया। कुछ महीने तक कहीं से भी किसान को पानी की जानकारी नहीं मिल रही थी। पिछले दिनों किसानों ने संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन से संपर्क करके उन्हें बताया कि पानी की उपलब्धता की पारदर्शी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। इस पर पवन ने नहर व सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों को तलब किया। तब कमांड एरिया डवलपमेंट (CAD) की ऑफिशियल वेबसाइट पर ये सूचना शुरू की गई।
किसान अनभिज्ञ है इससे
नई व्यवस्था से किसान पूरी तरह अनभिज्ञ है। अगर विभाग कोई मोबाइल एप बनाकर ये सूचना देता तो किसान एप को डाउनलोड कर लेते लेकिन किसी वेबसाइट में सेक्शन ढूंढकर पानी की जानकारी लेना मुश्किल है। ऐसे में किसानों की डिमांड है कि एप बनाकर वहां पर ये जानकारी दी जाए। अभी कागज से लिखी रिपोर्ट्स यहां इमेज फॉरमेट में अपलोड कर दी जाती है। खराब राइटिंग के चलते समझ ही नहीं आता कि पानी कितना आ रहा है।
इस तरह पता करें किसान
वर्तमान व्यवस्था के तहत किसान को अगर पानी की उपलब्धता के बारे में पता करना है तो वो Google पर IGNP Canal Gauge Register टाइप करके सर्च करेगा तो सीधे जल उपलब्धता तक पहुंच जाएगा। ये असल में राज्य सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट है। इसका लिंक http://www.water.rajasthan.gov.in/content/water/en/cadignpbikanerdpartment/dataroom/ignpcanalsystem.html है।
किसान परेशान है
नहर से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाले नरेंद्र आर्य का कहना है कि नई व्यवस्था से आम किसान नहीं जुड़ पाएगा। सरकार को चाहिए कि बेहतर मोबाइल एप बनाई जाए ताकि किसान जुड़ सके। वर्तमान में जो रिपोर्ट दी जा रही है, वो हाथ से लिखा फॉरमेट है, जो कई बार समझ नहीं आता।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
इंदिरा गांधी नहर से जुड़े हजारों किसानों को हर रोज पानी की उपलब्धता की रिपोर्ट दी जाती थी। "स्काडा" नाम के प्रोजेक्ट के तहत किसान अपने मोबाइल पर आसानी से ये पता कर लेता था कि अब पानी नहर में कहां तक पहुंच गया है। पिछले दिनों सरकार ने "स्काडा" को बंद करके ये सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी। ऐसे में अनपढ़ किसानों के लिए वेबसाइट को खंगालना मुश्किल हो गया है। नतीजतन किसान को पता ही नहीं चलता कि उसके खेत में बारी के बावजूद पानी आएगा या नहीं?
दरअसल, स्काडा प्रोजेक्ट के तहत किसान को चौबीस घंटे ये सूचना मिलती थी इंदिरा गांधी नहर के मुख्य नहर के अलावा किस आरडी पर कितना पानी पहंचा है। इससे ये तय हो जाता था कि इतने दिन बाद पानी खेत तक आ जाएगा। इस बीच "स्काडा" को किसान की पहुंच से दूर कर दिया गया। कुछ महीने तक कहीं से भी किसान को पानी की जानकारी नहीं मिल रही थी। पिछले दिनों किसानों ने संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन से संपर्क करके उन्हें बताया कि पानी की उपलब्धता की पारदर्शी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। इस पर पवन ने नहर व सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों को तलब किया। तब कमांड एरिया डवलपमेंट (CAD) की ऑफिशियल वेबसाइट पर ये सूचना शुरू की गई।
किसान अनभिज्ञ है इससे
नई व्यवस्था से किसान पूरी तरह अनभिज्ञ है। अगर विभाग कोई मोबाइल एप बनाकर ये सूचना देता तो किसान एप को डाउनलोड कर लेते लेकिन किसी वेबसाइट में सेक्शन ढूंढकर पानी की जानकारी लेना मुश्किल है। ऐसे में किसानों की डिमांड है कि एप बनाकर वहां पर ये जानकारी दी जाए। अभी कागज से लिखी रिपोर्ट्स यहां इमेज फॉरमेट में अपलोड कर दी जाती है। खराब राइटिंग के चलते समझ ही नहीं आता कि पानी कितना आ रहा है।
इस तरह पता करें किसान
वर्तमान व्यवस्था के तहत किसान को अगर पानी की उपलब्धता के बारे में पता करना है तो वो Google पर IGNP Canal Gauge Register टाइप करके सर्च करेगा तो सीधे जल उपलब्धता तक पहुंच जाएगा। ये असल में राज्य सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट है। इसका लिंक http://www.water.rajasthan.gov.in/content/water/en/cadignpbikanerdpartment/dataroom/ignpcanalsystem.html है।
किसान परेशान है
नहर से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाले नरेंद्र आर्य का कहना है कि नई व्यवस्था से आम किसान नहीं जुड़ पाएगा। सरकार को चाहिए कि बेहतर मोबाइल एप बनाई जाए ताकि किसान जुड़ सके। वर्तमान में जो रिपोर्ट दी जा रही है, वो हाथ से लिखा फॉरमेट है, जो कई बार समझ नहीं आता।
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