25 July 2022 02:02 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई सोमवार को देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। इस शपथ लेने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने तीन अहम रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए।
भारत के लिए 25 जुलाई का दिन काफी अहम है। क्योंकि देश के 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में बतौर राष्ट्रपति पद की शपथ ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना ने उन्हें पद और गोपनीयत की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने तीन अहम रिकॉर्ड अपने नाम किए। इन रिकॉर्ड के बारे में जानकर आपको भी गर्व होगा।राष्ट्रपति बनते ही द्रौपदी मुर्मू के नाम ये तीन अनोखे रिकॉर्ड
1. पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू ने शपथ लेने के साथ ही देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। ओडिशा के मयूरभंज के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने राष्ट्रपति होने तक का सफर तय किया है।
देश की सबसे युवा राष्ट्रपति
2 ,द्रौपदी मुर्मू ने 20 जून को अपना 64वां जन्मदिन मनाया था। 21 जून को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें एनडीए का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा की। वह चुनाव जीतीं और आज देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। खास बात यह है कि इस शपथ के साथ ही वो देश की सबसे युवा राष्ट्रपति भी बन गईं हैं।
दरअसल इससे पहले यह रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम था। जब वह राष्ट्रपति बने तो उनकी उम्र 64 साल दो महीने और 6 दिन थी। जबकि 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू की उम्र 64 साल 1 महीना और 8 दिन हो गई।
3. आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने एक और अनूठा रिकॉर्ड अपने नाम किया है। दरअसल द्रौपदी मुर्मू ने आजादी के बाद जन्म लेने वाली देश की पहली राष्ट्रपति बनने का गौरव भी हासिल किया है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था।देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनने वाली देश की दूसरी महिला भी हैं। इससे पहले प्रतिभा देवी पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं थीं।
शिक्षिका से महामहिम बनने तक का सफर
द्रौपदी मुर्मू ने 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक शिक्षिका के रूप में काम किया। उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद पर भी नौकरी की। 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
उन्होंने बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में काम किया। साथ ही बीजेपी की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं।
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